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पाकिस्तानियों के पूर्वज हिंदू थे, इस सच को स्वीकार करने से डरते हैं जिन्ना के वंशज

Pakistan and Hinduism : पाकिस्तान का यह दुर्भाग्य है कि वे अपने पूर्वजों का सम्मान करना नहीं जानता या फिर वो जिस भुलावे में जी रहा है उसके टूट जाने के भय से वह अपने पूर्वजों का अपमान करता है. दरअसल पाकिस्तान का निर्माण यह कहते हुए हुआ था कि यह मुसलमानों की धरती है, यहां रहने वाले लोग भारत के हिंदुओं से अलग हैं. सच्चाई यह है कि महज 1313 साल पहले पाकिस्तान की धरती पर रहने वाले सभी लोग हिंदू या बौद्ध थे . पाकिस्तान में मौजूद मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की संस्कृति तो यही कहती है.

Pakistan and Hinduism : पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क है, जिसका निर्माण धर्म के आधार पर हुआ. एक ब्रिटिश व्यक्ति सिरिल जॉन रेडक्लिफ ने महज जनसंख्या को आधार मानकर भारत के टुकड़े कर दिए थे. उन्होंने एक सीमा रेखा बनाई जो रेडक्लिफ लाइन के रूप में जानी जाती है और इसी के आधार पर भारत और पाकिस्तान का निर्माण हुआ. इस विभाजन में जब जमीन का बंटवारा हुआ, तो यह नहीं देखा गया कि उस क्षेत्र का भूगोल कैसा है या वहां का इतिहास क्या है? बस धार्मिक आधार पर जहां मुसलमान ज्यादा थे वो क्षेत्र पाकिस्तान हुआ और जहां हिंदू ज्यादा थे, वह क्षेत्र भारत बना. चूंकि भारत का इतिहास 5 हजार साल से भी पुराना है और पाकिस्तान उस धरती पर बना है जहां विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता पनपी, तो पाकिस्तान के लोगों को उस इतिहास से खुद को कनेक्ट करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा किया नहीं.

पाकिस्तान के इतिहास और भूगोल का अंतर समझें

पाकिस्तान उस भौगोलिक क्षेत्र का नाम है, जहां का इतिहास 5000 साल से भी अधिक पुराना है. इस लिहाज से पाकिस्तान में रहने वाले लोगों का इतिहास प्रत्यक्ष रूप से उन लोगों से जुड़ा है, जो धर्म के लिहाज से या तो हिंदू या बौद्ध थे. लेकिन 1947 में जो पाकिस्तान बना, वह खुद को भारत के हिंदुओं से अलग मानता था. दो राष्ट्र का सिद्धांत देने वाले पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने बंटवारे के वक्त यही कहा था कि हिंदू और मुसलमान बिलकुल अलग-अलग इकाई हैं और ये एक साथ नहीं रह सकते हैं. इसी वजह से पाकिस्तान के लोगों के लिए यह बड़ा कठिन है कि वे अपनी ऐतिहासिक पहचान से वर्तमान या आधुनिक काल को कनेक्ट करें. मुस्लिम धर्म आधारित राष्ट्र होने की वजह से वे खुद को अरब से कनेक्ट करना चाहते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि पाकिस्तानी अरब से आए लोग नहीं हैं. देश के बंटवारे के वक्त जो लोग पाकिस्तान में थे और मुस्लिम धर्म को मानने वाले थे; उनके पूर्वज हिंदू थे और अरब से आने वाले मुस्लिम आक्रांताओं के दबाव और संपर्क के बाद उन्होंने इस्लाम स्वीकार कर लिया था. वे सभी धर्मांतरण करने वाले मुसलमान हैं.

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आक्रांताओं को मानते हैं पूर्वज, अपनों का करते हैं अपमान

पाकिस्तानियों का दुर्भाग्य यह है कि जिन लोगों ने उनके पूर्वजों सताया, उनका घरबार लूट लिया वे उनके साथ ही अपना संबंध बताते हैं. जिन आततायियों ने उनकी औरतों का अपमान किया, उन्हें अपनी हवस का शिकार बनाया उनको ही वे अपना आदर्श मानते हैं. इतिहास के जानकार अच्छी तरह से वाकिफ होंगे कि महमूद गजनवी कौन था और उसने उस धरती पर क्या किया था, जो आज पाकिस्तान के नाम से जाना जाता है. महमूद गजनवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया था. ये आक्रमण 1000 ईस्वी से शुरू हुआ और 1027 ईस्वी तक चलता रहा. गजनवी का मुख्य उद्देश्य भारत से धन लूटना था.उसने वर्तमान पाकिस्तान के पेशावर, मुल्तान जैसे क्षेत्रों को लूटा और यहां के मंदिरों को ध्वस्त किया. उसने पेशावर के राजा जयपाल को हराया था, जो निश्चित तौर पर आज पाकिस्तान में रहने वाले किसी परिवार के वंशज होंगे. लेकिन पाकिस्तानियों ने अपनी मिसाइल का नाम जयपाल नहीं गजनवी रखा है, जैसे वे भी गजनवी के साथ पाकिस्तान को लूटने आए थे. अहमद शाह अब्दाली के नाम पर भी पाकिस्तान ने मिसाइल बनाया है. अब्दाली भी वह व्यक्ति है जिसने 1748 से 1769 के बीच भारत पर कुल नौ बार आक्रमण किया. पाकिस्तानियों के पूर्वजों को लूटा और उनके धर्म स्थल तोड़े, लेकिन पाकिस्तानी अब्दाली के गुण गा रहे हैं अपने पूर्वजों को भूल चुके हैं. इतना ही नहीं जो हिंदू पाकिस्तान में बचे हैं, उनके साथ भी पाकिस्तान में दुर्व्यवहार होता है.

पाकिस्तान की धरती पर इस्लाम तब आया, जब लुटेरे आए

पाकिस्तान की धरती पर इस्लाम का आगमन तब हुआ था जब लुटरे मुहम्मद बिन कासिम ने भारत पर हमला किया. पाकिस्तानी इस बात से तो इनकार नहीं कर सकते हैं कि वे भारत का हिस्सा थे और 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान बना है, कहने का आशय यह है कि मुहम्मद बिन कासिम ने 712 ईस्वी में जब भारत पर आक्रमण किया, तो पहला हमला पाकिस्तान की छाती पर हुआ और भारतवासियों का पहला खून इसी धरती पर गिरा. सऊदी अरब के मुहम्मद बिन कासिम ने भारत पर हमला किया था और सिंध (जो आज का पाकिस्तान है) को कब्जे में ले लिया था. अपनी जीत के बाद कासिम ने हारे हुए राजा दाहिर और उनके क्षेत्र के रहने वालों को जबरन इस्लाम धर्म कबूल करवाया था. कासिम की नजर भारत के पैसे और सत्ता पर तो थी ही, उसका उद्देश्य इस्लाम का प्रचार करना भी था. इसी दौरान पाकिस्तान में इस्लाम आया, उससे पहले आज के पाकिस्तानी भगवान शंकर की पूजा करते थे या फिर गौतम बुद्ध के अनुयायी थे.

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Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक मुद्दे, इतिहास, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

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