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बाज आये पाकिस्तान

उड़ी हमले के बाद भारत के कूटनीतिक कदमों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आलोचनाओं के बावजूद पाकिस्तान के रवैये में सुधार नहीं दिख रहा. भारत को अस्थिर करने के प्रयासों में तेजी पाकिस्तान की खतरनाक बौखलाहट का संकेत दे रही है. रविवार रात उड़ी से महज 50 किमी दूर कश्मीर के बारामुला में सेना और सीमा […]

उड़ी हमले के बाद भारत के कूटनीतिक कदमों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आलोचनाओं के बावजूद पाकिस्तान के रवैये में सुधार नहीं दिख रहा. भारत को अस्थिर करने के प्रयासों में तेजी पाकिस्तान की खतरनाक बौखलाहट का संकेत दे रही है. रविवार रात उड़ी से महज 50 किमी दूर कश्मीर के बारामुला में सेना और सीमा सुरक्षा बल के शिविरों पर हुए आतंकी हमले बताते हैं कि भारत के विरुद्ध उसका छद्म युद्ध जारी है. रविवार को ही गुजरात के समुद्री तट पर पाकिस्तानी नौका में सवार नौ संदिग्धों को पकड़ा गया है.
उधर, वाघा सीमा पर पाक की ओर से भारतीय क्षेत्र में पत्थर फेंके गये और दुर्भावनापूर्ण नारेबाजी की गयी. खबर है कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में सीमा और नियंत्रण रेखा पर अतिरिक्त तोपें और सैनिक भी तैनात कर रहा है. पंजाब के दीनानगर में बैलूनों के द्वारा धमकी भरे पत्र भी भेजे गये हैं. दीनानगर में भी इस वर्ष के शुरू में आतंकी हमला हुआ था.
ये घटनाएं पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, सेनाध्यक्ष राहील शरीफ और आतंकी सरगना हाफिज सईद के भड़काऊ बयानों के अनुरूप ही हैं, जिनमें भारत को अशांत रखने की बातें बार-बार कही गयी हैं. इन घटनाओं को भारत द्वारा आतंकियों के विरुद्ध की गयी ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ या पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए हो रहे कूटनीतिक प्रयासों की प्रतिक्रिया के तौर पर देखना सही नहीं होगा. असल में यह घटनाक्रम भारत को तबाह करने और कश्मीर घाटी में अलगाववाद को भड़काने की पाकिस्तान की दीर्घकालीन नीति का ही एक चरण है. इसके बावजूद भारत ने दशकों से न सिर्फ पाकिस्तान के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की लगातार कोशिशें की हैं, बल्कि हमलों की स्थिति में संयम भी दिखाया है.
पठानकोट हमले की जांच में भारत ने पाकिस्तान के साथ हर मुमकिन सहयोग का रवैया दिखाया. प्रधानमंत्री मोदी ने फिर कहा है कि भारत दूसरों की जमीन का न तो भूखा है और न ही उसने पाकिस्तान समेत किसी भी पड़ोसी के विरुद्ध कभी आक्रामक तेवर अपनाया है. भारत की यह बात पूरी दुनिया स्वीकारती है.
पाकिस्तान भले ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कहता रहे कि वह आतंक के खिलाफ है, सच्चाई यही है कि वह आतंकवादी गिरोहों और उनके सरगनाओं को खुले तौर पर प्रश्रय और सहयोग देता रहा है. दक्षिण एशिया में आतंकवाद के प्रसार में पाक सेना और सरकार के हाथ होने के सबूत बार-बार मिले हैं. इन तथ्यों के आलोक में पाकिस्तान को आतंकी राष्ट्र घोषित कराने की दिशा में कूटनीतिक प्रयास जारी रखने के साथ-साथ भारत को अपनी सुरक्षा को भी चौकस और चाक-चौबंद रखने की जरूरत है.

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