34.1 C
Ranchi
Friday, March 29, 2024

BREAKING NEWS

Trending Tags:

महाशिवरात्रि आज : आदिगुरु शिव से सीखें जीवन-मंत्र, अमृत चाहते हैं, तो विष के लिए भी तैयार रहें

आज महाशिवरात्रि है. यह शिवत्व धारण करने का प्रेरणा-पर्व है. शिव आदिगुरु हैं, परमगुरु हैं. उनकी लीलाओं में ज्ञान व कर्म का रहस्य छिपा है, जिसे समझ कर हम शिवत्व धारण करने की ओर अग्रसर हो सकते हैं. प्रस्तुत हैं ऐसे पांच जीवनोपयोगी सूत्र: अमृत चाहते हैं, तो विष के लिए भी तैयार रहें समुद्र […]

आज महाशिवरात्रि है. यह शिवत्व धारण करने का प्रेरणा-पर्व है. शिव आदिगुरु हैं, परमगुरु हैं. उनकी लीलाओं में ज्ञान व कर्म का रहस्य छिपा है, जिसे समझ कर हम शिवत्व धारण करने की ओर अग्रसर हो सकते हैं. प्रस्तुत हैं ऐसे पांच जीवनोपयोगी सूत्र:
अमृत चाहते हैं, तो विष के लिए भी तैयार रहें
समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत तो देवता और राक्षस दोनों चाहते थे, पर विष को शिव ने ही गले में धारण कर सबकी रक्षा की. इसी एक काम की वजह से शिव बाकी देवों से ऊपर होकर महादेव हो गये. अगर आप सफलता का अमृत चाहते हैं, तो अवांछित नतीजों के लिए भी तैयार रहें.
नेतृत्वकर्ता क्षमतावान तो विरोधी भी साथ
गणेश जी का वाहन मूषक, कार्तिकेय जी का मयूर और शिव जी के गले में सर्प. ये सभी परस्पर विरोधी स्वभाव के हैं, पर प्रेम और शांति से रहते हैं, क्योंकि परिवार के मुखिया शिव शक्तिसंपन्न, ज्ञानी व कल्याण के अधिष्ठाता हैं. नेतृत्वकर्ता क्षमतावान हो, तो विरोधी भी साथ रहते हैं.
प्रकृति से जुड़ कर सादगी के साथ रहें
सती ने पूछा- आप गर्मी व बारिश से कैसे बचते हैं? आग कहां रखते हैं? शिव उन्हें क्रमश: देवदार पेड़ों से भरी घाटी, गुफा और श्मशान ले गये. सादगी से हर समस्या का समाधान सती को भा गया. वह भोले के प्रेम में पड़ गयीं. प्रकृति में सबकुछ है. उसके साथ एकाकार होने की जरूरत है.
संतुलन ही खुशहाल जीवन की चाबी है
शिव वैरागी भी हैं और संसारी भी. संसार व देवलोक से दूर कैलाश पर विराजते हैं. वहीं काशी में ‘विश्वनाथ’ रूप में हैं. यह बताता है, वैराग्य और सांसारिकता में कोई टकराव नहीं है. हमारे जीवन में भोग और त्याग के बीच एक संतुलन होना चाहिए. तभी हम सही मायने में खुश रह सकते हैं.
अच्छे लोगों की संगत बनाती है ऊर्जावान
चंद्र की अवज्ञा से क्रोधित दक्ष प्रजापति ने उन्हें शाप दिया- तुम्हारा तेज खत्म हो जायेगा. घबराये चंद्रदेव इंद्र के पास पहुंचे. इंद्र ने उन्हें शिव के पास भेजा. चंद्रदेव शिव के पास पहुंचे. शिव ने आंखें खोलीं. बिना कुछ कहे उन्हें उठा कर सिर पर धारण कर लिया. चंद्रदेव फिर से तेजमय हो उठे.
You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें