सद्गुरुश्री स्वामी आनंद जी
साल का प्रथम चंद्रग्रहण 10 जनवरी को यानी आज घटित होगा. पर यह पूर्ण या आंशिक चंद्रग्रहण न होकर सिर्फ़ उपछाया ग्रहण होगा. अर्थात् इस खगोलीय घटना में चंद्रमा का कोई भी हिस्सा ग्रसित नहीं होगा इसलिए चंद्रमा का कोई भी हिस्सा काला नहीं होगा. वह सिर्फ़ धुंधला होकर रह जाएगा. यूं समझें कि चंद्रमा पृथ्वी की सिर्फ़ उपछाया का स्पर्श करके गुजर जाएगा. चन्द्रमा के मंद पड़ने की स्थिति के कारण कहीं कहीं इसे मंद या मांद्य ग्रहण भी कहा जाता है. इस चंद्रग्रहण में चंद्रमा का बिंब धुंधला जाएगा और मटमैला सा प्रतीत होगा. करीब 90 फीसद भाग प्रभावित होगा. ग्रहण के दौरान चंद्रमा पृथ्वी की अंब्रा (Umbra) यानी प्रतिछाया में प्रविष्ट नहीं होगा. इसलिए इस ग्रहण की प्रत्यक्ष तौर पर कोई धार्मिक मान्यता नहीं है.
यह स्थिति शुक्रवार को रात 10 बजकर 38 मिनट पर घटित होगी और रात के 2 बजकर 42 मिनट पर यह उपछाया ग्रहण पूर्ण होगा. यह चंद्र ग्रहण मिथुन राशि के पुनर्वसु नक्षत्र में घटित होगा. धनु राशि में इस राशि के स्वामी बृहस्पति के साथ सूर्या, बुध, केतु और शनि ये पांच ग्रह एकत्र होकर राहू की सीधी दृष्टि से ग्रसित होंगे. मंगल अपनी राशि वृश्चिक व शुक्र कुंभ राशि में गतिशील होगा। उपछाया ग्रहण में ग्रहों की इस स्थिति का मानव सभ्यता पर विचित्र प्रभाव पड़ेगा.
बड़े राष्ट्र और राष्ट्राध्यक्षों के मानसिक तनाव में वृद्धि होगी. उनकी झड़प का असर अर्थव्यवस्था पर दृष्टिगोचर होगा. तेल, सोने और चांदी के भाव के उतार चढ़ाव सर घुमायेंगे. इनका कारोबार अस्थिर भावों के कारण प्रभावित होगा. मंगल की दृष्टि शुक्र, चन्द्रमा और राहू पर होगी. अतएव बड़े और सुविधा संपन्न, कारोबारी, कलाकार व सिनेमा जगत के लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. इसी दृष्टि के कारण किसी बड़ी फ़िल्म पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा. मानसिक तनाव में वृद्धि के संकेत हैं. किसी धाकड़ और धूर्त राजनीतिज्ञ की योजना या राजनैतिक चाल में पलीता लगने के संकेत मिल रहे हैं. राजाओं और मंत्रियों की मानसिक क्षमताओं और दूरदर्शिता में सहसा कमी दृष्टिगोचर होगी. शनि की भी शुक्र, राहू व चन्द्रमा पर दृष्टि के कारण किसी नामचीन व्यक्ति, उद्योगपति, कलाकार या साहित्यकार की सेहत का कचूमर निकलेगा. उन्हें मानसिक और आर्थिक कष्ट संभव है. प्रकृति का कोप बेचैन करेगा। शेयर व मुद्रा बाज़ार साँप-सीधी खेलेगा.
मेष- समय शुभ है. अच्छी खबर आएगी, कामयाबी पलक पावड़े बिछाएगी, ख़ुशियों का पैग़ाम लाएगी. ताम्रपाद तीसरा राहू और नवां केतु जेब को गर्मी और कलेजे को ठंडक देता है. ताम्रपाद का नवम गुरु सुख ल, सौभाग्य और समृद्धि कारक है. क्षणिक मानसिक कष्ट संभव है.
वृष- समय विचित्र संयोग लेकर आ रहा है. कभी मुस्कुरा रहा है, कभी कसमसा रहा है. अष्टम शनि देह के निचले भाग में शारीरिक विकार देगा. रजत चरण का द्वितीय राहू और अष्टम केतु संघर्ष के बाद सफलता का आनन्द देगा. लाभ का मार्ग का प्रशस्त होगा.
मिथुन- यह ग्रहण मिथुन में ही घटित हो रहा है. लिहाज़ा चैन और बेचैनी दोनों आलिंगन करेगी. अनावश्यक उलझनों व शारीरिक कष्टों का सूत्रपात होगा. चांदी के पाए का सप्तम गुरु प्रतिष्ठा को धार देगा और व्यक्तित्व को विशाल बना कर जगत को चमत्कृत करेगा. पर पीठ पीछे आलोचना और निन्दा भी होगी. अपनी भावुकता पर नियंत्रण ज़रूरी है.
कर्क- समय अनुकूल है. त्वचा और सेक्स समस्याओं से उलझन होगी. द्वादश राहू और षष्ठ केतु आनन्द भी देगा और मन भी बेचैन करेगा. सुख पर व्यय होगा. लौहपाद का षष्ठ गुरु जीवन को पहले जलेबी जैसा उलझाएगा, फिर उसमें चासनी का मीठा सा तड़का लगाएगा.
सिंह- ग्रहयोग बिना विशेषज्ञता या विशेषज्ञ के निवेश में जोखिम न लेने की ताकीद कर रहे हैं. जेब को गर्मी और कलेजे को ठंडक मिलेगी. स्वर्णपाद का एकादश राहू और पंचम केतु यशस्वी बनाएगा. मान-सम्मान को फलक पर पहुंचा कर ज़िंदगी को अनोखे बेल बूटों से सजाएगा. ताम्रपाद का पंचम गुरु ऐश्वर्य, वैभव व धन सम्पत्ति में इज़ाफ़ा करेगा.
कन्या- कोई अच्छी ख़बर दिल ख़ुश कर जाएगी. शारीरिक व्याधि से मुक्ति मिलेगी. ताम्र पाद का दसवां राहू और चौथा केतु नाच नचाएगा. बेमतलब की चीजों में उलझाएगा. करियर में बखेड़ा खड़ा होगा. बहस से बात बढ़ेगी. और बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी. रजत पाद का ये चतुर्थ वृहस्पति वाहन और माता के प्रति सतर्क रहने की ताकीद कर रहा है.
तुला-चैन और बेचैनी दोनों तारी रहेगी. ऐश्वर्य में इज़ाफ़ा होगा. आने वाला वक्त जीवन की नाव को पतवार देगा, आपके करियर को नई धार देगा. रजत पाद का नौवां राहू और तीसरा केतु मानसिक तनाव का सबब बनेगा. यह योग आस्था में दरार का पैदा करता है. स्वर्ण पाद का तीसरा गुरु करियर में अनावश्यक वाद-विवाद से बचने की चेतावनी दे रहा है.
वृश्चिक- करियर को नया आसमान और कामयाबी को नयी उड़ान मिलेगी. बौद्धिक क्षमता और श्रम से लाभ के नए गुल खिलेंगे. लौह पाद का आठवाँ राहू और दूसरा केतु झमेले के बाद आनन्द का कारक है. लौह पाद का द्वितीय गुरु ज़िन्दगी के सफ़हे पर नए चित्र बनाएगा, करियर को चमकाएगा.
धनु- समय आपको पहले तपाएगा है फिर सोने सा चमकाएगा. ह्रदय में शीतलता और जेब में गर्मी होगी. अंतर्मन उदास होगा. नये झमेले, मानसिक अंतर्द्वंद व नई चुनौतियां प्रस्तुत कर साम-दाम- दण्ड- भेद सिखायेंगे, और कालांतर में तराश कर हीरा बनायेंगे. ताम्र चरण का सप्तम राहू और प्रथम केतु नादानी में रिश्तों को चोट पहुंचाता है. किसी की बात माने न माने, पर बहस न करें. वादविवाद और मुक़दमे में शिकस्त का योग है.
मकर- आने वाला वक्त इम्तिहान लेगा, और तजुर्बे की अनूठी सौग़ात देगा. स्वर्ण पाद का छठा राहू और बारहवां केतु खुशहाल करेगा. जेब को गर्मी प्रदान कर निहाल करेगा. अनुभवों के सोपान से नवशिखर की आस जगेगी. ताम्र पाद का पंचम राहू और एकादश केतु जीवन के पन्ने पर नयी रोशनी उगाएगा. आने वाला कल मुस्कुराएगा. जेब गर्म होगी. उलझने नर्म होंगी। ताम्र पाद का द्वादश गुरु ज़िन्दगी की कैनवास पर नई राहें गढ़ेगा. करीयर आकाश चढ़ेगा.
कुंभ- वक्त नए झमेले का सूत्रपात करेगा पर अनुभवों की अनूठी सौगात देगा. रजत पाद का पंचम राहू और एकादश केतु से सुख भौतिक सुविधा में वृद्धि होगी. संतान की बेचैनी बढ़ेगी. रजत पाद का एकादश गुरु प्रचंड लाभ देगा. लक्ष्य की प्राप्ति होगी. नए विचारों के पुष्प पल्लवित होंगे और विरोधी चारों खाने चित्त. एक अनजाना भय मन बेचैन करेगा. जीवनसाथी का स्वास्थ्य व व्यवहार दोनों परेशान करेंगे.
मीन- आने वाला समय ज़िंदगी के सफ़हे पर नए अवसर उकेरेगा. करियर को आकाश मिलेगा. लाभ की संभावना है. किसी मित्र से लाभ तनाव मिलेगा. लौह पाद का चतुर्थ राहू और दशम केतु अपनी चाबुक से ज़िन्दगी के अदभुत सबक सिखाता है. रिश्तेदारों व किसी आध्यात्मिक व्यक्ति का ऋण बोझ बन जाएगा.