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देश को तोड़ने नहीं, जोड़ने की है जरूरत
वर्तमान समय में देश की राजनीति इतनी भ्रष्ट हो गयी है कि राजनेताओं को देश को बांटने के सिवा कोई अन्य मुद्दा ही नहीं दिखता. कभी वे अलग राज्य के नाम पर राजनीति कर रहे हैं, तो कभी जाति और धर्म के नाम पर. जिस देश में लोग बिना खाये सो जा रहे हों, कुपोषण […]
वर्तमान समय में देश की राजनीति इतनी भ्रष्ट हो गयी है कि राजनेताओं को देश को बांटने के सिवा कोई अन्य मुद्दा ही नहीं दिखता. कभी वे अलग राज्य के नाम पर राजनीति कर रहे हैं, तो कभी जाति और धर्म के नाम पर. जिस देश में लोग बिना खाये सो जा रहे हों, कुपोषण का शिकार हो रहे हों, लड़कियां घर से निकलने पर भी डर रही हो, उस देश में ऐसे मुद्दों पर राजनीति करना मात्र मूर्खता ही कही जा सकती है. आज से पांच-छह सौ साल पहले यूरोप जिस अंधविश्वास दंभ एवं धार्मिक बर्बरता के युग में जी रहा था.
उस युग को आज अपने देश को घसीटने की पूरी कोशिश की जा रही है. जिन गलतियों से हम अभी तक त्रस्त थे, उन्हीं को दोहराया जा रहा है. धर्म, जाति, क्षेत्र और भाषा के नाम पर जो झगड़े हो रहे हैं. आज जरूरत देश को तोड़ने की नहीं, बल्कि जोड़ने की दरकार है.
– मनोरथ सेन, जामताड़ा
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