36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

टीके से जुड़ी अफवाहों से बचें

अफवाहों एवं गलत तथ्यों को रोकने हेतु आवश्यक है कि टीके के बारे में विश्वसनीय स्रोतों से सूचनाओं को सुसंगत एवं पारदर्शी तरीके से स्पष्ट भाषा में लोगों तक पहुंचाया जाए.

टीके से जुड़ी अफवाहों से बचें s

प्रसांता दास

प्रमुख, यूनिसेफ

झारखंड

ranchi@unicef.org

इस समय हम कोविड-19 से जूझ रहे हैं. हमें इस वायरस से संबंधित जानकारी की अधिकता की चुनौती का भी सामना करना पड़ रहा है. इनमें से कुछ गलत एवं संभावित रूप से नुकसानदायक भी हैं. प्रारंभ में ईरान में कुछ लोगों ने यह सोच कर विषाक्त मेथनॉल पीना शुरू कर दिया कि इससे कोरोना बीमारी से निजात मिलेगी. इससे सैकड़ों लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा. महामारी के दौर में गलत सूचनाओं का प्रवाह इसी प्रकार हम सबके बीच आ रहा था.

इन गलत सूचनाओं के माध्यम से जान-बूझकर लोगों को गुमराह किया जा रहा था, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘इन्फोडेमिक’ नाम दिया था. इसी प्रकार की गलत सूचनाएं पूर्व के जन टीकाकरण कार्यक्रम के दौरान भी फैलायी गयी थीं, जो कि स्वास्थ्य प्रणाली के लिए दशकों तक बड़ी बाधा बनी रहीं. इसने लाखों बच्चों की जिंदगी को खतरे में डाल दिया था. वर्तमान में जो अंतर दिखता है, वह है सूचना का फैलाव एवं वातावरण. वायरस के बारे में बहुत कुछ अज्ञात था और लोग इससे डरे हुए थे. गलत सूचनाओं ने उसे और भी अविश्वसनीय स्तर तक पहुंचा दिया था.

अब महामारी के खात्मे के लिए टीका विकसित कर लिया गया है और बड़े स्तर पर टीकाकरण की शुरुआत हो गयी है. इसके खिलाफ भी गलत सूचनाओं का प्रचार-प्रसार शुरू हो गया है. भ्रम फैलाया जा रहा है कि वैक्सीन से हमारे शरीर में ट्रैकेबल माइक्रोचिप्स डेवलेप होगा, जिससे हमारी जानकारी चोरी की जायेगी या इससे लोग नपुंसक हो सकते हैं, इत्यादि. सोशल मीडिया में चर्चा शुरू हो गयी कि कुछ टीका निर्माताओं द्वारा एम-आरएनए तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, जो कि शरीर के डीएनए को बदल देगा.

ये बेबुनियाद और बेसिर-पैर की बातें हैं. अगर समय पर नहीं रोका गया, तो यह लोगों की धारणाओं एवं निर्णय को भी प्रभावित करेगा. अफवाहों एवं गलत तथ्यों को रोकने हेतु आवश्यक है कि टीके के बारे में विश्वसनीय स्रोतों से सूचनाओं को सुसंगत एवं पारदर्शी तरीके से स्पष्ट भाषा में लोगों तक पहुंचाया जाए. लोगों को यह जानने का अधिकार है कि वैक्सीन में क्या है या कैसे लगाया जायेगा और यह शरीर में कैसे काम करेगा? साथ ही क्या दुष्प्रभाव हो सकता है और उसका तुरंत निदान कैसे किया जायेगा?

वास्तव में, टीकाकरण के मामले में विशेष जानकारी की जरूरत हो सकती है, क्योंकि इसकी एक से अधिक खुराक है. एक व्यक्ति के लिए यह टीका हेतु रजिस्ट्रेशन कराने से लेकर शरीर में इम्युनिटी विकसित होने तक की एक लंबी यात्रा है. इसमें टीकाकृत लोग अपने जो अनुभव सोशल मीडिया एवं अन्य प्लेटफार्मों पर साझा करेंगे, उससे लाखों लोग प्रभावित होंगे.

यह यात्रा शुरू होने से पहले ही विश्वसनीय जानकारी के लिए कई टच प्वाइंट से गुजरेगी, जिसकी पूर्ति केवल सरकार द्वारा नहीं की जा सकती है. इस प्रक्रिया में स्वतंत्र लोगों, जैसे कि शिक्षाविद्, सामाजिक संगठनों को शामिल किया जाना चाहिए. बड़े कॉरपोरेट घरानों की परोपकारी शाखाओं और वैक्सीन निर्माताओं के अलावा निजी क्षेत्र के लोगों का योगदान भी महत्वपूर्ण हो सकता है.

वास्तव में, कोविड टीकाकरण अभियान की सफलता हेतु पूरे समाज को संगठित तौर पर एकजुट होकर काम करना होगा. सरकार की ओर से जारी संदेश में इस बात पर जोर दिया जाना चाहिए कि नागरिकों के लिए कोविड-19 वैक्सीन लेना या न लेना उनका स्वयं का निर्णय है. कोविड टीकाकरण के बारे में निर्णय व्यक्ति पर छोड़ने से इसे सरकार के द्वारा निर्णय नहीं थोपने के रूप में देखा जायेगा, जिससे आखिरकार टीके को लेकर अफवाह फैलाने वालों को ही मुंह की खानी पड़ेगी.

पोलियो पर हमारी जीत में समुदाय के नेताओं, सामाजिक संगठनों तथा धार्मिक प्रमुखों का बहुत बड़ा योगदान था, जिनके सहयोग से पोलियो उन्मूलन को अंजाम तक पहुंचाया जा सका. उन लोगों में से अनेक लोगों का अपने समाज में गहरा प्रभाव था. साथ ही तथ्यों को वैज्ञानिक तौर पर प्रस्तुत करके लोगों तक पहुंचाने में उनकी क्षमता भी अद्वितीय थी. हालांकि, कुछ प्रमुख लोग स्वयं गलत सूचना के स्रोत हो सकते हैं, लेकिन कई दूसरे वैज्ञानिक एवं तर्कसंगत सोच के भी हो सकते हैं, जिनकी मदद हमें इस उद्देश्य के लिए लेना चाहिए. इससे कोविड-19 टीकाकरण हेतु समाज को एकजुट करने में मदद मिल सकती है.

सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों तथा ग्रामीण इलाकों में लोगों तक प्रभावी ढंग से पहुंचने में सामाजिक नेटवर्क भी मदद कर सकता है. जानकारी को पुख्ता करने के लिए लोग मुख्यधारा की मीडिया एवं इंटरनेट पर मौजूद विशेषज्ञों का भी रुख कर सकते हैं. वैज्ञानिकों एवं वैक्सीन विशेषज्ञों को लोगों तक पहुंच बनाना चाहिए एवं टीके के प्रति उनके दृष्टिकोण को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए. सरकार के लिए आवश्यक है कि वह टीकाकरण के दौरान प्रतिकूल घटनाओं के प्रति सतर्क रहें.

प्रतिकूल घटना की निगरानी स्वास्थ्य देखभाल के न्यूनतम स्तर पर होनी चाहिए तथा ऐसी घटना की स्थिति में तुरंत ही स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराया जाना चाहिए. झारखंड में सरकार नये उपकरणों के साथ कोल्ड चेन क्षमता में भी वृद्धि कर रही है. पूर्वी सिंहभूम में नये क्षेत्रीय वैक्सीन स्टोर की स्थापना की जा रही है. टीकाकरण का यह अभियान सभी स्टेकहोल्डर्स के लिए एक दुर्लभ अवसर है, जहां वे संदेश दे सकते हैं कि लोगों के स्वास्थ्य एवं देखभाल को लेकर वे एकजुट हैं. यह न केवल महामारी के खिलाफ, बल्कि लोकतंत्र के लिए भी एक सच्ची जीत होगी.

Posted By : Sameer Oraon

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें