16.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Mughal Harem Stories : मुगलों के हरम में रात होते ही छा जाता था अंधेरा, प्रेम से रातें होती थीं रोशन

Mughal Harem Stories : मुगलिया सल्तनत का शौर्य भले ही चकाचौंध से भरा हो, लेकिन उनकी रातें अंधेरी होती थीं. मुगल काल के सभी जश्न और समारोह दिन के उजाले में ही आयोजित किए जाते थे, क्योंकि उस दौर में ईंधन बहुत सीमित थे और माचिस तक का आविष्कार नहीं हुआ था.

Mughal Harem Stories : मुगल साम्राज्य को भारत के सबसे धनी और विशाल साम्राज्य की संज्ञा दी जाती है. खासकर 16वीं और 17वीं शताब्दी में यह साम्राज्य सबसे धनी माना जाता था, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि इस सबसे धनी साम्राज्य में भी रात को अंधेरे से लड़ने के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं थी. इसी वजह से मुगलों के तमाम समारोह और आयोजन दिन के वक्त आयोजित किए जाते थे.

मुगल अंधेरे से क्यों नहीं लड़ पाते थे?

मुगल साम्राज्य बेशक बहुत अमीर और क्षमतावान था, लेकिन उनकी रातें इसलिए अंधेरी होती थीं, क्योंकि उस वक्त ना बिजली थी ना ही मिट्टी के तेल के लालटेन और ना ही उस वक्त माचिस का आविष्कार हुआ था. इसकी वजह से मुगल काल में रात को रोशनी बहुत बड़ी चीज होती है. रात को रोशनी के लिए मशाल उपयोग किया जाता था, लेकिन मशाल भी बहुत सीमित संख्या में ही जलाए जाते थे. रात के वक्त रोशनी काफी होती थी, जिसकी वजह से रातों को साजिशों का खेल खूब होता था. मुगल हरम में भी कुछ खास स्थानों को छोड़कर रोशनी बंद कर दी जाती थी.

रात को रोशन के लिए क्या किया जाता था?

मुगल काल में रोशनी के लिए सूर्य ही एकमात्र साधन था. अबुल फजल (इतिहासकार और लेखक) के अनुसार किशोरी शरण लाल ने अपनी किताब The Mughal Harem में लिखा है कि जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता था, तो वे एक सफेद चमकदार पत्थर के गोल टुकड़े को, जिसे हिंदी में सूरजक्रांत कहा जाता है, सूर्य की किरणों के सामने उजागर करते हैं. फिर उसके पास रूई का एक टुकड़ा रखा जाता है, जो पत्थर की गर्मी से आग पकड़ लेता था. इस अग्नि को एक वर्ष तक एजिंगिर नामक बर्तन में संरक्षित किया जाता था, जो अग्नि पात्र होता था. दीपक जलाने वाले, मशालवाहक और घर के रसोइये इसे अपने कार्यालयों के लिए उपयोग करते हैं. दीयों और मशालों से निकलने वाली रोशनी कितनी दुर्लभ और कितनी महत्वपूर्ण थी, इस पर भी उन्होंने जोर दिया है.

Mughal-Harem-Stories
मुगल साम्राज्य

उनके शब्दों में, जब सूरज डूबता है, तो सेवक सोने और चांदी की बारह मोमबत्तीदानों पर बारह सफेद मोमबत्तियां जलाते थे. इसके अलावा कई बत्ती वाले बर्नर और वसा-बर्नर भी होते थे, जिनमें तेल की जगह वसा जलाई जाती थी. प्रत्येक बत्ती के लिए एक सेर तेल और आधा सेर रूई की अनुमति थी. शाही महल में भी ईंधन पर अत्यधिक मितव्ययिता बरती जाती थी. चांदनी का पूरा लाभ उठाया जाता था और चंद्रमा के बढ़ने या घटने के साथ मोमबत्तियों की संख्या कम या बढ़ा दी जाती थी. पूर्णिमा की रात को केवल एक मोमबत्ती जलाई जाती थी. किले और छावनी में शाही मुख्यालय को दर्शाने के लिए एक ऊंचे स्तंभ पर एक अकेला दीपक लटकाया जाता था, जिसे आकाश दीया कहा जाता था. यहां तक कि मनोरंजन और नृत्य एवं संगीत सत्र भी अर्ध-अंधेरे में आयोजित किए जाते थे.

Mughal Harem Stories : बंगाली महिलाओं के दीवाने थे मुगल बादशाह, उन्हें हरम में रखने के लिए रहते थे लालायित

हरम में रोशनी की क्या थी व्यवस्था?

मुगल काल को चित्रित करने के लिए जब आधुनिक फिल्मों में उन्हें चित्रित किया जाता है, तो रोशनी की चकाचौंध से महल जगमगता है, जबकि सच्चाई यह है कि मुगल काल में इतनी रोशनी नहीं होती थी. इतिहासकर किशोरी शरण लाल लिखते हैं कि मुगल काल में रात को रोशनी बहुत सीमित होती थी. मशालों के अलावा मोमबत्तियां, फानूस, हद फानूस (झूमर), कंवल, गंडिल, कुमकुमा आदि का उल्लेख है. रोशनी मंद रहती थी और वातावरण अर्ध-अंधेरा रहता था. अकबर और जहांगीर के समय में हरम में मुख्य रानी के कक्ष के सामने एक ऊंचे खंभे पर एक बड़ी मशाल जलाई जाती थी. औरंगजेब के समय तक, रोशनी का इंतजाम ज्यादा हो गया था. सारी रात मशालें जलाई जाती थीं, और नाजिरों को हर आने-जाने वाले की, यहां तक कि महल में होने वाली हर घटना की जानकारी दी जाती थी. एक बार जब हरम के कमरों के दरवाजे बंद हो जाते थे या पर्दे खींच दिए जाते थे, तो मशालों और मोमबत्तियों की हल्की रोशनी अंदर न जा पाने के कारण बंद कर दी जाती थी. निश्चित रूप से इसी वजह से हरम में प्रेमी जोड़े रात को मिलते थे और रोशनी से ना सही, प्रेम से रातें रोशन होती थीं.

ये भी पढ़ें : Mughal Harem Stories : राजकुमारियों की शादी कराने से डरते थे मुगल, अधिकतर राजकुमारियां आजीवन रहीं कुंवारी

Mughal Harem Stories : मुगलों को थी शराब और औरतों की लत, जहांगीर हर महीने करता था एक शादी

Mughal Harem Stories :  मुगल हरम की औरतों ने मौत की परवाह किए बिना रात के अंधेरे में प्रेम को दिया अंजाम

Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक मुद्दे, इतिहास, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel