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महामृत्युंजय मंत्र से आशय क्या है? जानें क्या कहते हैं सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी

सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी एक आधुनिक सन्यासी हैं, जो पाखंड के धुरविरोधी हैं और संपूर्ण विश्व में भारतीय आध्यात्म व दर्शन के तार्किक तथा वैज्ञानिक पक्ष को उजागर कर रहे हैं. सद्‌गुरुश्री के नाम से प्रख्यात कार्पोरेट सेक्टर से अध्यात्म में क़दम रखने वाले यह आध्यात्मिक गुरु नक्षत्रीय गणनाओं तथा गूढ़ विधाओं में पारंगत हैं […]

सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी एक आधुनिक सन्यासी हैं, जो पाखंड के धुरविरोधी हैं और संपूर्ण विश्व में भारतीय आध्यात्म व दर्शन के तार्किक तथा वैज्ञानिक पक्ष को उजागर कर रहे हैं. सद्‌गुरुश्री के नाम से प्रख्यात कार्पोरेट सेक्टर से अध्यात्म में क़दम रखने वाले यह आध्यात्मिक गुरु नक्षत्रीय गणनाओं तथा गूढ़ विधाओं में पारंगत हैं तथा मनुष्य के आध्यात्मिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक व्यवहार की गहरी पकड़ रखते हैं. आप भी इनसे अपनी समस्याओं को लेकर सवाल पूछ सकते हैं. इसके लिए आप इन समस्याओं के संबंध में लोगों के द्वारा किये गये सवाल के अंत में पता देख सकते हैं…

सवाल- मैंने अपनी गारंटी पर अपने एक रिश्तेदार को लोन दिलवाया था. अब वो व्यापार के मंदा होने की बात कह कर पैसा वापस करने में आनाकानी कर रहा है. पर वो स्वयं शानदार जीवन बिता रहा हैं. लगता है कि उसकी नीयत ख़राब हो गयी है. कोई उपाय बताएं, जिससे मैं इस झमेले से मुक्त हो जाऊं.
जन्म तिथि- 15.05.1980, जन्म समय- 16.54, जन्म स्थान- वैशाली (बिहार)

जवाब- हमारी मंशा और नीयत ही हमारी उन्नति या अवनति तय करते हैं. किसी को कष्ट देकर कोई कभी फल-फूल नहीं सकता. कर्जदार तब तक आनंद और प्रगति के भागीदार नहीं बन सकेंगे, जब तक वे शुद्ध नीयत से क़र्ज़ वापस न कर दें, ऐसा आध्यात्म के सूत्र मानते हैं. सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि वृष और लग्न तुला है। आपका धनेश सूर्य अष्टम भाव में जहां आपकी आर्थिक स्थिति के लिए चिंता की लकीरें उकेर रहा है, वहीं कर्मेश चंद्रमा की भी अष्टम में ही मौजूदगी आर्थिक तनाव प्रदान कर रही है. इस वक्त आप शनि की अढ़ैया के भी प्रभाव में हैं. पर चिंता बिलकुल न करें। विधाता का संकेत है कि फरवरी 2020 से आरंभ होने वाला कालखंड आपको कई अच्छे समाचार सुनाएगा. आपकी कुंडली में कमज़ोर सूर्य भविष्य में किसी की भी गारण्टी न लेने की सख़्त चेतावनी दे रहा है. नित्य प्रातः सूर्य को कुमकुम, 21 लाल मिर्च के बीज और लाल पुष्प मिश्रित जल का अर्घ्य, और खाली मटकी का जल प्रवाह लाभ प्रदान करेगा, ऐसा मैं नहीं, ज्योतिषीय मान्यताएं कहती हैं.

सवाल- लालकिताब क्या है ?
-आदर्श मिश्र

जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि लालकिताब दरअसल हमारा प्राचीन सलोहित शास्त्र था, जो पूजा पाठ से इतर, मामूली उपायों द्वारा समस्याओं का समाधान सुझाता था. जिसे आक्रांताओं ने अपनी भाषाओं में अनुवाद कर नालन्दा के विध्वंस के साथ मूल ग्रंथ को नष्ट कर दिया था. उसका फारसी से भारतीय भाषाओं में सर्वप्रथम परिचय, फरवाला, जालंधर के प़ं रूपचंद जोशी ने 1939 में प्रकाशित ‘लालकिताब के फरमान’ के द्वारा करवाया. इसके पश्चात उन्होंने 1940 में ‘लालकिताब के अरमान’, 1941 में ‘लालकिताब गुटका’, 1942 और 1952 में ‘लालकिताब’ के रूप में इस अति प्राचीन कर्म प्रधान ज्योतिषीय विधा को भारतीयों के समक्ष रखा.

सवाल- ईशान्य कोण कौन सी दिशा को कहते हैं। क्या यहाँ स्टोर रूम बना सकते हैं ?
-सीमा गोस्वामी

जवाब- सदगुरु श्री कहते हैं कि उत्तर और पूर्व के मध्य के कोने को ईशान्य कोण कहा जाता है, जो शून्य से नब्बे डिग्री के मध्य का हिस्सा होता है. इसे कुबेर का स्थान कहते हैं. इसका तत्व जल है। इसको हल्का, साफ़, चमकदार व जलयुक्त रखने से घर में सुख शांति और समृद्धि का वास रहता है. इस दिशा में चमकीले फ़र्श आनन्द का कारक बनते हैं. यहां दर्पण और फ़ाउंटेन की उपस्थिति आर्थिक सम्बल प्रदान करती है. यह कोना प्रार्थना कक्ष, उपासना गृह या मन्दिर का माना जाता है. यहां स्टोर रूम हर्गिज़ नहीं बना सकते. यहां जूते-चप्पल रखने से बचना चाहिए। इस कोने में गंदगी जीवन में तनाव का कारण बन सकती है, ऐसा वास्तु के नियम कहते हैं.

सवाल- महामृत्युंजय मंत्र से आशय क्या है?
-रमेश सारस्वत

जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि यजुर्वेद के रूद्र अध्याय में वर्णित त्र्यम्बक मंत्र (७/५९/१२) को आधुनिक काल में महामृत्युंजय मंत्र के नाम से जाना जाता है, जो अपने अनूठे वर्णविन्यास और शब्दों के विशिष्ट समायोजन से उत्पन्न ऊर्जा के द्वारा मृत्यु जैसी विषम परिस्थितियों और भौतिक व मानसिक कष्टों पर विजय पाने में सक्षम माना जाता है. जिसमें त्रयंबकम्-कर्म बीज, यजामहे-श्रद्धा बीज, सुगंधिम-कर्म बीज, पुष्टि-पोषण बीज, वर्धनम्-वृद्धि बीज, उर्वारुकम-कर्म बीज, बन्धनात-साकार बीज, मृत्योः-पुनर्निर्माण बीज, मुक्षीय और अमृतात-मोक्ष बीज का प्रतिनिधित्व करते हैं.

सवाल- दो बार तलाक़ हो चुका हूं. तीसरी शादी तो नहीं हुई पर पर जहां संबंध जुड़ा है, अब वहां भी संबंधविच्छेद की स्थिति बन रही है. क्या मेरी कुंडली में दाम्पत्य सुख नहीं है?
-विधि श्रीवास्तव,जन्म तिथि- 21.09.1990 जन्म समय- 17.52, जन्म स्थान- सिवान (बिहार)

उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि आप की राशि तुला और लग्न धनु है. पति भाव का स्वामी बुध षष्ठ भाव में बैठ कर स्वभाव में भावुकता का रंग घोल कर कर सामान्य समझ में कमी कर रहा है. वहीं सूर्य सप्तम भाव में बैठ कर आपके दाम्पत्य जीवन में पलीता लगा रहा है. बची खुची कसर प्रेम भाव में बैठा वृहस्पति निकाल रहा है. वृहस्पति जहां बैठता है, उस भाव को प्रभावित करता है. पर आप चिंता बिलकुल न करें. नित्य सुबह खाली पेट शहद का गरम पानी के साथ सेवन, 43 दिन तक गुड़ का जल प्रवाह, अपने प्रथम ग्रास का अग्नि को अर्पण, भोजन में केसर का ज्यादा प्रयोग लाभ प्रदान करेगा, ऐसा मैं नहीं ज्योतिषीय मान्यताओं की परंपरा कहती है.

(अगर आपके पास भी कोई ऐसी समस्या हो, जिसका आप तार्किक और वैज्ञानिक समाधान चाहते हों, तो कृपया प्रभात खबर के माध्यम से सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी से सवाल पूछ सकते हैं. इसके लिए आपको बस इतना ही करना है कि आप अपने सवाल उन्हें सीधे [email protected] पर भेज सकते हैं. चुनिंदा प्रश्नों के उत्तर प्रकाशित किये जायेंगे. मेल में Subject में प्रभात ख़बर अवश्य लिखें.)

Prabhat Khabar Digital Desk
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