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क्योंकि प्रश्न पूछना मना है..

।। कमलेश सिंह।।(इंडिया टुडे ग्रुप डिजिटल के प्रबंध संपादक) शुक्र है इस घोर अवैज्ञानिक देश में विज्ञान बढ़ रहा है. भारत का एक यान मंगल पर जा रहा है. नहीं तो बिना सोम चढ़ाये बुध खोनेवाले लोग तो शनि का प्रकोप मान लेते हैं, अगर गुरु ऐसा ज्ञान देते हैं. बीते तीन नवंबर को रेशमा […]

।। कमलेश सिंह।।
(इंडिया टुडे ग्रुप डिजिटल के प्रबंध संपादक)

शुक्र है इस घोर अवैज्ञानिक देश में विज्ञान बढ़ रहा है. भारत का एक यान मंगल पर जा रहा है. नहीं तो बिना सोम चढ़ाये बुध खोनेवाले लोग तो शनि का प्रकोप मान लेते हैं, अगर गुरु ऐसा ज्ञान देते हैं. बीते तीन नवंबर को रेशमा नहीं रहीं. जिस गले में रेशम घुला था, उसी में कैंसर हो गया. नेकदिल और ऊपरवाले से डरनेवाली. फिर भी कैंसर उसी अंग में जिसकी दर्दभरी तान ने अपनी उंगली से हमारे सिसकते दिलों के गालों को सहलाया. अगर वह सर्वशक्तिशाली है, तो सर्वज्ञानी नहीं ही होगा, क्योंकि इतना भद्दा मजाक कोई जान कर क्यों होने देगा? अगर वह सर्वज्ञानी है, तो सर्वशक्तिशाली नहीं होगा. तभी तो सब कुछ जान कर भी कुछ नहीं कर पाया. अगर वह दोनों है, तो कह दीजिए कि मजाक करने का सलीका भी नहीं है उसको.

बहुत विवाद है, उसके होने या ना होने पर. माननेवाले को पूछिए कि क्या सबूत है कि वह है, तो वे उल्टा पूछते हैं कि तुम्हारे पास क्या सबूत है कि वह नहीं है. होने का सबूत होता है, सबूत का नहीं होना ही नहीं होना है. नहीं माननेवाले सबूत कहां से लायेंगे? अर्थ का अनर्थ है. इस विवाद में पड़ना व्यर्थ है, ऐसा कह कर टाल देते हैं. फिर चमत्कारों की मिसाल देते हैं. या तो ‘ये दुनिया किसने बनायी’ वाला सवाल फेंक देते हैं. दुनिया कैसे बनी, इसका उत्तर अभी स्पष्ट नहीं है, पर एक धुंधला सा आइडिया तो आ ही गया है, जो उससे बिलकुल अलग है, जिसे हम मानते हैं. चांद, मंगल की दूरियां तय कर ली हैं, उस उत्तर तक भी पहुंच ही जायेंगे. पर लक्षण तो यही बताते हैं कि कहानियां बस कहानियां हैं. पर प्रश्न पूछना मना है.

अपनी आंख पर विश्वास की पट्टी पहिराइए, नियति है सिखाइए! भूकंप, सुनामी, युद्ध, सब आपदाएं. लाखों मरते हैं, मार दिये जाते हैं, कर्मो का फल है ये, तो हताहत के आंकड़ों में बच्चे क्यों शामिल हैं. ऐसे कौन से कर्म कर डालते हैं छह महीने के लोग जिनकी सजा मौत है. पिछले जनम का हिसाब है, तो पिछले जनम में भी तो मरे होंगे. अगले जनम का एडवांस है, तो अगले जनम में भी तो मरेंगे. छीन लिया मां से बेटे को, बेटी से मां को, मांग से सिंदूर, रेगिस्तान से वृष्टि, आंख से दृष्टि. पर प्रश्न पूछना मना है.

वैष्णोदेवी के रास्ते में माता का जयकारा लगाते लोगों से भरी बस गहरी खाई में क्यों गिर जाती है? उसमें से जो बच जाते हैं, वह फिर जयकारा लगाते हैं. जाको राखे साइयां, मार सके न कोय. बाल ना बांका ना तो राम ने रखा. बाल सुल्तानगंज हो गया तो भी राम नाम सत्य है. तेंडुलकर को क्रिकेट का भगवान कहते हैं हम. वे जब रन बनाने में पिछड़ने लगे, तो हमने उन्हें दुत्कारा. भाई तुमसे ना हो पायेगा, आगे बढ़ो. मगर ये जो नहीं दिखनेवाले भगवान हैं, उनकी मर्जी के बगैर दुनिया में पत्ता भी नहीं हिलता है, पर कोई जवाबदारी नहीं. ऐसा अफसर जिसके दरबार में आप रोज सलाम ठोको, घंटा बजाओ, मंतर पढ़ो और कहते रहो कि आप जैसा महान न इस जहान, न उस जहान में है. पर आप पर कभी अगर मुसीबत आयी, तो नहीं कोई सुनवाई. प्रश्न पूछना मना है.

भगवान सब का भला करे, तो फिर दुनिया में इतना बुरा क्यों है? रामभरोसे को रोटी क्यों नहीं? गर्भ में लक्ष्मी मारी जाती है, या फिर दहेज में न आये केरोसिन की भेंट चढ़ जाती है? आप ज्ञानियों से पूछेंगे तो वह इसका कारण बता देंगे, ऐसे जैसे कि उन्हें मालूम हो. आप जब उनको दक्षिणा में 101 रुपये देते हैं, तो वह गिन कर तसल्ली करते हैं. आप उनके दिये उत्तर को छूकर, गिन कर तसल्ली नहीं करते. मान लेते हैं सोने सा खरा. और इससे भी आपका मन नहीं भरा, तो किताब पलट देंगे, उसमें लिखा होगा तो आप मान लेंगे. क्योंकि मान लेना ही इसके बीज में है. मान लेते हैं. प्रश्न पूछना मना है.

यक्ष प्रश्न. आदमी मर जाये तो क्या होता है? सच स्वीकारते नहीं, इसलिए हिम्मत नहीं होती स्वीकारने की कि कुछ भी नहीं होता है. कुछ नहीं होना ही मर जाना है. शरीर नश्वर है, इसका रुक जाना ही मर जाना है. मरने के बाद आदमी रहता ही नहीं तो जायेगा कहां! पर हम नहीं मानते और इसको स्वर्ग-नरक थ्योरी वाले उठाते हैं. कुछ बता जाते हैं. अब कोई वापस तो आ नहीं सकता, इस भरम को तोड़ने. प्रश्न पूछना मना है. उत्तर देने वालों की भरमार है. जो पूछता है, उसको कौन पूछता है. प्रश्न से ही दुनिया चलती है, उत्तर से नहीं. बिना प्रश्न के हम अंधेरे में रहते हैं और सवाल नहीं उठाते सदियों के अंधेरों पर. रौशनी होगी, तो दिख जायेगा, दुनिया को कौन चलाता है. लोग चलाते हैं मशीनें, तोड़ते हैं पर्वत, चीरते हैं आसमान और बांधते हैं नदियां, पर लोग श्रेय नहीं लेते. क्योंकि प्रश्न पूछना मना है.

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