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Paracetamol : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को यह बयान दिया है कि गर्भवती महिलाओं को टाइलेनॉल यानी पैरासिटामोल का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे गर्भ में पल रहे बच्चे को ऑटिज्म का खतरा हो जाता है. डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान ने चिकित्सा जगत में हड़कंप मचा दिया है और विशेषज्ञों ने उनके इस बयान की निंदा भी की है. ट्रंप यह दावा कर रहे हैं कि अमेरिका में ऑटिज्म का जो खतरा बढ़ रहा है, उसके लिए काफी हद तक पैरासिटामोल का सेवन है. ट्रंप के इस नए दावे के पीछे नए रिसर्च का हवाला दिया जा रहा है, जबकि विशेषज्ञ उनके इस दावे को गलत बताकर खारिज कर रहे हैं.
पैरासिटामोल क्या है?
पैरासिटामोल जिसे एसिटामिनोफेन भी कहा जाता है एक एक्टिव केमिकल कपाउंड है. इसका मुख्य काम बुखार को कम करना और दर्द से राहत दिलाना है. आमतौर इसका प्रयोग सिरदर्द, बदन दर्द, पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द और सर्दी जुकाम में किया जाता है. इसे एक सुरक्षित दवा के श्रेणी में रखा जाता है. पैरासिटामोल को अन्य दर्द निवारक इबुप्रोफेन या एस्पिरिन से अलग और सुरक्षित माना जाता है क्योंकि यह पेट पर ज्यादा असर नहीं डालती है और खून पतला करने का काम भी नहीं करती है.
रांची की प्रसिद्धि चिकित्सक डाॅ रूपाश्री जो आईवीएफ पर ज्यादा काम करती हैं, उन्होंने बताया कि एक डाॅक्टर दवाइयों को उनकी कैटगरी के आधार पर ही अपनी मरीजों को देता है. पैरासिटामोल एक ऐसी दवा है, जिसे कैटेगरी बी में रखा गया है. यह कैटेगीर सुरक्षित मानी जाता है. हां, यह संभव है कि अगर कोई मरीज इस दवा को अपने मन से लेता है, तो उसे कुछ नुकसान हो जाए, लेकिन अगर वह डाॅक्टर की सलाह पर ऐसा करता है,तो पैरासिटामोल को एक सुरक्षित दवा की श्रेणी में रखा जाता है. जब किसी व्यक्ति को बुखार होता है तो उसके शरीर में प्रोस्टाग्लैंडिन रसायन की मात्रा बढ़ जाती है, जिसकी वजह से तेज दर्द महसूस होने लगता है और शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है. जब एक मरीज पैरासिटामोल लेता है तो यह दवा COX एंजाइम को रोकता है, जिससे प्रोस्टाग्लैंडिन का उत्पादन कम हो जाता है और मरीज को बुखार और दर्द से राहत मिल जाती है. इस दवाई का असर मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड (Central Nervous System) पर होता है.
ट्रंप के बयान पर क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ
अमेरिकी राष्ट्रपति ने पैरासिटामोल पर जो बयान दिया है, उसके बाद से विशेषज्ञों में यह बहस चल रही है कि क्या पैरासिटामोल ऑटिज्म की वजह है या नहीं? The New York Times में छपी खबर के अनुसार पिछले 25 वर्षों में संयुक्त राज्य अमेरिका में ऑटिज्म के मामलों में काफी वृद्धि हुई है, लेकिन ऑटिज्म के विशेषज्ञों का कहना है कि यह वृद्धि बीमारी में बढ़ोतरी की वजह से नहीं, बल्कि जागरूकता में वृद्धि की वजह से देखी जा रही है. अखबार लिखता है कि ऑटिज्म को पहले लोग समझ नहीं पाते थे, लेकिन अब इसे समझा जा रहा है और इसका दायरा भी काफी बढ़ाया गया है. कहने का अर्थ यह है कि अब उन लक्षणों को भी ऑटिज्म की श्रेणी में शामिल कर दिया गया है, जिसे पहले साधारण व्यवहार या अन्य समस्याओं से जोड़कर देखा जाता था.

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प और श्री कैनेडी लंबे समय से सुझाव देते रहे हैं कि टीके इसमें भूमिका निभा सकते हैं, एक ऐसा सिद्धांत जिसे दर्जनों वैज्ञानिक अध्ययनों द्वारा खारिज किया जा चुका है.राष्ट्रपति ट्रंप और स्वास्थ्य सचिव रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर ने सोमवार को ऑटिज्म के संभावित कारणों पर एक बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में ऑटिज्म के लिए टीकों को तो जिम्मेदार बताया ही जा रहा है, साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि पैरासिटामोल यानी एसिटामिनोफेन भी ऑटिज्म को बढ़ाने वाले कारकों में शामिल है. उनके इस सिद्धांत को दर्जनों वैज्ञानिक अध्ययनों द्वारा खारिज किया जा चुका है.
डाॅ रूपाश्री भी यह बताती हैं कि ट्रंप जो बयान दे रहे हैं उनका वैज्ञानिक कारण अबतक तो सामने नहीं आया है. अबतक किसी भी वैज्ञानकि स्टडी में यह बात सामने नहीं आई है कि पैरासिटामोल के उपयोग से ऑटिज्म का खतरा होता है. जहां तक बात इस दवाई को गर्भावस्था में लिए जाने की है, तो अगर कोई महिला बुखार में कई घंटों तक रहे और उसे पैरासिटामोल ना दिया जाए, तो गर्भस्थ शिशु को नुकसान होगा. यह सिद्ध बात है, जबकि ट्रंप जो कह रहे हैं उसका कोई प्रमाणित आधार नहीं है. पैरासिटामोल एक सेफ दवा है, जिसे डाॅक्टर की सलाह पर लेने से कोई नुकसान नहीं होता है.
ऑटिज्म क्या है?
ऑटिज्म एक स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) है. यानी यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें बच्चे या पीड़ित व्यक्ति को अपने आसपास के लोगों से बातचीत और व्यवहार में परेशानी होती है. अगर मरीज की स्थिति गंभीर हो तो उसे बोलने और शौचालय का इस्तेमाल करने जैसे कार्यों में भी परेशानी होती है. जिन मरीजों को समस्या गंभीर नहीं होती है, उनमें यह कुछ इस तरह दिखता है जैसे बच्चा दोस्ती नहीं करता है, लोगों से दूर रहता है, ज्यादा बातचीत नहीं करता है. कोई व्यक्ति ऑटिज्म का शिकार है, यह किसी रक्त परीक्षण या मस्तिष्क स्कैन से पता नहीं किया जा सकता है, इसके लिए केवल डाॅक्टरी जांच और परिवार के लोगों द्वारा बताई गई बातें ही पर्याप्त होती हैं.
ऑटिज्म के लिए कई जीन (genes) जिम्मेदार होते हैं और इसमें सैकड़ों जीन की भूमिका होती है. ऑटिज्म के अनुवांशिक कारणों से तो होता ही है साथ ही इसके लिए गर्भवती माता के आसपास का वातावरण भी जिम्मेदार होता है. जैसे कि अगर माता वायु प्रदूषण की शिकार हो, किसी वायरल संक्रमण की शिकार हो, अधिक उम्र के माता-पिता के बच्चों को भी ऑटिज्म का खतरा होता है. प्री मैच्योर डिलीवरी और बच्चे का वजन बहुत कम होना भी बच्चे को ऑटिज्म का शिकार बना देता है.
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