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नोटों की कालाबाजारी
नोटबंदी के नफा-नुकसान का हिसाब तो बाद में आयेगा, पर यह साफ है कि इससे आम लोगों, कारोबारियों और सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. नकदी के संकट के कारण न तो बैंकों और एटीएम से समुचित निकासी हो पा रही है और न ही कतारों का सिलसिला थम रहा है. कारोबारियों […]
नोटबंदी के नफा-नुकसान का हिसाब तो बाद में आयेगा, पर यह साफ है कि इससे आम लोगों, कारोबारियों और सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. नकदी के संकट के कारण न तो बैंकों और एटीएम से समुचित निकासी हो पा रही है और न ही कतारों का सिलसिला थम रहा है. कारोबारियों को लेन-देन के भुगतान में मशक्कत करनी पड़ रही है, तो बैंकों पर दबाव बढ़ रहा है. ऐसे में सरकार भी परेशानियों को कम करने की कोशिश में जुटी दिख रही है.
इन हालात में देश के अलग-अलग हिस्सों में लाखों-करोड़ों रुपये की नकदी नये नोटों के रूप में पकड़े जाने की लगातार आ रही खबरें यही संकेत दे रही हैं कि बैंकों के कामकाज में कहीं भारी गड़बड़ी है. कई शादियों या जलसों में नये नोटों के बंडल देखे जा रहे हैं, तो कहीं-कहीं रिश्वत भी नये नोटों में दी और ली जा रही है. ऐसे में सवाल स्वाभाविक है कि जब आठ नवंबर के बाद से ही ऐसे मामले सामने आने लगे थे, तो सरकारी स्तर पर नोटों की कालाबाजारी को रोकने के ठोस प्रयास क्यों नहीं किये गये?
रिजर्व बैंक ने बैंकों के साथ सख्ती क्यों नहीं की? एक तरफ लोग अपनी गाढ़ी कमाई के कुछ हजार रुपये निकालने के लिए घंटों बैंकों और एटीएम के सामने खड़े रहने के लिए मजबूर हैं, तो दूसरी तरफ कुछ लोगों को तमाम कायदे-कानूनों को परे रख बेहिसाब नकदी मुहैया करायी जा रही है. कालेधन के भ्रष्ट तंत्र को तबाह करने के इरादे से की गयी नोटबंदी का उद्देश्य ऐसी खामियों के रहते हासिल करना नामुमकिन है. यह सब तब हो रहा है, जब नोटबंदी से पैदा हुई समस्याओं के समाधान और नकदी की कमी को दूर करने के लिए की जा रही कोशिशों की उच्च-स्तरीय निगरानी सरकार और रिजर्व बैंक के द्वारा करने के दावे किये जा रहे हैं.
इस गंभीर खामी से बैंकिंग प्रणाली पर जनता के भरोसे का नुकसान हुआ है. नोटबंदी के बाद की परिस्थितियों का सामना करने की रणनीति सरकार को पहले ही बना लेनी चाहिए थी. बहरहाल, ऐसा लग रहा है कि सरकार ने ‘जब जागो तभी सवेरा’ की तर्ज पर नोटों की कालाबाजारी का संज्ञान लिया है. बीते कुछ दिनों से कुछ बैंक कर्मचारियों को पकड़ा गया है, जिन पर गलत तरीके से नोट बदलने का आरोप है.
प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार को दर्जनों बैंक शाखाओं पर छापा मारा है. वित्त मंत्रालय ने कालाबाजारी के आरोपों को गंभीरता से लेते हुए बैंकों से संबंधित दस्तावेज और रिपोर्ट भी तलब की है. घूस के एवज में अवैध तरीके से नोट बदलने के दोषी बैंक अधिकारियों को पकड़ने के साथ यह भी जरूरी है कि नकदी ठीक से लोगों तक पहुंचे, ताकि रोजमर्रा की जरूरतें पूरी हो सकें. यह बैंकिंग प्रशासन और सरकार की विश्वसनीयता से जुड़ा मसला है.
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