scorching heat: भले ही 2024 अब तक का सर्वाधिक गर्म वर्ष दर्ज हुआ है, पर फरवरी 2025 भी बीते वर्ष से कम नहीं रहा. इसने भी गर्मी के पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) के आंकड़ों के अनुसार, बीते 125 वर्षों में फरवरी महीने में कभी भी इतनी गर्मी नहीं पड़ी, जितनी इस वर्ष, यानी फरवरी 2025 में पड़ी है.
- इस महीने का औसत तापमान 22.04 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से 1.34 डिग्री सेल्सियस अधिक था. इससे पहले 2016 में फरवरी का तापमान सामान्य से 1.29 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड हुआ था.
- सर्दी के महीने में भी फरवरी के न्यूनतम तापमान में खासी वृद्धि सामने आयी. आइएमडी की मानें, तो इस महीने का न्यूनतम तापमान 15.02 डिग्री सेल्सियस था, जो 125 वर्ष के इतिहास में सर्वाधिक रहा.
- फरवरी में उच्चतम तापमान 125 वर्ष के इतिहास का दूसरा सबसे अधिक (29.07 डिग्री ) रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य से 1.49 डिग्री अधिक था. इससे पहले फरवरी 2023 में सर्वाधिक उच्चतम तापमान 29.44 डिग्री के साथ रिकॉर्ड किया गया था.
- क्षेत्रीय आकलन से पता चलता है कि मध्य भारत में बेमौसम गर्मी का सबसे अधिक असर हुआ, क्योंकि इसका अधिकतम तापमान सामान्य से 1.94 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा, जबकि औसत तापमान में 1.73 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि दर्ज हुई.
सर्वाधिक शुष्क महीना भी रहा इस वर्ष फरवरी
पिछला महीना (फरवरी 2025) बीते 125 वर्षों में सबसे शुष्क महीनों में से भी एक साबित हुआ, जहां सर्दियों के मौसम (जनवरी-फरवरी) में बारिश में 59 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी. इस फरवरी जहां सामान्य से 50 प्रतिशत कम बारिश हुई, वहीं जनवरी में 67 प्रतिशत कम बारिश हुई. इसमें मध्य भारत में 89.3 प्रतिशत की बड़ी कमी और इसके बाद उत्तर-पश्चिम भारत में 64.4 प्रतिशत बारिश की कमी दर्ज की गयी. जबकि पूर्व, पूर्वोत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत में स्थिति तुलनात्मक रूप से थोड़ी बेहतर रही. अधिकांश मौसम और जलवायु विशेषज्ञों ने फरवरी महीने के सबसे गर्म व शुष्क रहने का कारण जलवायु परिवर्तन का प्रभाव बताया. यह भी कहा कि स्थानीय कारकों के साथ-साथ फरवरी 2025 के दौरान पश्चिमी विक्षोभ की पर्याप्त कमी ने भी इस महीने को सर्वाधिक गर्म व शुष्क बनाया.
मार्च-मई के बीच खूब सामान्य से अधिक रहेगा तापमान
मौसम विभाग के अपने पूर्वानुमान में कहा गया है कि इस वर्ष गर्मी के मौसम (मार्च से मई ) के दौरान, भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिणी हिस्सों और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में अधिकतम तापमान के सामान्य से कम रहने की संभावना है, जबकि देश के अधिकतर क्षेत्रों में अधिकतम तापमान के सामान्य से अधिक रहने की आशंका जतायी गयी है. वहीं आगामी मार्च से मई के दौरान देश के अधिकांश भागों में न्यूनतम तापमान के सामान्य से अधिक रहने की संभावना है. इस वर्ष मार्च से मई के दौरान पूर्वोत्तर भारत, सुदूर उत्तर भारत और भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिणी-पश्चिमी तथा दक्षिणी हिस्सों को छोड़कर देश के अधिकांश क्षेत्रों में लू के दिनों की संख्या भी सामान्य से अधिक रह सकती है.
अधिक गर्मी से नौकरियों पर खतरा
वर्ष 2023 के मई में भारतीय रिजर्व बैंक के आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग ने चेतावनी दी थी कि यदि वैश्विक तापन के कारण 1.5 डिग्री सेल्सियस की तुलना में दो डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ता है, तो भारत के साथ-साथ ब्राजील और मैक्सिको जैसे देशों की आर्थिक विकास में कमी आ सकती है. आरबीआइ की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बढ़ते तापमान और मानसून की बारिश के बदलते पैटर्न के कारण जलवायु परिवर्तन से 2050 तक अर्थव्यवस्था को अपने सकल घरेलू उत्पाद का 2.8 प्रतिशत नुकसान हो सकता है और इसकी लगभग आधी आबादी के जीवन स्तर में गिरावट आ सकती है. इसके अतिरिक्त, विश्व बैंक की 2022 की रिपोर्ट के हवाले से आरबीआइ ने कहा कि 2030 तक गर्मी के कारण उत्पादकता में गिरावट के चलते वैश्विक स्तर पर अनुमानित तौर पर आठ करोड़ नौकरियां जा सकती हैं, जिनमें से तीन करोड़, 40 लाख भारत में हो सकती हैं. विश्व आर्थिक मंच की 2024 में आयी एक रिपोर्ट में भी हीटवेव और जलवायु परिवर्तन के वैश्विक प्रभावों पर प्रकाश डाला गया था, जिसमें जलवायु संकट के कारण 1.45 करोड़ (14.5 मिलियन) लोगों के मारे जाने और 12.5 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिक हानि की भविष्यवाणी की गयी थी.
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