10.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

डॉक्टरों पर ध्यान

स्वास्थ्य सेवा में लगे कर्मियों को लगातार सामान्य से बहुत अधिक देर तक काम करना पड़ रहा है. इन लोगों के साथ इनके परिवारजन भी आशंकाओं से घिरे रहते हैं.

कोरोना संक्रमण का खतरा बरकरार है और संक्रमितों की संख्या भी बढ़ रही है, लेकिन मृत्यु दर में कमी और स्वस्थ होनेवाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी संतोषजनक है. इसका मुख्य श्रेय हमारे स्वास्थ्यकर्मियों को है, जो अपनी जान जोखिम में डालकर हमें संक्रमण से छुटकारा दिलाने में लगातार लगे हुए हैं. कोरोना की रोकथाम की न तो कोई निश्चित दवा है और न ही टीका तैयार हो सका है.

डॉक्टरों व चिकित्साकर्मियों ने अपने और दूसरे देशों के अस्पतालों के अनुभवों तथा शोध व अनुसंधान में लगे वैज्ञानिकों के निर्देशों के आधार पर संक्रमित लोगों के उपचार के लिए प्रविधियां निकाली हैं, जिसकी वजह से कुल संक्रमण में बीमारी से मरनेवालों के अनुपात में लगातार गिरावट आ रही है. संक्रमण से मुक्त होनेवालों की संख्या में बढ़ती जा रही है. इस प्रयास में दुनिया के अन्य कई देशों की तरह भारत में अनेक डॉक्टर, नर्स और सहायकों ने संक्रमित होकर अपनी जान दी है.

हालांकि सरकारों की ओर से स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए जरूरी साजो-सामान मुहैया कराने की कोशिशें होती रही हैं, लेकिन संक्रमितों की बड़ी संख्या और अस्पतालों पर दबाव के कारण उन्हें पर्याप्त नहीं कहा जा सकता है. यह भी स्थापित तथ्य है कि सुरक्षा कवच के बावजूद बहुत समय तक संक्रामक वातावरण में रहने से कोरोना की चपेट में आने का खतरा बना रहता है. इन कर्मियों को लगातार सामान्य से बहुत अधिक देर तक काम करना पड़ रहा है.

इन लोगों के साथ इनके परिवारजन भी आशंकाओं से घिरे रहते हैं. कुछ ऐसे मामले सामने भी आये हैं, जहां डॉक्टर या नर्स के परिवार के सभी या ज्यादातर सदस्य कोविड-19 वायरस के शिकार हो गये. कुछ अस्पतालों से ऐसी भी खबरें आयी हैं, जहां कर्मियों को वेतन-भत्ते देने में विलंब हुआ या उनकी जरूरी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया. इस सच से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि डॉक्टर और अस्पताल हैं, तभी हम कोरोना को हराने की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं.

संक्रमण के प्रारंभ से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन्हें प्रथम पंक्ति के कोरोना योद्धा कहते आये हैं तथा कृतज्ञ देश की ओर से सेना ने उनके ऊपर फूलों की वर्षा भी की थी. लेकिन हमें यह दुर्भाग्यपूर्ण पहलू भी याद रखना चाहिए कि देश के अनेक हिस्सों से कोरोना संक्रमितों के उपचार में लगे चिकित्साकर्मियों के साथ उनके मुहल्लों व आस-पड़ोस में भेदभाव करने की घटनाएं भी हुईं.

हमारे डॉक्टर और अन्य कर्मी पहले से ही दबाव में और कम संसाधनों के साथ काम कर रहे हैं. कोरोना संकट ने इस स्थिति को बेहद गंभीर बना दिया है. ऐसे में सरकारों को अपनी घोषणाओं और वादों को मुताबिक स्वास्थ्य सेवा में लगे लोगों को भत्ता व सुविधाएं देना चाहिए. उनकी समस्याओं पर सोच-विचार किया जाना चाहिए ताकि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में वे मोर्चे पर पूरे हौसले के साथ डटे रहें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें