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अपनों से ही दूर होते जा रहे हैं लोग
आज वक्त जितनी तेजी से भाग रहा है, दुनिया के लोग उससे भी कहीं अधिक तीव्र गति से भागने की कोिशश में लगे हैं. इस तेज रफ्तार में भागने की होड़ में हम अपने को अपनों से ही जुदा करते जा रहे हैं. खासकर तेज भागनेवाले दंपतियों के बच्चे तो उनसे जुदा हो ही रहे […]
आज वक्त जितनी तेजी से भाग रहा है, दुनिया के लोग उससे भी कहीं अधिक तीव्र गति से भागने की कोिशश में लगे हैं. इस तेज रफ्तार में भागने की होड़ में हम अपने को अपनों से ही जुदा करते जा रहे हैं.
खासकर तेज भागनेवाले दंपतियों के बच्चे तो उनसे जुदा हो ही रहे हैं. इसका कारण है कि तेज भागने के फेर में दंपति अपने बच्चों से दूर हो रहे हैं और बच्चों को उनके माता-पिता का स्नेह नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में बच्चों के अंदर कुंठा पैदा हो रही है, जिसे अभिभावक समझने की कोिशश नहीं कर रहे हैं.
बाद में बच्चे जब बड़े हो जाते हैं, तो उनका अवसाद और कुंठा ही गुस्सा बनकर बाहर निकलता है, जिसे बुजुर्ग होते दंपति सहन नहीं कर पाते. जरूरत इस बात की नहीं है कि अभिभावक अपने बच्चों को मेड के हाथों सौंपकर खुद काम पर चले जायें, बल्कि जरूरत खुद लालन-पालन करने की है.
– कुमुद राठौड़, ई-मेल से
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