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सरकारी तंत्र का मकड़जाल

पोस्टमार्टम के लिए गोड्डा विधायक रघुनंदन मंडल के परिजनों को घंटों इंतजार करना पड़ा. पांच विधायकों की मौजूदगी भी सरकारी तंत्र के मकड़जाल को तोड़ न पायी, कभी गोड्डा उपायुक्त की चिट्ठी को लेकर मामला फंसा, तो कभी दूसरे अधिकारी की इजाजत को लेकर. विधायक के परिजनों की सहनशक्ति जब जवाब देने लगी, तब उपायुक्त […]

पोस्टमार्टम के लिए गोड्डा विधायक रघुनंदन मंडल के परिजनों को घंटों इंतजार करना पड़ा. पांच विधायकों की मौजूदगी भी सरकारी तंत्र के मकड़जाल को तोड़ न पायी, कभी गोड्डा उपायुक्त की चिट्ठी को लेकर मामला फंसा, तो कभी दूसरे अधिकारी की इजाजत को लेकर. विधायक के परिजनों की सहनशक्ति जब जवाब देने लगी, तब उपायुक्त को बुलाया गया. पीएमसीएच आकर उपायुक्त ने कागजी प्रक्रिया पूरी की, तब जाकर गोड्डा विधायक का पोस्टमार्टम कराया जा सका.
अगर एक विधायक के शव को लेकर परिजनों को पोस्टमार्टम कराने में मुसीबत झेलनी पड़ती है, तो आम आदमी का हश्र क्या होगा? सरकारी तंत्र की लापरवाही साफ झलकती है. अगर इस घटना से भी राज्य सरकार सबक ले ले, तो आम आदमी को सरकारी तंत्र के मकड़जाल से बचाया जा सकता हैं.
– मनोज कुमार, धनबाद

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