नेताओं को देश की चिंता
लगभग एक तिहाई सांसदों का बजट सत्र के बहुत जरूरी मौके पर भी संसद से गायब रहना संसदीय लोकतंत्र के साथ बड़ा क्रूर मजाक है, जिसे सहन नहीं किया जा सकता़ इससे साफ है कि हमारे इन सांसदों को जनता, देश और पार्टी की कतई कोई चिंता और परवाह नहीं है़ अन्ना आंदोलन से नेताओं […]
लगभग एक तिहाई सांसदों का बजट सत्र के बहुत जरूरी मौके पर भी संसद से गायब रहना संसदीय लोकतंत्र के साथ बड़ा क्रूर मजाक है, जिसे सहन नहीं किया जा सकता़ इससे साफ है कि हमारे इन सांसदों को जनता, देश और पार्टी की कतई कोई चिंता और परवाह नहीं है़
अन्ना आंदोलन से नेताओं में जागरूकता तो आयी, लेकिन वह अभी पूरी तरह अपना प्रभाव नहीं दिखा पायी है़ यही नहीं, हमारे नेताओं को जहां समाज को जोड़ने की नयी राह दिखानी चाहिए, वहीं इनमें से कई ऐसे हैं जो जाति-धर्म का भेद खड़ा कर समाज को तोड़ने में लगे हैं. ऐसे लोगों को सबक सिखाने के लिए जनता को जागरूक होना होगा़
वेद मामूरपुर, दिल्ली
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