Pahalgam Attack : पहलगाम में आतंकी हमले ने पूरी दुनिया में पाकिस्तान के हाकिमों को कटघरे में खड़ा कर दिया है. विश्वभर के नेता इस आतंकी हमले की निंदा कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब की अपनी यात्रा छोटी कर वापस देश लौटे और रक्षा मामलों की काबीना कमेटी की बैठक की. इससे पहले भारत और सऊदी अरब ने एक संयुक्त बयान में हमले में निर्दोष नागरिकों के मारे जाने पर दुख जताया. दोनों पक्षों ने आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा की.
पहलगाम आतंकी हमले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि पाकिस्तान की शह पर भारत में आतंक फैलाने वाले आतंकी कभी भी, कहीं भी हमले को अंजाम दे सकते हैं. पूरे देश में इस हमले को लेकर आक्रोश है.
आखिर ऐसी क्या वजह थी कि आतंकी इतने हताश हो गये कि उन्होंने पर्यटक जैसे सॉफ्ट टारगेट को चुना जो कश्मीर की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा हैं. आतंकवाद के हिंसक दौर में भी कश्मीरी आतंकियों ने एक प्रकार से पर्यटन को छेड़ने की कोशिश नहीं की, क्योंकि वे जानते थे कि यदि ऐसा करेंगे तो उन्हें कश्मीरियों का आक्रोश झेलना पड़ जायेगा. पहलगाम की घटना के बाद जिस प्रकार मस्जिदों से आतंकवाद के विरुद्ध एलान हुए हैं, सड़कों पर लोग आये हैं, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पूरे देश से माफी मांगी है कि हम अपने मेहमानों की रक्षा नहीं कर पाये, उससे यह बात साबित हो रही है कि यह आतंकवादी घटना पाकिस्तान की शह पर वहीं के आतंकियों ने की होगी, जो कश्मीरियों की रीढ़ तोड़ना चाहते हैं.
पिछले कई महीने से दिल्ली से सीधे कश्मीर तक रेलगाड़ी के जल्द शुभारंभ का समाचार आने से कश्मीर पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों में खुशी की लहर थी. जबकि यही खबर सरहद पार की शह पर कश्मीर में आतंकवाद को हवा देने वाली शक्तियों के हाथ-पांव फुलाने में लगी थी. जब से कश्मीर में चुनाव के बाद लोकतांत्रिक सरकार बनी है, सरहद पार की साजिशें धूल चाटने लगी थीं. सरहद पार बलूचिस्तान में जिस प्रकार वहां की सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर किया गया है, उससे भी हमारा पड़ोसी अपनी नाकामियों से ध्यान हटाने के लिए लगातार नापाक साजिशों में लगा हुआ था. उसे लगा कि यदि कश्मीर तक रेलगाड़ी पहुंच गयी, तो कश्मीर के अवाम के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आ जायेगा और उसके आतंकी चेले-चाटे सब अपने-अपने बिलों में घुसने को मजबूर हो जायेंगे. लगातार कश्मीर में नाकाम होने के बाद आतंक के आकाओं ने निहत्थों, मासूमों को निशाना बनाने का अपना वही कायराना रास्ता चुना.
पहलगाम आतंकी हमले की हर ओर से कड़ी निंदा हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, मीरवाइज उमर फारूक समेत कश्मीर के बुद्धिजीवी अवाम और विशेष रूप से पर्यटन पर निर्भर लोगों ने हमले की कड़ी निंदा की है. गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर का दौरा किया तथा कड़े शब्दों में आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने की बात कही है. पर्यटन उद्योग से जुड़े एक कश्मीरी का कहना था कि हमारी तो रोजी-रोटी इस हमले ने छीन ली है. खबर है कि कश्मीर को लेकर पर्यटक लगातार अपनी बुकिंग कैंसिल कर रहे हैं, जिससे स्थानीय कश्मीरी की माली हालत खराब होती दिखाई दे रही है.
ज्ञात हो कि कुछ सप्ताह बाद ही अमरनाथ यात्रा शुरू होने वाली है. आतंकी हमले ने अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा को लेकर भी कई सवाल खड़े कर दिये हैं. एक और सवाल है कि आतंकियों ने आखिर वही समय क्यों चुना जब अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत में अपने परिवार के साथ मौजूद थे. क्या आतंकी और उनके आका अमेरिका को खुला चैलेंज देना चाहते हैं? यह भी ध्यान देने वाली बात है कि आतंकी हमला उस समय हुआ है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के दौरे पर सऊदी अरब में थे. ऐसा लगता है कि आतंकियों को सरहद पार से हर हाल में अपनी आतंकी कार्रवाई को अंजाम देने का हुक्म आया होगा. सवाल यह भी है कि पहलगाम जैसे पर्यटन स्थल की सुरक्षा को लेकर कहां चूक हुई है, उसे देखना होगा?
इस हमले में कश्मीर के स्थानीय आतंकियों का भी पूरा साथ मिला होगा. सरकार को इस हमले के जिम्मेदारों को हर हाल में उनके अंजाम तक पहुंचाना होगा. मैंने कश्मीर में 90 के दशक के आतंकवाद का रूप देखा है. कश्मीरी अब आतंकवाद के काले और खूनी दौर को भूलना चाहते हैं, परंतु सरहद पार के आका कश्मीरियों के दुश्मन बने हुए हैं. वे चाहते ही नहीं कि कश्मीर के लोग अमन-शांति के साथ अपना जीवन व्यतीत करें. सरकार को आतंक के असल जिहादियों को पकड़ कश्मीर के आगे बढ़ते सफर को जारी रखना होगा, ताकि कश्मीर के विकास में कोई रोड़ा न अटका सके. इस हमले का मुकाबला हम सबको मिलकर करना होगा. (ये लेखक के निजी विचार हैं.)