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आतंक पर अंकुश जरूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स नेताओं के साथ बैठक में आतंक के विरुद्ध एक स्वर में आवाज उठाने का आह्वान किया है. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि आतंक हमारी आर्थिक समृद्धि की राह में बड़ा खतरा है. पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा है कि भारत का यह पड़ोसी देश न सिर्फ […]

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स नेताओं के साथ बैठक में आतंक के विरुद्ध एक स्वर में आवाज उठाने का आह्वान किया है. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि आतंक हमारी आर्थिक समृद्धि की राह में बड़ा खतरा है. पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा है कि भारत का यह पड़ोसी देश न सिर्फ आतंकियों को पनाह देता है, बल्कि उस सोच को भी बढ़ावा देता है जो राजनीतिक लाभ के लिए आतंक को हथियार बनाने को उचित मानती है.
उड़ी में भारतीय सैन्य ठिकाने पर हमले के बाद पूरी दुनिया में पाकिस्तानी सरकार और सेना की लानत-मलानत हुई है. पाकिस्तान के भीतर भी आतंक को शह देने की नीति की घोर आलोचना हो रही है. इसके बावजूद पाकिस्तान से घुसपैठ कर कश्मीर में घुसे आतंकवादियों द्वारा हमले की अनेक वारदातें हो चुकी हैं. इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी सेना द्वारा युद्ध विराम के उल्लंघन के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. रविवार को ही तड़के नौशेरा सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से गोलीबारी की गयी है.
भारत द्वारा नियंत्रण रेखा पर किये गये सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान की ओर से युद्ध विराम की 25 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री, सेना प्रमुख और अन्य महत्वपूर्ण अधिकारियों के भारत-विरोधी बयानों से भी जाहिर है कि पाकिस्तान के रवैये में सुधार की उम्मीद करना बेमतलब है. प्रधानमंत्री मोदी ने अलग-अलग बैठकों में रूस और चीन के के राष्ट्रपतियों को भी अपनी चिंताओं से अवगत कराया है. पाकिस्तान से अपनी गतिविधियां चला रहे आतंकी सरगना मसूद अजहर पर पाबंदी लगाने का भारतीय प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में चीन की असहमति के कारण लंबित है.
हाल ही में रूसी सेना ने पाकिस्तानी सेना के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास भी किया है. इन मसलों पर भारत दोनों देशों से अपनी नाराजगी पहले भी जाहिर कर चुका है. ब्रिक्स, जी-20 और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत ने रूस और चीन के साथ सहयोग का सकारात्मक रुख अपनाया है और यह भी कोशिश की है कि इन देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाया जाये.
पिछले दिनों आतंकवाद और पाकिस्तान के मामले में भारत के कूटनीतिक प्रयासों को क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर उल्लेखनीय सफलताएं मिली हैं. आशा है कि ब्रिक्स तथा ब्रिक्स-बिम्सटेक सम्मेलनों के अंतिम निर्णयों और घोषणाओं में आर्थिक और राजनीतिक सहयोग बढ़ाने के साथ आतंक पर अंकुश लगाने तथा पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाने की ठोस पहलें भी की जायेंगी.

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