सड़क दुर्घटना देश के लिए एक गंभीर समस्या बन गयी है. यह न असमय लोगों की जानें ले रही है, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी हानि पहुंचा रही है. मंगलवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री, नितिन गडकरी ने एक कार्यक्रम में कहा कि देश में हर वर्ष 4,80,000 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें 18 से 45 वर्ष की आयु के 1.88 लाख लोग मारे जाते हैं. इस कारण भारत को हर वर्ष सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का तीन प्रतिशत नुकसान उठाना पड़ता है. यह अत्यंत गंभीर मुद्दा है. गडकरी ने यह बात नयी दिल्ली में अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स इन इंडिया (एएमसीएचएएम) के एक कार्यक्रम में कही. ‘सड़क सुरक्षा के लिए प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप : अमेरिका-भारत साझेदारी’ नाम से आयोजित इस कार्यक्रम में गडकरी ने माना कि देश के लिए सबसे गंभीर समस्या सड़क दुर्घटनाएं हैं. उपरोक्त आंकड़े चिंताजनक हैं, न केवल जन की हानि के लिहाज से, बल्कि इस लिहाज से भी कि इस उम्र के लोग श्रमबल के सर्वाधिक उत्पादक आयु वर्ग के लोग हैं. देश की अर्थव्यवस्था में इसी आयु वर्ग के लोग सर्वाधिक योगदान देते हैं.
गडकरी ने यह भी बताया कि इन दुर्घटनाओं में हर वर्ष दस हजार किशोरों को भी अपनी जान गंवानी पड़ती है. केंद्रीय मंत्री ने सड़क दुर्घटनाओं को प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दों में से एक माना. सड़क हादसों में मारे जाने वाले या घायल होने वालों में कितने ही लोग अपने घर के अकेले कमाने वाले सदस्य होते हैं, जिसका असर उनके पूरे परिवार पर पड़ता है. कमाने वाले की मौत होने, दुर्घटनाग्रस्त होने या अपंग हो जाने पर घर की आर्थिक स्थिति तो बिगड़ती ही है, स्वास्थ्य व चिकित्सा क्षेत्र पर भी बोझ बढ़ता है. इससे परिवार की क्रय शक्ति प्रभावित होती है, जो अंतत: देश की आर्थिकी को भी प्रभावित करती है. केंद्रीय मंत्री ने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) सलाहकार को सड़क दुर्घटनाओं के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया. कई बार सड़क डिजाइन में कमियों के कारण भी दुर्घटनाएं होती हैं. दुर्घटना के अन्य कारणों में लापरवाही से ड्राइविंग, तेज गति से गाड़ी चलाना, सड़क पर अनियमित गड्ढे, मोड़ और यातायात नियमों की अनदेखी भी शामिल है. किसी भी देश की प्रमुख पूंजी उसके मानव संसाधन हैं. ऐसे में दुर्घटनाओं में कमी लाना जरूरी है और इसके लिए जो भी कारण जिम्मेदार हैं, उन्हें बिना किसी देरी के दूर करने की जरूरत है. लोगों को यातायात नियमों के बारे में जागरूक करने की भी आवश्यकता है.