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प्यार जताने के तरीके
अभी वैलेंटाइन वीक चल रहा है. प्रेमी जोड़े इस सप्ताह अपने प्यार को एक विशिष्ट तरीके से मनाते हैं. मगर बाजारीकरण के प्रभाव से प्रेम में महंगे तोहफों का और रस्मों का चलन चल पड़ा है. अभी तो प्रेम में भी उपभोक्तावादी संस्कृति घुस आयी है. प्रेम की परिभाषा सबके के लिए अलग-अलग भी हो […]
अभी वैलेंटाइन वीक चल रहा है. प्रेमी जोड़े इस सप्ताह अपने प्यार को एक विशिष्ट तरीके से मनाते हैं. मगर बाजारीकरण के प्रभाव से प्रेम में महंगे तोहफों का और रस्मों का चलन चल पड़ा है.
अभी तो प्रेम में भी उपभोक्तावादी संस्कृति घुस आयी है. प्रेम की परिभाषा सबके के लिए अलग-अलग भी हो सकती है. समय के साथ पश्चिमी आंधी से इसकी परिभाषा भी बदल गयी, जिससे शुद्ध और कोमल प्रेम के स्वरूप को आघात पहुंचता है. जब इसकी जगह मात्र आकर्षण ले लेता है, तो प्रेम से पवित्रता नष्ट हो जाती है. प्रेम काव्य में अगर हम बात करें तो राधा-कृष्ण का वह पवित्र प्रेम या फिर मीरा के उस प्रेम को जो भक्ति हो गयी, अब शाश्वत हो चुकीं हैं.
मीरा जब तक रहीं, कृष्ण नाम उनके अधरों पर रहा. उनका प्रेम संबंध आत्मा से का परमात्मा का रहा. तभी तो राधा-कृष्ण के मंदिर बन गये और वे प्रेम मे पूज्य हो गये.
-मनोरंजन मांझी, रांची
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