26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

आत्महत्या राह नहीं

एक असफलता से जीवन का निर्धारण नहीं होता. जीवन बहुआयामी है. इसे यूं खो नहीं देना चाहिए.

बारहवीं कक्षा के परिणामों के आने के बाद आत्महत्या से तीन छात्रों की मौत की खबर बेहद दुखद है. बीते कई वर्षों से ऐसी घटनाएं लगातार हो रही हैं. ऐसा केवल दसवीं या बारहवीं कक्षा के नतीजों के बाद ही नहीं होता, बल्कि इंजीनियरिंग एवं मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में असफल होने के बाद भी अनेक छात्र आत्महत्या करने लगे हैं. ठीक से प्रश्नपत्र हल नहीं कर पाने या समुचित तैयारी नहीं होने पर भी छात्र हताश होकर जान देने लगे हैं.

पिछले साल जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में 13,089 छात्रों की मौत आत्महत्या से हुई थी. वर्ष 2020 में यह संख्या 12,526 रही थी. हालांकि रिपोर्ट में आत्महत्या के कारणों का स्पष्ट उल्लेख नहीं है, लेकिन इसमें बताया गया है कि 18 साल से कम आयु के 10,732 किशोरों में से 864 छात्रों ने परीक्षा में विफलता की वजह से अपनी जान दी थी.

वर्ष 2021 में आत्महत्या से मरने वाले 13,089 छात्रों में 56.51 प्रतिशत लड़के थे और 43.49 प्रतिशत लड़कियां थीं. इन आंकड़ों की भयावहता इस तथ्य से सिद्ध होती है कि मृतक छात्रों का प्रतिदिन का औसत 35 है. देश के प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थानों में भी आत्महत्या की घटनाएं आम होने लगी हैं. अनेक अध्ययनों और पर्यवेक्षणों से पता चलता है कि परीक्षा निकट आने के साथ ही छात्रों में चिंता और अवसाद बढ़ने लगता है.

हालांकि हाल के वर्षों में विद्यालय, संस्थान, सरकार और सामाजिक संस्थाओं आदि की ओर से छात्रों की काउंसलिंग करने और पढ़ाई में मदद करने तथा आवश्यक होने पर चिकित्सकीय परामर्श मुहैया कराने के प्रयास हो रहे हैं, पर ये नाकाफी साबित हो रहे हैं. अनेक कोशिशों के बावजूद अब भी हमारे देश में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरुकता बहुत कम है. गलाकाट प्रतिस्पर्धा तथा माता-पिता एवं शिक्षकों के अनावश्यक दबाव ने भी छात्रों के सामने विकट स्थिति पैदा कर दी है.

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के प्रमुख केंद्र के रूप में लोकप्रिय राजस्थान के कोटा से अक्सर आत्महत्याओं की खबरें आती रहती हैं. इंजीनियरिंग और मेडिकल में कम सीटें होने से प्रतिस्पर्धा बहुत अधिक होती है. इसी तरह स्नातक में प्रवेश के लिए भी मारामारी होती है. बहुत से अभिभावक न तो अपने बच्चों की क्षमता को ठीक से समझते हैं और न ही उसकी अभिरुचि को.

परीक्षा के समय उसकी मनोदशा से भी अनजान रहते हैं. अभिभावकों और शिक्षकों को बच्चों से सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार करना चाहिए तथा उन्हें समझाना चाहिए कि एक असफलता से जीवन का निर्धारण नहीं होता. जीवन बहुआयामी है. इसे यूं खो नहीं देना चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें