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अमेरिका और भारत की नजदीकी के मायने

अमेरिकी विदेश एवं वाणिज्य मंत्री भारत यात्रा पर. भारत के रक्षा मंत्री अमेरिका में. क्या यह समझा जाये कि भारत अब पूरी तरह से अमेरिकी गुट में शामिल हो गया है? गुटनिरपेक्ष का सिद्धांत लगता है हमारे लिए बहुपक्षीय में बदल गया है़ मास्को से हमारा ऐतिहासिक मधुर संबंध लगता है अब सुनहरी याद बन […]

अमेरिकी विदेश एवं वाणिज्य मंत्री भारत यात्रा पर. भारत के रक्षा मंत्री अमेरिका में. क्या यह समझा जाये कि भारत अब पूरी तरह से अमेरिकी गुट में शामिल हो गया है? गुटनिरपेक्ष का सिद्धांत लगता है हमारे लिए बहुपक्षीय में बदल गया है़ मास्को से हमारा ऐतिहासिक मधुर संबंध लगता है अब सुनहरी याद बन कर रह जायेगा़ जिस सामरिक साझेदारी तथा दोनों देशो के अड्डों का इस्तेमाल करनेवाले समझौते पर हस्ताक्षर हुआ है, उससे किसको फायदा है?
मुझे लगता है कि इससे केवल और केवल अमेरिका को फायदा होनेवाला है़ अमेरिका इस तरह का समझौता, सौ से अधिक देशों के साथ, सभी महाद्वीपों में, दूसरे विश्व युद्ध के बाद कर चुका है़ एशिया में उसका अड्डा पाकिस्तान, जापान, फिलीपीन्स, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब आदि देशों में पहले से मौजूद है़ वह तो ताक में था भारत के अंदर प्रवेश करने का, जो उसे आज हासिल हो गया. हां यह हो सकता है कि चीन बलुचिस्तान के मामले में जिस तरह खुलकर पाकिस्तान के समर्थन में, भारत को धमका रहा है, उससे भारत को थोड़ा सुरक्षा कवच मिल जाता है़
वह भी तब जब अमेरिका भारत को नाटो गुट के देशों जैसी सुविधा दे़ उसके अंतर्गत किसी एक सदस्य पर हुए हमले को तमाम सदस्यों पर हमला समझा जाता है़ यहां तो केवल वाणिज्यिक कारणों एवं भारत के सामरिक ठिकानों का उपयोग करने की नियत से अमेरिका भारत के करीब आ रहा है, वरना वह तो भारत का धुर विरोधी रहा है़
जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर

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