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झारखंड की हवा खराब, रेड जोन में पहुंचा, 2023 में एरोसोल प्रदूषण में 5 फीसदी वृद्धि का अनुमान

झारखंड में आबोहवा काफी खराब है. एक अध्ययन के मुताबिक, 2023 में एरसोल प्रदूषण में करीब 5 फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद है. एरसोल प्रदूषण मामले को लेकर झारखंड में अत्यधिक असुरक्षित रेड जोन में बना रहेगा.

झारखंड में आबोहवा काफी खराब है. एक अध्ययन के मुताबिक, 2023 में एरसोल प्रदूषण में करीब 5 फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद है. एरसोल प्रदूषण मामले को लेकर झारखंड में अत्यधिक असुरक्षित रेड जोन में बना रहेगा. बड़ी वजह पावर प्लांट से होने वाला उत्सर्जन व गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण है. करीब 13 गीगावाट प्रदूषण सिर्फ गाड़ियों के कारण है. वहीं, थर्मल पावर प्लांट के कारण 49 फीसदी प्रदूषण है, जो पहले 41 फीसदी था. इसके अलावा सॉलिड फ्यूल और वेस्ट बर्निंग से भी 15 फीसदी प्रदूषण रहा है.

राज्य में बढ़ते एरोसोल प्रदूषण से निपटने के लिए ताप विद्युत संयंत्रों के उत्सर्जन में कमी की अनुशंसा की गयी है. झारखंड में ठोस ईंधन का उपयोग दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है, हालांकि अध्ययन में पाया गया कि इसका योगदान 2005-2009 व 2015-2019 के बीच 18% से घटकर 15% हो गया. इसी अवधि के दौरान 16% से 14% की मामूली कमी के साथ वाहन उत्सर्जन तीसरा सबसे बड़ा स्रोत है.

एरोसोल की उच्च मात्रा में समुद्री नमक, धूल, ब्लैक और आर्गेनिक कार्बन जैसे प्रदूषकों के साथ-साथ पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5 और पीएम 10) भी शामिल रहते हैं. सांस के साथ शरीर में प्रवेश करने से ये लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं. एरसोल ऑप्टिकल डेप्थ (एओडी) वातावरण में मौजूद एरोसोल का मात्रात्मक अनुमान है और इसे पीएम2.5 के परिमाण के बदले में इस्तेमाल किया जा सकता है.

भारत में राज्यस्तरीय एरोसोल प्रदूषण का अध्ययन (अ डीप इनसाइट इनटू स्टेट-लेवल एरोसोल पोल्यूशन इन इंडिया) का अध्ययन किया गया है, जिसको बोस इंस्टीट्यूट, कोलकाता के शोधकर्ताओं डॉ अभिजीत चटर्जी, एसोसिएट प्रोफेसर और उनके पीएचडी स्कॉलर मोनामी दत्ता ने तैयार किया है. यह अध्ययन लंबे अवधि वर्ष 2005 से 2019 से प्राप्त आंकड़ो के मुताबिक किया गया है.

इस अध्ययन में पाया गया है कि झारखंड वर्तमान में रेड जोन में है, जो 0.5 से अधिक एओडी वाला अत्यधिक असुरक्षित क्षेत्र है. राज्य में एरोसोल प्रदूषण में 5 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है, जिससे वर्ष 2023 में एओडी परिमाण इस असुरक्षित क्षेत्र में बढ़कर 0.6 से अधिक हो जाएगा. एओडी का परिमाण 0 से 1 की बीच आंका जाता है.

0 अधिकतम दृश्यता के साथ पूरी तरह साफ आकाश का संकेतक है जबकि 1 बहुत धुंधले वातावरण को इंगित करता है. 0.3 से कम एओडी परिमाण ग्रीन ज़ोन (सुरक्षित), 0.3 से 0.4 ब्लू ज़ोन (कम असुरक्षित), 0.4 से 0.5 ऑरेंज जोन (असुरक्षित) है जबकि 0.5 से अधिक रेड जोन (अत्यधिक असुरक्षित) के अंतर्गत आता है. अध्ययन में, 0.4 तक के एओडी परिमाण को एरोसोल प्रदूषण के लिहाज से सुरक्षित माना गया है और इस सीमा से ऊपर के राज्यों को असुरक्षित माना गया है.

Prabhat Khabar News Desk
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