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Sahir Ludhianvi Birth Anniversary: साहिर के नाम के साथ कई नाम जुड़े लेकिन अमृता का नाम इस हद तक सबकी जुबान पर चढ़ गया कि लोग आज भी उन्हें एक दूसरे के नाम से याद करते हैं. अमृता और साहिर के कई किस्से हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर केवल अमृता द्वारा स्वीकारी गईं हैं.

Sahir Ludhianvi Birth Anniversary: अपूर्वा श्रीवास्तव काशी हिंदू विश्वविद्यालय (हिन्दी विभाग) अगर साहिर आज जिंदा होते तो 104 साल के होते. आज हीं के दिन जन्मे साहिर लुधियानवी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. मुझे यकीन है कि हर व्यक्ति कभी न कभी किसी न किसी रूप में साहिर से जरूर टकराया होगा. साहिर से टकराने का मतलब है उनके गीतों से टकराना, उसे महसूसना, उसके भीतर समा जाना.

हम ग़मज़दा हैं लाए कहाँ से ख़ुशी के गीत?

देंगे वही जो पाएँगे इस ज़िंदगी से हम.

साहिर ने भी वही दिया जो उन्होंने इस जिंदगी से पाया. उनका शुरुआती जीवन मुश्किलों भरा था, उन्होंने अपना बचपन अपनी मां के साथ और उनके सहारे बिताया. उनके पास पिता का साथ नहीं था, बल्कि कड़वी यादें थीं. बचपन के बाद उनकी जवानी ने उनके जीवन में कुछ रंग अवश्य भरे, लेकिन वह भी स्थायी नहीं था. जिंदगी की तमाम मुश्किलों और नाकाम प्रेम कहानियों के बीच कोई साहिर जैसा व्यक्ति ही डटकर खड़ा रह सकता है. सही मायनों में वे एक ऐसे शख्स थे जो “जिंदगी का साथ निभाते रहे और हर गम को धुएं में उड़ाते रहे”

तेरे मिलने की ख़ुशी में कोई नग़्मा छेड़ूँ

या तिरे दर्द-ए-जुदाई का गिला पेश करूँ

साहिर के नाम के साथ कई नाम जुड़े लेकिन अमृता का नाम इस हद तक सबकी जुबान पर चढ़ गया कि लोग आज भी उन्हें एक दूसरे के नाम से याद करते हैं. अमृता और साहिर के कई किस्से हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर केवल अमृता द्वारा स्वीकारी गईं हैं, जूठी सिगरेट पीने का ज़िक्र से लेकर इमरोज की शर्ट पर साहिर लिखने तक, सब कुछ अमृता ने ही कहा है, साहिर ने नहीं. उन्होंने कभी अपनी जुबान से कुछ नहीं कहा बल्कि शब्दों को ही अपना माध्यम बनाया, अपनी शायरी और गीतों में ही वे सब कुछ कहते रहे.

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Abhishek Pandey
Abhishek Pandey
अभिषेक पाण्डेय ने दादा माखनलाल के बगिया माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से अपनी पढ़ाई पूरी की है. वर्तमान में वे ‘प्रभात खबर’ में बिजनेस कंटेंट राइटर के रूप में कार्यरत हैं. अभिषेक इंडस्ट्री न्यूज के साथ-साथ पर्सनल फाइनेंस, सक्सेस स्टोरी, MSME, एग्रीकल्चर और सरकारी योजनाओं पर नियमित रूप से लिखते हैं. डिजिटल मीडिया इंडस्ट्री में वे पिछले दो वर्षों से सक्रिय हैं. मूल रूप से छपरा के रहने वाले अभिषेक की स्कूली और उच्च शिक्षा छपरा में हुई है. लेखन के अलावा उन्हें कुकिंग, संगीत, साहित्य, फिल्में देखना और घूमना बेहद पसंद है.

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