-हरिवंश-
दो माह पहले बाजार में आयी इस पुस्तक के संदर्भ में, पुस्तक कवर पर दिये नोट में एक पंक्ति है, जिसका हिंदी आशय है, युगांतकारी सामाजिक बदलावों के बीच नये सामाजिक एजेंडा पर चर्चा कठिन काम है. शायद सबसे जरूरी भी. पुस्तक का विषय है देश और परिवार. किताब का नाम ही है ‘द फैमिली एंड द नेशन’. प्रकाशक हैं, इंडिया टुडे के साथ हार्पर कॉलिंस पब्लिशर्स इंडिया. दोनों का संयुक्त प्रयास है, यह. कीमत है 250 रुपये मात्र.
लेखक हैं, दो मनीषी. दो विशिष्ट लोग. दुनिया स्तर के चिंतक और विचारक. पहले लेखक हैं, आचार्य महाप्रज्ञ. संसार के जीवित जैन चिंतकों-संतों में से एक. जैन श्वेतांबर तेरापंथ के दसवें आचार्य. दस वर्ष की उम्र में आचार्य महाप्रज्ञ ने संन्यास लिया था. आचार्य तुलसी के मार्गदर्शन में शिक्षा ग्रहण की. आचार्य तुलसी अणुव्रत आंदोलन के सूत्रधार थे. एक प्रभावकारी नैतिक आंदोलन के प्रवर्तक. आचार्य महाप्रज्ञ, भारतीय और पश्चिमी धर्मों और दर्शनों के ज्ञाता भी हैं. दूसरे लेखक हैं, भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम.
भारतरत्न कलाम, उन एकाध लोगों में हैं, जिनके पास सुंदर, समृद्ध और बेहतर भारत का विजन है. सपना है. भारत को 2020 में विकसित राष्ट्र बनाने का, उन्होंने ब्लू प्रिंट बनाया. डॉ कलाम ऐसे लोगों में से हैं, जो महज सपना नहीं देखते, सपने को धरती पर क्रियान्वित करने के लिए कर्म करते हैं. चिंतन करते हैं, महज बौद्धिक विलासिता या विद्वता के लिए नहीं, बल्कि भारत बदलने के लिए. उनके कर्म और चिंतन में एका है. भारत समेत दुनिया के लिए सबसे महत्वपूर्ण सवाल भी यही है कि दुनिया बदले कैसे? व्याख्या, लेखन, चिंतन नहीं, बदलाव के सूत्र और कर्म जरूरी हैं.
इस अर्थ में कलाम अपनी प्रिय पुस्तकों में से एक गीता के कर्म को जीते हैं. कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन्. इस अर्थ में कलाम अकेले राजनेता हैं, जो बदलाव के एजेंडा पर बात करते हैं. फिर विचार करते हैं. फिर कर्म में ढालते हैं.
पुस्तक के दोनों लेखक असाधारण हैं. धर्म, दर्शन, विज्ञान, तकनीक के विशेषज्ञ. पर इससे भी अधिक समाज और देश के लिए जीनेवाले. आज भारत में अपने लिए जीनेवालों की तादाद बहुतायत में है. रेयर (गिनेचुने)लोग समाज और देश के लिए जी रहे हैं. सोच रहे हैं. पहल कर रहे हैं या मुल्क के लिए चिंतित हैं. ये दोनों लेखक इसी कोटि के हैं.
और इन्होंने विषय चुना है, परिवार और राष्ट्र. इनकी बुनियादी मान्यता है कि सुखी, संपन्न और प्रेम में गुंथे परिवार ही मिलकर सुंदर देश बना या गढ़ सकते हैं. इकबाल ने कहा था कि बात है कुछ ऐसी कि हस्ती मिटती नहीं हमारी. क्यों? पांच हजार वर्षों से अगर भारतीय सभ्यता-संस्कृति और तहजीब जीवित है, इतने आघातों और बाहरी प्रदूषणों के बावजूद भी, तो क्या कारण है? रोम और यूनान मिट गये. फिर भी भारत जिंदा है. बचा है, तो क्यों और कैसे? दरअसल भारत की इस निंतरता और ऊर्जा के पीछे परिवार की ताकत है. आज भी भारतीय परिवार बचे हैं. बिखरे नहीं हैं.
इसलिए भारत विशिष्ट है. सुख और दुख के थपेड़ों, अकेलापन और भावना के स्तर पर बिखराव के समय, सबसे पहले परिवार ही ताकत देता है. जन्म और मृत्यु के संगीत और शोक भी, परिवार के स्तर पर ही मनाये जाते हैं. इसलिए भारत का व्यक्ति टूटता नहीं. वह परिस्थितियों से लड़ता है. मानसिक रूप से जल्द बीमार नहीं पड़ता, क्योंकि परिवार उसे सपोर्ट करता है. यह सामाजिक धन (सोशल कैपिटल) है, जिसका आकलन आर्थिक कीमत में नहीं हो सकता. इसलिए भारत गरीब होते हुए भी दुनिया के ‘हैप्पीनेस इंडेक्स’(खुशी का सूचकांक) में आगे है.
इसलिए आज भी परिवार बचे हैं, बिखरे नहीं हैं. इसलिए भारत विशिष्ट बना है. पर जो परिवार बाहरी आक्रमणकारियों की आंधी में नहीं टूटे, बिखरे या बहे, वे उपभोक्तावाद या समृद्धि की बाढ़ में बह रहे हैं. अलग-थलग पड़ रहे हैं. बंट रहे हैं. बिखर रहे हैं. 20वीं सदी के अंतिम दशक में ब्रिटेन और अमरीका में कई चुनाव परिवार बचाने के सवाल पर लड़े गये. परिवार बचाने का एजेंडा सर्वोपरि रहा. क्योंकि परिवार टूटने, बिखरने से ये समृद्ध पश्चिमी देश खोखले हो रहे हैं. सामाजिक बिखराव बढ़ रहा है. तलाक, अकेलापन, बच्चों की दुर्दशा, बच्चों में बढ़ती हिंसक प्रवृति, बूढ़ों की उदास और सूनी दुनिया, इन सबने मिलकर इन विकसित राष्ट्रों को बीमार बना दिया है, सामाजिक स्तर पर. मानसिक स्तर पर. उदासी, रुग्णता, अकेलापन और डिप्रेशन का माहौल.
आज भारत भी विकास के रास्ते पर है. पर उसे किन सवालों पर गौर करना चाहिए ताकि उसका सामाजिक ताना-बाना न बिखरे. वह महाशक्ति बने, पर अपने उल्लेखनीय संस्कार न गंवायें. यह पुस्तक इसी की बात करती है.
पुस्तक दो हिस्सों में है. पहला हिस्सा है, द इवोल्यूशन. इसमें तीन अध्याय हैं. दूसरा अध्याय है, द इंडिविज्युअल, द फेमली एंड द नेशन. इसमें भी तीन अध्याय है. पहले अध्याय के तीन भाग हैं. पहला द डायनिमिक्स आफ इंडियन कल्चर, दूसरा द इवोल्यूशनरी प्रोसेस एंड पेन, तीसरा द आइडिया आफ यूनिटी. दूसरे अध्याय में पहला चैप्टर है, क्रियेटिंग हेल्दी इंडिविज्युअल्स. दूसरा द बर्थ आफ ए ब्यूटीफुल होम. तीसरा, बर्थ आफ ए नोबल नेशन. पुस्तक में बीच-बीच में आचार्य महाप्रज्ञ और अब्दुल कलाम के बीच बातचीत है. यह बातचीत ज्ञान बढ़ानेवाला और सूचना-संपन्न है. हर अध्याय के आरंभ में अल-कुरान से लेकर दुनिया के जानेमाने संतों और दार्शनिकों के प्रेरक उद्धरण हैं.
द बर्थ आफ ए ब्यूटीफुल होम (सुंदर घर का बनना) अध्याय में लेखक-द्वय कहते हैं, परिवार समाज की लेबोरेटरी (प्रयोगशाला) है. यहीं इंसान, उसके मूल्य, विचार और संस्कार गढ़े जाते हैं. विविधता में एकता संस्कृति का पहला पाठ, परिवार में ही इंसान को मिलता है. हर इंसान का सोच और चिंतन भिन्न होता है. इस तरह भिन्नता में एकता की पहली पाठशाला परिवार ही है. लेखक मानते हैं कि आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था को समझने के लिए बड़े विचारकों ने मंथन किया है, पर मानवीय इच्छाओं और आवेगों के प्रबंध को समझने की कोशिश नहीं हुई है. इसकी सीख परिवार में ही मिलती है. पुस्तक में एक सुंदर लोक कथा है.
एक घर में औरत थी अकेले. तीन वृद्ध श्वेतधारी उसके घर आये. उस महिला ने आग्रह किया कि घर के अंदर पधारें और भोजन करें. उन्होंने पूछा कि क्या घर के मालिक घर में हैं? महिला ने जवाब दिया, नहीं. शाम को घर के मालिक आये, तो उनकी पत्नी ने तीनों अतिथियों के बारे में बताया. उन्होंने तुरंत कहा, तीनों अतिथियों को सादर घर में लाया जाये. उनकी पत्नी बुलाने गयीं. उन तीनों ने कहा कि हम तीन हैं. मैं हूं,धन-संपदा. दूसरे हैं, सफलता. तीसरे प्रेम. आप गृहस्वामी से जाकर पूछें कि वे हममें से किसे वह पहले चाहते हैं? महिला घर के अंदर गयी.
पति ने सुनकर कहा कि संपत्ति को निमंत्रित करें. पत्नी का विचार भिन्न था. उन्होंने कहा, सफलता को निमंत्रित करें. कोने में बैठी उनकी बिटिया कूद पड़ी, कहा कि घर में प्रेम को निमंत्रित करें. दोनों छोटी बिटिया की बात पर सहमत हुए. घर की मालकिन गयी. बाहर बैठे तीनों अतिथियों में से प्रेम से निवेदन किया कि आप हमारे घर चलें. प्रेम उठकर घर की ओर चले. दो और साथी संपत्ति और सफलता भी पीछे-पीछे चलने लगे. उन्होंने कहा, चूंकि आपने प्रेम को निमंत्रित किया है, जहां प्रेम होता है, वहीं हम दोनों भी रहते हैं.इस तरह पुस्तक में परिवार, समाज और देश को गढ़नेवाले प्रेरक विचार और तथ्य हैं. समाज और देश की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी और जरूरी पुस्तक है यह. परिवार के महत्व को समझने की कुंजी.