भारत इतनी कोशिश के बावजूद भी धर्मनिरपेक्ष नहीं बन रहा है. आखिर क्या कारण है? अभी भी कई जगहों पर जाित और धर्म के नाम पर भेदभाव किया जाता है. राजनीितक पािर्टयां धर्म और जाति पर ज्यादा ध्यान देती हैं. यहां समानता का अधिकार नहीं मिलता है.
सभी धर्म अपनी संख्या बढ़ाने के लिए अनेक उपाय कर रहे हैं. हम सभी को खुद सोचना चाहिए कि आखिर हमें इसकी जरूरत क्यों है. यदि हम सबके साथ एक जैसा व्यवहार करें, तो इसकी नौबत ही नहीं आयेगी. सरकार को भी इसके ऊपर काम करना चाहिए, क्योंकि एकता में ही बल है. और यह शांति और विकास के लिए िकसी देश के िलए बहुत ही जरूरी है.
अजीत कुमार, दुमका