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Health News, Corona Infection: कमजोरी और थकान ज्यादा मायने नहीं रखती, चलने पर सांस फूले तो फौरन जाएं अस्पताल

कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम तो हुई है, लेकिन खतरा अब भी बरकरार है.

राजीव पांडेय, रांची : कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम तो हुई है, लेकिन खतरा अब भी बरकरार है. सामान्य फ्लू व कोरोना का लक्षण लगभग एक तरह का है. ऐसे में लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है. दवा दुकानों से कोरोना समझ कर दवा लेने के साथ-साथ सतर्कता ज्यादा जरूरी है, क्याेंकि करीब पांच फीसदी लोग वायरस के गंभीर दुष्प्रभाव में फंस जा रहे हैं. ऐसे ही पांच फीसदी गंभीर कोरोना संक्रमितों के कारण आइसीयू का बेड भर जा रहा है.

विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि फेफड़ा तक कोरोना वायरस का पहुंचना खतरनाक है. ऐसे में पहले से सतर्क रहना ज्यादा जरूरी है. थकान व कमजोरी मायने नहीं रखता है, लेकिन अगर कुछ दूर तक चलने पर सांस फूलने लगे, तो यह अलार्म है. यह बताता है कि वायरस ने फेफड़ा तक दस्तक दे दी है. यही वक्त है आपके अस्पताल में भर्ती होने का.

क्रिटिकल केयर विशेषज्ञों की मानें, तो वर्तमान में 95 फीसदी संक्रमण सामान्य फ्लू का हो रहा है. इसे लोग कोरोना समझ कर घबरा जा रहे हैं. दवा दुकान से कोरोना की दवाएं मांगने लग रहे हैं. दवा दुकानदार सामान्य फ्लू की दवा के अलावा कोरोना में उपयोग होने वाली कुछ दवाएं शामिल कर दे रहे हैं. अधिकतर लोग इन दवाओं से ठीक हो जा रहे हैं, लेकिन कुछ लोगों की स्थिति बिगड़ जा रही है. कोरोना में सतर्कता व जानकारी सबसे बड़ा हथियार है. ऐसे मेें लोगों को स्वयं आकलन करने के बाद डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए.

22 से नीचे का सीटी वैल्यू चिंतनीय : कोरोना में आरटीपीसीआर जांच सबसे उपयुक्त माना जा रहा है. आरटीपीसीआर में लैब साइकल थ्रेसोल्ड (सीटी) वैल्यू दी जाती है. सीटी वैल्यू से यह जानकारी मिल जाती है कि व्यक्ति के शरीर में वायरल लोड कितना है. यह वायरल लोड कितना खतरनाक है.

रिम्स के क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया कि अगर 22 से कम सीटी वैल्यू होता है, तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए. संक्रमित को तुरंत अस्पताल में भर्ती होना चाहिए. अगर सीटी वैल्यू 32 तक है, तो वह होम आइसोलेशन में रह सकता है और वह दूसरे को नुकसान नहीं पहुंचा सकता है. हालांकि मेडिका के क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ विजय मिश्रा ने कहा कि सीटी वैल्यू का कोई मतलब नहीं है. क्लिनिकल एग्जामिन कर ही स्थिति की गंभीरता को पता लगना चाहिए. सांस फूलने का मतलब कोरोना वायरस ने फेफड़ा तक दे दी दस्तक

  • वर्तमान में 95 फीसदी संक्रमण सामान्य फ्लू का हो रहा है, इसे लोग कोरोना समझ कर घबरा जा रहे हैं

  • कोरोना में सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है, लोग स्वयं आकलन करें और तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें

कोरोना के पांच फीसदी गंभीर मरीज ही अस्पतालों के आइसीयू में भर्ती हैं. यह वही संक्रमित हैं, जिन्होंने समय पर सावधानी नहीं बरती. सांस लेने में परेशानी शुरू होते ही अस्पताल नहीं पहुंचे. चलने पर अगर सांस फूलने लगे, तो यह समझना चाहिए कि फेफड़ा पर असर पड़ रहा है. इसके बाद तुरंत अस्पताल में भर्ती हो जाना चाहिए.

कौशल किशोर, क्रिटिकल, केयर विशेषज्ञ

Posted by : Pritish Sahay

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