24.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

प्रवासी भारतीयों की कमाई

भारत के 1.80 करोड़ लोग दूसरे देशों में काम करते हैं, जो हमारी कुल आबादी का 1.3 प्रतिशत है.

प्रवासियों द्वारा अपनी कमाई देश वापस भेजने के मामले में भारत फिर पहले स्थान पर आ गया है. संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में विदेशों में कार्यरत भारतीयों ने 111 अरब डॉलर से अधिक रकम देश को भेजा था. विप्रेषित धन का सौ अरब का आंकड़ा छूने और पार करने वाला भारत पहला देश बन गया है. यह उपलब्धि प्रवासी भारतीयों की दक्षता और उनकी बढ़ती कमाई को इंगित करती है. इससे पहले 2010, 2015 और 2020 में भी भारत में सबसे अधिक कमाई आयी थी.

भारत के अलावा मेक्सिको, चीन, फिलीपींस और फ्रांस इस मामले में शीर्ष के देशों में हैं. देश आने वाली कमाई विदेशी मुद्रा भंडार में उल्लेखनीय योगदान करती है तथा प्रवासियों के परिवार के जीवन-स्तर को बेहतर करने में बड़ी भूमिका निभाती है. साल 2020 में देश में 83.15 अरब डॉलर की राशि आयी थी, जो 2022 में 111.22 अरब डॉलर हो गयी. इसका अर्थ है कि भारत से अधिक संख्या में लोग काम करने भी जा रहे हैं और उनकी आमदनी भी बढ़ रही है. रिपोर्ट का आकलन है कि भारत के 1.80 करोड़ लोग दूसरे देशों में काम करते हैं, जो हमारी कुल आबादी का 1.3 प्रतिशत है.

दुनिया में सबसे अधिक प्रवासी भी भारतीय हैं, जिनमें से अधिकतर संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और सऊदी अरब में कार्यरत हैं. प्रवासन के गंतव्य देशों की सूची में भारत 13वें स्थान पर है. हमारे देश में 44.8 लाख विदेशी प्रवासी हैं. निश्चित रूप से अधिक भारतीय कामगारों का विदेशों में काम करना संतोषजनक है. आबादी में बड़ी संख्या में युवाओं के होने के कारण इसमें आगामी वर्षों में लगातार बढ़ोतरी की संभावना है. आम तौर पर प्रवासियों द्वारा भेजी गयी रकम के मामले में चीन पहले पायदान पर रहता आया है, लेकिन आबादी में युवाओं का अनुपात कम होने और जन्म दर घटने से वह पीछे होने लगा है. विदेशों में भारतवंशी भी बड़ी संख्या में बसे हैं.

दूसरे देशों में भारत एवं भारतीयों को सम्मान से देखा जाता है. विभिन्न देश अपने विकास में भारतीयों के योगदान को आभार के साथ स्वीकार भी करते हैं. यह एक अनुकूल स्थिति है, जिसका पूरा लाभ भारत को उठाना चाहिए. इसके साथ-साथ कामगारों की परेशानियों पर भी समुचित ध्यान दिया जाना चाहिए. बहुत से कामगारों को देश में आवश्यक प्रशिक्षण नहीं मिला पाता. ऐसे में उनकी पगार और सुविधाएं प्रभावित होती हैं. उन पर प्रवासन खर्च, एजेंटों के कमीशन आदि का भार भी होता है. इसके अलावा, अनेक गंतव्य देशों में उन्हें शोषण, भेदभाव, काम के अधिक बोझ, सुविधाओं की कमी आदि से जूझना पड़ता है. संबद्ध देशों से बातचीत कर इन मुश्किलों का हल निकालने की कोशिश की जानी चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें