29.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

भारत के लिए चुनौतियां

प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद और देश छोड़ने के बाद भी हिंसा का दौर थमा नहीं है, बल्कि वह उग्र ही होता जा रहा है. पुलिस हड़ताल पर है और ऐसा लगता है कि सेना हिंसक प्रदर्शनकारियों को काबू में करने में हिचक रही है.

Bangladesh Violence: बीते कई दशकों में बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध उत्तरोत्तर बेहतर हुए हैं. द्विपक्षीय संबंधों को लेकर हमारे देश में कभी कोई राजनीतिक मतभेद भी नहीं रहा है. भारत में सरकार चाहे किसी दल या गठबंधन की हो, बांग्लादेश हमारा निकटतम पड़ोसी बना रहा है. इस पृष्ठभूमि में वहां जारी राजनीतिक अस्थिरता और हिंसक घटनाएं अनेक कारणों से भारत के लिए चिंताजनक हैं. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में जानकारी दी है कि भारतीय उच्चायोग के माध्यम से सरकार वहां मौजूद भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है.

साथ ही, सरकार बांग्लादेश के अधिकारियों के भी संपर्क में है. बांग्लादेश में लगभग 19 हजार भारतीय हैं, जिनमें नौ हजार के करीब छात्र हैं. जुलाई में बहुत से छात्र देश वापस आ गये हैं. भारत सरकार बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को लेकर भी चिंतित है. विदेश मंत्री ने बांग्लादेश के उन समूहों और संस्थाओं की सराहना की है, जो अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में जुटे हैं. परस्पर संबंधों के बहुत अच्छे होने के कारण वहां भारत के संपर्क सूत्रों एवं केंद्रों की कमी नहीं है. राजधानी ढाका में उच्चायोग के साथ-साथ चार महत्वपूर्ण शहरों में हमारे सहायक उच्चायोग भी हैं.

प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद और देश छोड़ने के बाद भी हिंसा का दौर थमा नहीं है, बल्कि वह उग्र ही होता जा रहा है. पुलिस हड़ताल पर है और ऐसा लगता है कि सेना हिंसक प्रदर्शनकारियों को काबू में करने में हिचक रही है. ऐसे में वहां से भारत के पूर्वोत्तर में शरणार्थियों के आने की आशंकाएं भी हैं. बांग्लादेश और म्यांमार से शरणार्थी आते रहे हैं. विदेश मंत्री जयशंकर ने आश्वस्त किया है कि सीमा सुरक्षा बल को पूरी तरह सतर्क कर दिया गया है. गृह मंत्री अमित शाह ने भी पूर्वोत्तर को भरोसा दिलाया है कि चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है. भारत और बांग्लादेश की सीमा 4,096 किलोमीटर लंबी है. पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम और असम सीमावर्ती राज्य हैं.

वर्ष 2021 में जब म्यांमार में हालात बिगड़े थे, तब मिजोरम, मणिपुर और नागालैंड में बड़ी संख्या में लोगों ने शरण ली थी. आकलनों के अनुसार, मिजोरम में अभी भी 35 हजार से अधिक शरणार्थी हैं. मणिपुर में हालिया अशांति में भी यह मसला एक कारक रहा है. अनेक राज्यों, विशेषकर असम, में बांग्लादेशी शरणार्थियों का मुद्दा सामाजिक और राजनीतिक रूप से दशकों से संवेदनशील रहा है. यह मसला हिंसा की वजह भी बना है. वे सब अनुभव बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए अब नयी आशंकाओं का आधार बन रहे हैं. सर्वदलीय बैठक और संसद में विदेश मंत्री का बयान यह इंगित करते हैं कि हमेशा की तरह हमारे देश में संवेदनशील मुद्दों पर राजनीतिक एकता बनी हुई है तथा सरकार अपने स्तर पर यथासंभव प्रयास कर रही है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें