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झंडा ऊंचा रहे हमारा

जनवरी की 26 तारीख न सिर्फ कैलेंडरों में, बल्कि हर हिंदुस्तानी के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है. ऊंची-ऊंची इमारतों पर तिरंगे बड़े शान से लहराये जायेंगे. गर्व होता है जब हम तिरंगे को ऊंचे से ऊंचे आसमान में लहराते देखते हैं. आखिर क्यों न हो. तिरंगा पहचान है हमारी आजादी और हमारी जम्हूरियत की. मगर […]

जनवरी की 26 तारीख न सिर्फ कैलेंडरों में, बल्कि हर हिंदुस्तानी के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है. ऊंची-ऊंची इमारतों पर तिरंगे बड़े शान से लहराये जायेंगे. गर्व होता है जब हम तिरंगे को ऊंचे से ऊंचे आसमान में लहराते देखते हैं. आखिर क्यों न हो. तिरंगा पहचान है हमारी आजादी और हमारी जम्हूरियत की.
मगर अफसोस तब होता है जब राजकीय सम्मान के नाम पर इस तिरंगे को ताबूतों पर रख दिया जाता है. बेशक देश का हर वह सपूत राजकीय सम्मान का हकदार है, जो अपनी जान देश की खातिर कुरबान कर देता है. मगर देश में कुछ ऐसी भी अर्थियां होतीं हैं जिनके ओहदे बड़े होते हैं और जिन पर तिरंगा रखने की परंपरा है.
मेरी भावना पर लोगों की सहमति हो न हो मगर झंडा ऊंचा रहे हमारा की कसमें खा कर हम उसका सार्वजनिक अपमान तो नहीं कर रहे हैं? राजकीय सम्मान अवश्य मिले, मगर तिरंगे की कीमत पर नहीं. राजकीय सम्मान की इस व्यवस्था की समीक्षा अनिवार्य है.
एमके मिश्रा, रातू, रांची

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