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अनिवार्य हो कैंपस प्लेसमेंट
दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही बेरोजगारी चिंतनीय है. प्रतिवर्ष असंख्य विद्यार्थी विभिन्न कॉलेजों व विश्वविद्यालयों से डिग्रियां लेकर देश में बढ़ती बेरोजगारी में अपनी सहभागिता प्रस्तुत कर रहे हैं. सिर्फ बड़े-बड़े वादों और अरबों रुपये के रोजगारोन्मुखी कार्यक्रम संचालित करने से निकट भविष्य में कुछ नहीं होने वाला. यह स्पष्ट है, क्योंकि जब योजनाएं फलीभूत होने […]
दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही बेरोजगारी चिंतनीय है. प्रतिवर्ष असंख्य विद्यार्थी विभिन्न कॉलेजों व विश्वविद्यालयों से डिग्रियां लेकर देश में बढ़ती बेरोजगारी में अपनी सहभागिता प्रस्तुत कर रहे हैं.
सिर्फ बड़े-बड़े वादों और अरबों रुपये के रोजगारोन्मुखी कार्यक्रम संचालित करने से निकट भविष्य में कुछ नहीं होने वाला. यह स्पष्ट है, क्योंकि जब योजनाएं फलीभूत होने के कगार पर होंगी, तो भ्रष्टाचार व दलाल प्रथा इन्हें अपना ग्रास बना लेंगी. ऐसी विकट परिस्थिति में जरूरत है जमीनी स्तर से समाधान ढूंढ़ने की, जो तभी संभव हो सकेगा, जब बड़ी -बड़ी डिग्रियां उपलब्ध करानेवाले हर एक कॉलेजों व विश्वविद्यालयों पर सरकार द्वारा विद्यार्थियों को इन कैंपस प्लेसमेंट कराने के लिए नकेल कसी जाये.
जरूरी नहीं की ये संस्थान सिर्फ इंजीनियरिंग/मेडिकल/मैनेजमेंट आदि की डिग्रियां उपलब्ध करानेवाले संस्थान हों, बल्कि हर उस शिक्षण संस्थान को इन कैंपस प्लेसमेंट हेतु बाध्य किया जाये, जहां से हर वर्ष विभिन्न डिग्रियां विद्यार्थियों में वितरित की जाती हैं. यह बेरोजगारी उन्मूलन के लिए एक अहम प्रयास माना जायेगा. तब एक नये भारत का निर्माण होगा.
आशुतोष चंद्र मिश्र, हजारीबाग
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