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जौ के साथ घुन न पिस जाये

रसोई गैस जितना ज्वलनशील है, उतना ही संवेदनशील भी. इसकी घटती-बढ़ती कीमतें हों या सब्सिडी का हस्तांतरण, चर्चे में रहना इसकी नियति है. रसोई गैस आपूर्ति में होनेवाले प्रयोगों में सब्सिडी एक बड़ा घटक है. एक जनवरी, 2016 से आयकर दाताओं के वर्ग विशेष को सब्सिडी से वंचित कर दिया गया है. यह सर्वविदित है […]

रसोई गैस जितना ज्वलनशील है, उतना ही संवेदनशील भी. इसकी घटती-बढ़ती कीमतें हों या सब्सिडी का हस्तांतरण, चर्चे में रहना इसकी नियति है. रसोई गैस आपूर्ति में होनेवाले प्रयोगों में सब्सिडी एक बड़ा घटक है. एक जनवरी, 2016 से आयकर दाताओं के वर्ग विशेष को सब्सिडी से वंचित कर दिया गया है.
यह सर्वविदित है कि देश के करदाताओं की संख्या उचित अनुपात में नहीं है. उसमें भी 10 लाख कर योग्य आयवालों की संख्या कम होगी. ऐसे में फैसले के पीछे कुछ बड़े सवाल उठेंगे. इस कटौती से क्या गरीबों की सब्सिडी बढ़ा दी जायेगी या फिर गरीबों की गैस ज्यादा सस्ती दिखाने का प्रयास मात्र है?
ऐसे करदाता, जिनकी वार्षिक आय, विशेष कर सेवानिवृत्त कर्मियों की आय, जो सेवानिवृत्ति लाभ व विलं़बित भुगतानों से प्रभावित होती है, से यह लाभ छीन लेना कितना उचित होगा? सख्ती से पहले यह प्रयोग उचित हो सकता है, मगर निश्चित करना आवश्यक है कि ‘जौ के साथ घुन’ न पिस जाये.
-एमके मिश्र, रांची

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