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डॉ राममनोहर लोहिया ने 1962 में ही बता दिया था झारखंड में कब होगा आदिवासियों का राज

Ram Manohar Lohia : डॉ राममनोहर लोहिया देश के एक ऐसे नेता थे, जिनके विचारों को जीवनकाल में उतना महत्व नहीं दिया गया, जितना उनकी मृत्यु के बाद दिया गया. उन्होंने समाज के उन लोगों के विकास की बात की जो हाशिए पर थे. इसके लिए उनके पास विजन था. उन्होंने 1962 में ही यह बता दिया था कि जब कभी झारखंड अलग राज्य बनेगा, उसपर आदिवासियों का शासन स्थापित होने में 15–20 वर्ष का समय लगेगा.

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Ram Manohar Lohia : डॉ राममनोहर लोहिया देश के प्रमुख राजनीतिक चिंतक थे. उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त विषमताओं को देखते हुए सामाजिक न्याय की वकालत की थी. उनका यह मानना था कि कोई भी देश तभी लोककल्याणकारी कहला सकता है, जब वहां हर वर्ग के लोगों को विकास का समान अवसर मिले और सभी को अपनी क्षमता विकसित करने का अवसर सुलभ हो.डॉ राममनोहर लोहिया ने जिस सामाजिक न्याय की वकालत की उसमें हाशिए पर मौजूद लोगों को प्रमुखता दी गई थी, जिनमें पिछड़ा वर्ग, आदिवासी, दलित और महिला शामिल थे.

आदिवासियों को लेकर क्या थी डॉ राममनोहर लोहिया की राय

भारत जब आजाद हुआ था, उस वक्त समाज के हर वर्ग को विकास का समुचित अवसर नहीं मिला था. समाज का कई वर्ग जिनकी आबादी बड़ी थी वे विकास से दूर थे. इसी को देखते हुए लोहिया जी ने उनके विकास की बात कही. आदिवासियों के विकास के लिए उन्होंने देश के आदिवासियों को एकजुट करने की बात कही थी. वरिष्ठ पत्रकार और प्रभात खबर के पूर्व कार्यकारी संपादक अनुज सिन्हा ने बताया कि लोहिया जी यह चाहते थे कि पूरे देश के आदिवासी एक हो जाएं, ताकि उनकी बात मजबूती से देश के सामने आए. उन्होंने यह भी कहा था कि बरवाडीह से चिरमिरी जो अब छत्तीसगढ़ में है, वहां तक रेलवे लाइन बिछाई जाए, ताकि आदिवासी एकजुट हो सकें. चिरमिरी एक आदिवासी बहुल शहर है, जहां आदिवासियों की संख्या 50% है.

झारखंड में आदिवासी राज को लेकर की थी भविष्यवाणी

डॉ राममनोहर लोहिया शुरू से पिछड़े तबके की आवाज बने. जिस वक्त वे सांसद थे झारखंड अलग राज्य का आंदोलन जोर पकड़ रहा था. उस वक्त उन्होंने 1962 में यह बात कही थी कि झारखंड अलग राज्य बनना चाहिए. उन्होंने यह कहा था कि जिन लोगों का देश की राजनीति पर प्रभाव है, वे कभी भी अलग राज्य बनने नहीं देंगे. यहां तक कि मेरी अपनी पार्टी के लोग भी इसका विरोध करेंगे. अनुज सिन्हा बताते हैं कि लोहिया जी ने झारखंड गठन के वर्षों पहले ही यह बता दिया था कि अगर राज्य बना, तो मैं उसका समर्थन करूंगा, लेकिन यह भी सच है कि जब राज्य बनेगा उसके 15-20 साल तक वहां के आदिवासियों का राज कायम नहीं होगा. राजनीति पर अपना प्रभाव जमाकर रखने वाले ही झारखंड की सत्ता पर कायम रहेंगे, लेकिन 15-20 साल बाद ही सही, जिन लोगों ने राज्य के लिए संघर्ष किया, उन्हें उनका हक मिलेगा. उनकी यह बात झारखंड में पूरी तरह सच साबित हुई है. झारखंड का गठन 2000 में हुआ था और 2019 में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो की सरकार बनी. डॉ राममनोहर लोहिया भविष्यवक्ता नहीं थे, बल्कि वे देश को, यहां के समाज को और राजनीति को जानते समझते थे, जिसके आधार पर उन्होंने यह बात कही थी.

बेहतरीन वक्ता थे लोहिया, झारखंड के मुद्दों को हमेशा सदन में उठाया

डॉ राममनोहर लोहिया भारतीय राजनीति के बेहतरीन वक्ता थे. जब वे बहस करने के लिए खड़े होते थे, तो कोई उनके सामने टिक नहीं पाता था. उन्होंने झारखंड के मुद्दों को हमेशा जोरदार तरीके से सदन में उठाया. वे प्रश्न करने में कभी पीछे नहीं हटते थे. खरसावां गोलीकांड, एचईसी, बोकारो स्टील सिटी के मुद्दों को वे हमेशा उठाते थे. उन्होंने सदन में हमेशा हिंदी में बहस करने की वकालत की और लाल बहादुकर शास्त्री तक को इसके लिए मजबूर किया था.

लोहिया का सामाजिक न्याय और वर्तमान की राजनीति

डॉ राममनोहर लोहिया ने जिस दौर में राजनीति की थी, उनके विचारों को उतना महत्व नहीं मिला, लेकिन आज देश में जो राजनीति हो रही है वह पूरी तरह से लोहियावाद पर केंद्रित है. लोहिया ने जिस सामाजिक न्याय की बात देश में की और जाति आधारित भेदभाव मिटाने की बात की थी, वह सबकुछ देश में हो रहा है और दिख भी रहा है. वे सबके लिए समान अवसर और क्षमता विकास की बात करते थे, आज देश में वही बात की जा रही है. लोहिया की दूरदृष्टि बहुत ही कारगर थी. 

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