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New Labour Codes: अंतत: नरेंद्र मोदी सरकार ने इच्छाशक्ति दिखाई है और पिछले 5-6 साल से फंसे हुए श्रम सुधार कानून को लागू करने के लिए 21 नवंबर को अधिसूचना यानी नोटिफिकेशन जारी कर दिया. नरेंद्र मोदी सरकार ने लेबर कानून को सरल और ज्यादा व्यावहारिक बनाने के लिए संसद से 2019 और 2020 में ही नए लेबर कोड को पारित करवा लिया था, लेकिन इसे लागू करने में थोड़ा संकोच कर रही थी, लेकिन शुक्रवार को सरकार ने इस कोड को लागू करने का आदेश जारी कर दिया. इस कोड के लागू होने से ना सिर्फ प्राइवेट सेक्टर के स्थायी, बल्कि कॉन्ट्रैक्ट और फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को भी लाभ होगा.
क्या है नया लेबर कोड?

केंद्र द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के लिए लेबल सुधारों को आगे बढ़ाया है. लेबर कानून में सुधार के लिए सरकार ने चार नए कोड लागू किए हैं, जो देश में पहले से मौजूद 29 लेबर कानूनों की जगह लेंगे. दरअसल सरकार ने सभी 29 कानूनों को मिलाकर चार नए लेबर कोड बनाए हैं, जिनमें इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि कानून कर्मचारियों के लिए लाभ देने वाले हों, ताकि कार्यक्षेत्र में उनका शोषण ना हो, उन्हें सम्मानित वेतन मिले साथ ही उन्हें सामाजिक सुरक्षा भी प्राप्त हो. देश में लागू हुए चार लेबर कोड इस प्रकार हैं-
- वेतन संहिता, 2019 (Code on Wages, 2019)
- सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 (Social Security Code, 2020)
- औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 (Industrial Relations Code, 2020)
- ओएसएच और कार्य शर्तें संहिता, 2020 (OSH & Working Conditions Code, 2020)
वेतन संहिता, 2019, कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन देने और समय पर वेतन देने की व्यवस्था करवाएगी. जबकि सामाजिक सुरक्षा संहिता कर्मचारियों को पीएफ, ESIC, ग्रेच्युटी और बीमा का लाभ दिलाएगी. औद्योगिक संबंध संहिता में कर्मचारियों की नियुक्ति उनकी छंटनी, सहित अन्य नियमों पर बात की गई है, चौथे कोड में काम की सुरक्षा और वर्किंग कंडीशन को बेहतर बनाने पर बात की गई है. कर्मचारी जहां अपने अधिकारों को आसानी से समझ पाएंगे वहीं कंपनी को
झारखंड हाईकोर्ट के प्रसिद्ध अधिवक्ता निपुण बक्शी, जिन्हें लेबर और कमर्शियल कानूनों में विशेषज्ञता हासिल है, उन्होंने बताया कि नए लेबर कोड के जरिए सरकार ने कानूनों का सरलीकरण किया है. पहले देश में 29 लेबर कानून थे, जिन्हें अब चार लेबर कोड में समाहित किया गया है. इसका फायदा कर्मचारियों को तो होगा ही कंपनियों को भी होगा. उन्हें अब कंप्लायंस में दिक्कत नहीं होगी. रिटर्न फाइल करना हो या कोई और काम करना हो उन्हें आसानी होगी. छोटी कंपनियों को बंदी और छंटनी के लिए अतिरिक्त छूट दी गई है. वहीं कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन, एक साल में ग्रेच्युटी की सुविधा सहित कई अन्य सुविधाएं भी दी गई हैं. अब गिग वर्कर यानी स्विगी-जॉमैटो डिलीवरी बॉय को इन कानूनों के दायरे में लाया गया है, अब उन्हें पीएफ, ESIC और सोशल सिक्योरिटी की सुविधा भी मिलेगी. महिलाओं के लिए भी यह कानून बहुत खास है. अब महिलाओं को समान काम के लिए समान वेतन मिलेगा और उन्हें सहमति के साथ रात की शिफ्ट करने की भी आजादी मिल गई है.
कर्मचारियों के लिए क्या हुआ है बड़ा बदलाव, जिसका मिलेगा फायदा?

सरकार यह चाहती थी कि निजी क्षेत्रों में काम करने वाले सभी कर्मचारियों को एक सम्मानित जीवन, कार्यक्षेत्र और वेतन मिले. इसी वजह से सरकार लेबर कोड लेकर आई है. इस कोड के आ जाने से जो बड़े बदलाव दिखेंगे वो इस प्रकार हैं-
- देश के हर कर्मचारी को मिलेगा न्यूनतम वेतन
- मासिक वेतन महीने की 7 तारीख तक देना अनिवार्य
- साप्ताहिक वेतन, सप्ताह के आखिरी कार्यदिवस पर देना अनिवार्य
- ग्रेच्युटी का लाभ अब एक साल की नौकरी पर ही मिलेगा
- अब गिग वर्कर, स्विगी-जॉमैटो डिलीवरी बॉय, टैक्सी ड्राइवर, फ्रीलांसर, ऐप-बेस्ड वर्कर को भी मिलेगा PF, ESIC और सोशल सिक्योरिटी
- महिला कर्मचारी अब हर क्षेत्र में कर सकेंगी काम, वेतन में मिलेगा समान
- सहमति के साथ महिला कर्मचारी रात की शिफ्ट में भी कर सकेंगी काम
- कर्मचारियों को सालाना फ्री हेल्थ चेक-अप की सुविधा मिलेगी
- 40 साल से अधिक आयु के कर्मचारियों को साल में एक बार स्वास्थ्य परीक्षण मुफ्त कराने की सुविधा मिलेगी
- ओवरटाइम का डबल पेमेंट किया जाएगा (सप्ताह में 48 घंटे से अधिक काम करने पर मिलेगा लाभ)
- वेतन-संरचना पुनर्गठन होगा, जिससे बेसिक + भत्ते आदि का अनुपात बदल सकता है
- जो जोखिम भरे काम करते हैं उन्हें 100 प्रतिशत हेल्थ सिक्युरिटी
कंपनी को क्या होगा फायदा?
नए लेबर कोड से सिर्फ कर्मचारियों को ही नहीं, कंपनियों को भी बहुत फायदा होगा. लेबर कानून को सरकार ने सरल बना दिया है, पहले 29 लेबर कानून थे, जिसकी वजह से कंपनियों को कंप्लायंस यानी नियमों के पालन में दिक्कत होती थी, लेकिन अब आसानी होगी. साथ ही इस कोड में सरकार ने छोटी कंपनियों के लिए बंदी और छंटनी के नियमों को उनके अनुकूल बनाया है. अब 300 कर्मचारी तक की कंपनियों को बंदी और छंटनी की स्थिति में सरकार से अनुमति नहीं लेनी होगी,पहले यह कानून 100 कर्मचारियों तक की कंपनियों पर लागू हो जाता था. कुल मिलाकर, यह कहा जाता सकता है कि नया कानून कंपनियों को, कर्मचारियों को काम पर रखने और निकालने की ज्यादा आजादी देता है.
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ग्रेच्युटी के लिए नए नियम क्या हैं?
नए लेबर कोड के अनुसार अब कोई कर्मचारी एक साल तक लगातार काम करके ही ग्रेच्युटी का हकदार हो जाएगा. पहले यह सुविधा 5 साल तक काम करने पर मिलती थी.
क्या अब गिग वर्कर्स को भी मिलेगी पीएफ की सुविधा?
हां, अब गिग वर्कर्स यानी स्वीगी- जोमेटो वालो को भी पीएफ, ESIC और सोशल सिक्योरिटी की सुविधा प्राप्त होगी.
क्या महिलाओं को रात की शिफ्ट करने की आजादी मिल गई है?
हां, अब महिलाएं ना सिर्फ रात की शिफ्ट कर पाएंगी, बल्कि वे खतरनाक माने जाने वाले क्षेत्रों में भी अपनी सहमति से काम कर पाएंगी.
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