OTT Platform: प्राचीन समय से नाटक, कहानी, गीत-संगीत, हास्य-विनोद के जरिये मनुष्य अपना मनोरंजन करता रहा है. यह सामग्री जब बिना कहीं जाए, आपके घर में ही महज एक क्लिक से मिलने लग जाए, वह भी एक निर्धारित शुल्क चुका कर. कई बार तो नि:शुल्क भी. ऐसे में भारतीय ओटीटी बाजार को बढ़ने को कौन रोक सकता है भला.
इन कारणों ने बढ़ाया दिया है भारतीय ओटीटी प्लेटफॉर्म को
बीते कुछ वर्षों में भारत दुनिया के सबसे बड़े ओटीटी स्ट्रीमिंग बाजारों में से एक के रूप में उभरा है. हाइ-स्पीड इंटरनेट की उपलब्धता, किफायती डाटा प्लान और स्मार्ट उपकरणों के साथ, ओटीटी प्लेटफार्मों ने देश में मनोरंजन के उपभोग में क्रांति ला दी है. भारत में ओटीटी विकास को गति देने वाले कुछ प्रमुख कारक निम्न हैं :
- किफायती मोबाइल डाटा और 5जी के विस्तार से स्ट्रीमिंग सेवाएं अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी सुलभ हो गयी हैं.
- तेलुगु, तमिल, बंगाली, पंजाबी समेत तमाम क्षेत्रीय भाषाओं में सामग्री की बढ़ती मांग ने भी ओटीटी विकास को गति दी है. आज अनेक क्षेत्रीय भाषाओं में सामग्री उपलब्ध है.
- लोगों की देखने की आदत बदल गयी है. पारंपरिक केबल टीवी की तुलना में ऑन-डिमांड स्ट्रीमिंग को प्राथमिकता मिल रही है.
- अधिकतर घरों में स्मार्ट टीवी आने से ओटीटी सब्सक्रिप्शन को बढ़ावा मिला है.
- आज बड़े बजट की फिल्में और वेब सीरीज का प्रीमियर सीधे स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर हो रहा है. इस चलन ने भी ओटीटी बाजार को बढ़ावा दिया है.
क्या है ओटीटी प्लेटफॉर्म
‘ओवर द टॉप’ प्लेटफॉर्म को ही संक्षिप्त और आम भाषा में ओटीटी प्लेटफॉर्म कहा जाता है. असल में यह प्लेटफॉर्म कुछ अन्य प्लेटफॉर्मों की मदद से हमारे मोबाइल, टैबलेट, कंप्यूटर, लैपटॉप और स्मार्ट टीवी पर फिल्म और टीवी से जुड़ी सामग्री, कार्यक्रम के साथ ही वेब सीरीज, खेल से जुड़े कंटेंट उपलब्ध कराता है. इन कार्यक्रमों को देखने के लिए उपग्रह सेवा या केबल कनेक्शन की जगह इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत होती है. दूसरे शब्दों में कहें, तो ओटीटी एक ऐसी वितरण प्रणाली है, जो इंटरनेट के जरिये सीधे उपभोक्ता को उसकी मांग के आधार पर ऑडियो या वीडियो उपलब्ध कराती है. कुछ ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कंटेंट देखने के लिए हमें भुगतान करना पड़ता है. वहीं, कुछ प्लेटफॉर्म ऐसे भी हैं जहां हमें कुछ या फिर सारा कंटेंट निःशुल्क मिल जाता है.
ओटीटी प्लेटफॉर्म के प्रकार
ओटीटी प्लेटफॉर्म को दो भागों में बांटा जा सकता है- ऑडियो ओटीटी और वीडियो ओटीटी. जब हम ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कोई गाना, कहानी, भजन, गजल आदि सुनते हैं, तो यह सब कंटेंट ऑडियो ओटीटी कहलाता है. इसमें आप इमेज या फोटो तो देख सकते हैं, पर वीडियो नहीं. इस प्लेटफॉर्म को एओडी यानी ऑडियो ऑन डिमांड कहा जाता है. जबकि वीडियो ओटीटी में ऑडियो के अतिरिक्त वीडियो भी होता है, जिसके जरिये हम आवाज सुनने के साथ-साथ कंटेट भी देख सकते हैं. इस वीडियो को वीओडी, यानी वीडियो ऑन डिमांड कहा जाता है.
ऑडियो ओटीटी : यह प्लेटफॉर्म भी दो तरह का होता है जिन्हें फ्री या पेड कहा जा सकता है. फ्री ऑडियो को एएओडी, यानी एड बेस्ड ऑडियो ऑन डिमांड और पेड ऑडियो को एसएओडी, यानी सब्सक्रिप्शन ऑडियो ऑन डिमांड कहा जाता है. एएओडी पर आप संगीत या जो भी कंटेंट सुनते हैं, उसके लिए कोई शुल्क नहीं चुकाना होता है, पर बीच-बीच में विज्ञापन देखना होता है. ये एप विज्ञापनों के जरिये ही पैसा कमाते हैं और ऑडियो कंटेंट उपलब्ध करवाते हैं. एसएओडी पेड प्लेटफॉर्म है. यहां आपको ऑडियो कंटेंट सुनने के लिए सब्सक्रिप्शन लेना पड़ता है. किसी भी एप का सब्सक्रिप्शन लेने के लिए एक तय समय के लिए निर्धारित शुल्क चुकाना होता है. यहां आपको गाना या अन्य कंटेंट सुनने के बीच में विज्ञापन देखने की मजबूरी नहीं होती है.
वीडियो ओटीटी : वीडियो प्लेटफॉर्म तीन तरह के होते हैं- एवीओडी, यानी एड बेस्ड वीडियो ऑन डिमांड, एसवीओडी, यानी सब्सक्रिप्शन बेस्ड वीडियो ऑन डिमांड और टीवीओडी, यानी ट्रांजैक्शनल वीडियो ऑन डिमांड. एवीओडी निःशुल्क वीडियो उपलब्ध कराता है, और वीडियो के बीच-बीच में विज्ञापन से दो-चार होना पड़ता है. इसका सबसे अच्छा उदाहरण यूट्यूब है. एसवीओडी में आप एक तय राशि लेकर निर्धारित समय के लिए एप का सब्सक्रिप्शन खरीद सकते हैं और अपनी मनपसंद मूवी, सीरीज या शो देख सकते हैं. नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, हॉटस्टार, जी5, अल्ट बालाजी कुछ बेहद लोकप्रिय एसवीओडी हैं. इन दिनों इस ओटीटी प्लेटफॉर्म की मांग तेजी से बढ़ी है. टीवीओडी एक ऐसा वीडियो प्लेटफॉर्म है, जहां आप एक बार शुल्क देकर किसी डिजिटल कंटेंट को केवल एक बार ही देख सकते हैं.
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