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करनी का फल भुगत रहा पाकिस्तान
जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदते हैं, वो एक दिन खुद उसमें जा गिरते हैं. आज कुछ ऐसी ही स्थिति पड़ोसी देश पकिस्तान की भी है. जिस आतंकवाद को उसने दूसरो के लिए पाला-पोसा और खड़ा किया, आज वही पकिस्तान के गले की फांस बनता दिख रहा है. ताजा मामला पेशावर के बाजा खान विवि […]
जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदते हैं, वो एक दिन खुद उसमें जा गिरते हैं. आज कुछ ऐसी ही स्थिति पड़ोसी देश पकिस्तान की भी है. जिस आतंकवाद को उसने दूसरो के लिए पाला-पोसा और खड़ा किया, आज वही पकिस्तान के गले की फांस बनता दिख रहा है. ताजा मामला पेशावर के बाजा खान विवि में हुए आतंकी हमले का है.
इसकी जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान ने ली है. हमले में करीब दो दर्जन लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया और करीब 50 लोग जख्मी हुए. इस घटना से आर्मी स्कूल पर हुए हमले की भी याद ताजा हो गयी, जो करीब एक साल पहले हुई थी, जिसमें 130 स्कूली बच्चे समेत 140 लोग मारे गये थे.
पकिस्तान अब तक आतंक को ‘गुड’ व ‘बैड’ श्रेणी में रखता रहा है. लेकिन, अब उसे समझना होगा कि आतंक में गुड या बैड जैसी कोई चीज नहीं होती. न तो उसका किसी देश से कोई वास्ता होता है न ही किसी धर्म से. वह सिर्फ बंदूक के बल पर दुनिया को अपने नजरिये से देखना चाहता है.
– विवेकानंद, मधुपुर
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