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चंचल सामाजिक कार्यकर्ता बैताली का नाती, ससुरा गले तक कर्जा में डूबा है, मुला हरकत से बाज नहीं आता. पूरा परिवार अपने को रामायणी कहता है, साधू-संतों को बुला-बुला कर खातिरदारी करता है, देसी घी की पूड़ी छनवायेगा और खुद मकुनी की रोटी पर रात काट लेगा. पूजा-पाठ का शौकीन है, इसलिए राजनीति में वह […]

चंचल

सामाजिक कार्यकर्ता

बैताली का नाती, ससुरा गले तक कर्जा में डूबा है, मुला हरकत से बाज नहीं आता. पूरा परिवार अपने को रामायणी कहता है, साधू-संतों को बुला-बुला कर खातिरदारी करता है, देसी घी की पूड़ी छनवायेगा और खुद मकुनी की रोटी पर रात काट लेगा. पूजा-पाठ का शौकीन है, इसलिए राजनीति में वह कीन उपाधिया के साथ है. जबसे देश में कीन की पार्टी सरकार में आयी है, कीन पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों का प्रचार उतनी तेजी से करते हैं, जितने मन से जेटली नहीं करते होंगे.

दुपहरिया में जब चौराहा सुनसान हो जाता है, लालसाहेब की चाय की दुकान बंद होती है, बोफोर्स नाई की न्यू बांबे सैलून, यानी नीम के पेड़ से लटके शीशे का मुंह पलट कर बोफोर्स अपने घर चला जाता है, तो इसी मौके पर कीन बहादुर परधान का तख्ता लाकर चौराहे पर रख देते हैं. इसी बीच बैताली का नाती सतिराम अपना डीजे, भोंपा लगा कर हेलो-हेलो बोलने लगे, तो समझिए दिल्ली से कोई स्कीम चली है, जिसे सबसे पहले कीन ने पाया है और आज उसी का प्रचार होगा.

दो बजते-बजते, ज्यों-ज्यों लोग बाजार की तरफ बढ़ना शुरू किये भोंपू की आवाज भी बढ़ती गयी. तखत पर तीन पुजारियों के साथ सतिराम मैक से बोल रहा है- भाइयों और बहनों, याद रखिए, आज यहां चौराहे पर एक बहुत बड़ी सभा होने जा रही है, इसमें सरकारी स्कीम बताया जायेगा.

उसके पहले फैजाबाद से पधारे बहुत बड़े संत कमंडल दास जी महराज सत्संग कहेंगे. एक बार जोर से बोलो भारत माता की… तखत के सामने जुटे बच्चे अलग-अलग सुर में बोले ‘जै हो’. अब नंबर आया ‘नाश’ होने का. सतिनारायन जोर से चीखा- म्लेच्छों का… सामने से आवाज आयी- जै हो. एक साधू से नहीं रहा गया. एक लड़के के पीठ पर चिमटा दे मारा. लड़का बिलबिला गया. दूसरे ने समझाया- बोलो नास हो. सतिराम बोला- धर्म का… बच्चे दोगुनी आवाज में चिल्लाये- नास हो. कमंडल दास ने दाढ़ी पर हाथ फेरा- कहां से ये हूस बच्चे पैदा हो गये भाई? बंद करो यह नारेबाजी, लाओ तब तक प्रवचन करता हूं.

कीन उपाधिया जब पहुंचे, तब तक भीड़ भी आ चुकी थी और प्रवचन ‘ब्रिंदाबन’ की गोपियों तक पहुंचा था- बरसो घनस्याम इसी बन में… फुदुक्की तेवारी को अपनी बिरादरी के घनश्याम तिवारी की याद हो गयी.

बोफोर्स नाई की कुर्सी पर कब्जा किये हरी तेली से फुदुक्की ने पूछ ही लिया- अपने तेवारी वाले घनश्याम की बात हो रही है का? ऊ तो फरार चल रहा है… एक-एक कर लोग आते गये. दुकानें सजने लगीं. उधर मैक पर सतिराम ने ऐलान किया- भाइयों और बहनों! लखन कहार से नहीं रहा गया- ससुर बहिनों कहां हैं यहां? गनीमत थी यह आवाज तख्त से दूर लालसाहेब की दुकान तक ही रह गयी, लेकिन हंसी का फव्वारा तो छूटा ही. कीन भांप गये, लेकिन मसोस कर रह गये. सतिराम आगे बढ़ा- तो आप जिसका इंतजार कर रहे थे, वह छन आ गया है. हमारे प्रिय नेता पंडित शारदा प्रसाद उपाध्याय उर्फ कीन उपाध्याय आ चुके हैं. अब अपने प्रिय नेताजी को सुनिए.

कीन ने गमछे से मुंह पोंछा, आंख बंद कर किसी की स्तुति की और शुरू हो गये- बहनों और भाइयों! समयाभाव के चलते हम बहुत कम बोलूंगा. सरकार ने नयी स्कीम बनायी है स्टार्टअप. अपनी कंपनी खोल लो. तीन साल तक न कोई जांच होगी, न टैक्स लगेगा.

जितना मर्जी उतना कमा लो. यही है स्टार्टअप… धन्यवाद! सभा विसर्जित हो गयी.

पब्लिक की राय जानना भी तो जरूरी होता है, सो कीन जनता में धंस गये. लेकिन लालसाहेब की दुकान में जमे चीर-फाड़ करनेवालों से कैसे बच सकते थे. जब तक कीन दुकान में पहुंचते, कई सवाल पहले से ही मुंह बाये खड़े मिले- स्टार्टअप की हिंदी का होती है? पैदा होते ही हिंदी हिंदू हिंदुस्तान चीखते रहे, सरकार में आते ही सारे चालू नारे अंगरेजी में फूटने लगे. मेक इंडिया, इंडिया टीम, अब स्टार्टअप.

चिखुरी संजीदा हो गये- एक बात बताओ कीन? यहां इतने लोग बैठे हैं, उमर दरजी, कयूम मियां, लखन कहार, बोफोर्स नाई या तुम खुद क्या कोई कंपनी खोल सकते हो? कंपनी का मतलब भी बूझते हो? जो हाल यहां इन सबका है, यही पूरे देश का है. तो कंपनी खोलेगा कौन?

कंपनी वही खोलेगा, जो अब तक कंपनी खोलता रहा, उससे खेलता रहा, टैक्स चुरा कर कालाधन जमा करता रहा. यह मौका उसे ही दिया जा रहा है कि तीन साल तक कोई कुछ नहीं पूछेगा, कालेधन को इस कंपनी का मुनाफा दिखा कर सफेद कर लो.

तीन साल बाद चुनाव है. अगर चाहते हो कि आगे पांच साल तक तुम्हें कमाई करने का मौका मिले, तो चुनाव में हमें फिर से जिताओ. नहीं तो सरकार बदलते ही तुम जानो तुम्हारा काम जाने. यह है स्टार्ट अप. इतना सुनते ही नवल उठ गये, कीन को मुंह बिराते हुए.

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