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पाक का निरर्थक विरोध

यह तो सर्वविदित है कि भारत के राजनीतिक दल चुनावी माहौल में भावनात्मक ज्वार उठा कर लोगों को अपने पक्ष में गोलबंद करने के लिए तीखे बोल बोलते हैं. लेकिन, ऐसा करते हुए दो देशों के आपसी सबंधों की संवेदनशीलता को भी न समझना और सिर्फ चुनावी राजनीति से प्रेरित होकर राष्ट्रीय मान-अपमान के प्रश्न […]

यह तो सर्वविदित है कि भारत के राजनीतिक दल चुनावी माहौल में भावनात्मक ज्वार उठा कर लोगों को अपने पक्ष में गोलबंद करने के लिए तीखे बोल बोलते हैं. लेकिन, ऐसा करते हुए दो देशों के आपसी सबंधों की संवेदनशीलता को भी न समझना और सिर्फ चुनावी राजनीति से प्रेरित होकर राष्ट्रीय मान-अपमान के प्रश्न को भी मौका मिलते ही उभारना उचित नहीं कहा जा सकता. बंटवारे का दुख झेल चुके पंजाब में फिलहाल यही हो रहा है.
पंजाब की फिजा में 2017 के विधानसभाई चुनावों का रंग घुल चुका है. ऐसे में चुनावी समर के लिए अपने-अपने किले मजबूत करने में जुटी पार्टियां किसी मसले की नजाकत पर गौर किये बिना, संवेदनशील मसले भी उभार रही हैं. पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले की तफ्तीश के लिए आये पाकिस्तान के संयुक्त जांच दल को लेकर मचे सियासी हंगामे को ही लें. यह बात ठीक है कि पांच सदस्योंवाले इस दल में पाक खुफिया एजेंसी आइएसआइ का एक सदस्य भी है.
आइएसआइ को भारत में हुए कई आतंकी हमलों का सूत्रधार माना जाता रहा है, लेकिन देखा यह भी जाना चाहिए कि यह दल भारतीय अधिकारियों की निगरानी में अपना काम कर रहा है. इस दल को रणनीतिक महत्व के बेहद गोपनीय स्थलों पर जाने की अनुमति नहीं है. इसके बावजूद पाक जांच दल के आगमन की अनुमति को शिवसेना, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे दलों ने निशाने पर लिया है.
कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन से माहौल में तनाव घुल रहा है. पठानकोट हमला जितना दुखद है, उतना ही जटिल भी. सीमा पार से होनेवाली आतंकी घुसपैठ के लिए पाक सरकार को जवाबदेह ठहराने और उसके जरिये दोषियों को सजा दिलवाने के लिए पाक के साथ सहयोग का रिश्ता जरूरी है. पाकिस्तान पहली बार ऐसे सहयोग के लिए तैयार हुआ है, वरना अब तक तो वह भारतीय जमीन पर हर बड़े आतंकी हमले के बाद अपनी जवाबदेही से यह कह कर पल्ला झाड़ता रहा है कि आतंकी ‘नाॅन-स्टेट एक्टर्स’ हैं.
साथ ही भारत द्वारा सौंपे सबूतों को नकारता भी रहा है. उसके इन दोनों रवैये की काट उसे परंपरागत शत्रु देश बता कर नहीं हो सकती, खासकर तब, जब वैश्विक आतंकवाद के निशाने पर भारत-पाक दोनों ही हों. दक्षिण एशिया में शांति के लिए विवाद के मसलों पर भारत-पाक में नजदीकी जरूरी है और जांच दल का आगमन इस नजदीकी को कायम करने में एक अहम मुकाम साबित हो सकता है, बशर्ते विपक्षी दल इसे चुनावी लाभ का मामला मान कर तूल न दें.

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