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‘आप’ से टूटती उम्मीदें

बारिश में छोटे नदी-नालों में पानी जितनी तेजी से चढ़ता है, मौसम बदलने पर उसी तेजी से उतर भी जाता है. पानी को थामने लायक गहराई उनमें कम जो होती है. आम आदमी पार्टी के साथ भी यही होता दिख रहा है. इस पार्टी ने भ्रष्टाचार से लड़नेवाले सजग नागरिकों के समूह के रूप में […]

बारिश में छोटे नदी-नालों में पानी जितनी तेजी से चढ़ता है, मौसम बदलने पर उसी तेजी से उतर भी जाता है. पानी को थामने लायक गहराई उनमें कम जो होती है. आम आदमी पार्टी के साथ भी यही होता दिख रहा है.

इस पार्टी ने भ्रष्टाचार से लड़नेवाले सजग नागरिकों के समूह के रूप में लोगों के बीच जिस तेजी से साख कमायी, पार्टी का शीर्ष नेतृत्व उससे कहीं ज्यादा तेजी से इस साख को गंवा रहा है. जिस पार्टी ने भाजपा के चुनावी विजयी रथ को दिल्ली के समर में धूल चटाने का करिश्मा किया, वह सत्ता में आने के बाद से विवादों के दलदल में लगातार धंसती दिख रही है.

नया विवाद दिल्ली के महिला आयोग के प्रधान की नियुक्ति को लेकर है. खबरों के मुताबिक पार्टी की सरकार प्रदेश महिला आयोग के प्रधान पद पर स्वाति मालीवाल को नियुक्त करने जा रही है. सार्वजनिक जीवन और महिला-अधिकारों के लिए संघर्ष के मामले में स्वाति एक अनाजाना नाम हैं.

उनकी पहचान इंडिया अगेंस्ट करप्शन के कार्यकर्ता के रूप में कम, पार्टी के हरियाणा प्रभारी उन नवीन जयहिंद की पत्नी के रूप में ज्यादा है, जिन्होंने पार्टी में अधिकारों के लोकतंत्रीकरण के लिए आवाज उठानेवाले दो संस्थापक सदस्यों योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पार्टी से निष्कासित करने की मुहिम में बढ़-चढ़ कर भूमिका निभायी थी. सत्ता में आने के सौ दिनों के भीतर पार्टी की तरफ से नवीन जयहिंद को इसका इनाम भी मिला.

खबर आयी कि जयहिंद की पत्नी स्वाति की नियुक्ति मुख्यमंत्री के निजी सचिव के रूप में हुई और उन्हें आइएएस अफसर से ज्यादा वेतन, सचिवालय में दफ्तर तथा सरकारी खर्चे पर चलनेवाली गाड़ी दी गयी है. आइएएस के समान वेतन और सुविधावाले कई पद पार्टी ने सत्ता में आने के बाद सृजित किये और उन पर मुख्यमंत्री या अन्य मंत्रियों के करीबी तथा सार्वजनिक जीवन में अनजान रहे लोगों की नियुक्ति की.

प्रदेश महिला आयोग के अध्यक्ष पद पर स्वाति की नियुक्ति कुछ और कारणों से भी शंकाजनक मानी जायेगी. पार्टी के दो नेताओं- कुमार विश्वास और सोमनाथ भारती- से जुड़ीं शिकायतें दिल्ली महिला आयोग में लंबित हैं. कुमार विश्वास पर अवैध संबंधों, तो भारती पर पत्नी को प्रताड़ना देने की शिकायत दर्ज है.

ये दोनों मामले मीडिया में काफी दिनों तक बने रहे और महिलाओं को सुरक्षा देने का वादा करनेवाली आप की छवि दागदार हुई. शंका जतायी जा रही है कि मुख्यमंत्री के करीबी जयहिंद की पत्नी को इस पद पर बिठा कर सरकार शिकायतों पर सुनवाई की न्यायोचित राह रोकना चाहती है या फैसले को प्रभावित करना चाहती है.

शीर्ष नेतृत्व के करीबियों को लाभ पहुंचानेवाले फैसले लेने के आरोप पार्टी पर सत्ता में आने के बाद से लगातार लगे हैं.

वैधानिक बाधा के कारण करीबियों को मंत्रिपद नहीं दिया जा सका, तो इसकी काट निकालते हुए बीसियों पार्लियामानी सचिव नियुक्त कर दिये गये, जबकि इसी किस्म की नियुक्ति को पश्चिम बंगाल के हाइकोर्ट ने अवैध करार दिया है. पार्टी ने अपने पहले बजट को देश का प्रथम स्वराजी बजट बताया, लेकिन इसमें प्रतिशत पैमाने पर सर्वाधिक वृद्धि सरकारी विज्ञापन के मद में दी जानेवाली निधि में की गयी. आरोप यह भी है कि दलित समुदाय के कल्याण की विशेष निधि में 75 प्रतिशत की कटौती कर दी गयी.

हाल में यह बात भी चर्चा में रही कि समर्थकों से चंदे मांगनेवाली आम आदमी पार्टी की सरकार त्योहारी सीजन में पंचसितारा होटलों में ठीक उसी शाहखर्ची से दावतें उड़ा रही है, जैसे अन्य पार्टियां. सादगी, संयम और कमखर्ची का उपदेश देनेवाले मुख्यमंत्री केजरीवाल पर भी शाहखर्ची के आरोप हैं. आरटीआइ की एक अर्जी से खुलासा हुआ कि उनके सरकारी आवास का बिजली बिल लाख रुपये से भी ज्यादा आया है और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के सरकारी आवास से भी ज्यादा एसी केजरीवाल के आवास में लगे हैं.

वह चाहे कानूनमंत्री की डिग्री के फर्जी पाये जाने का मामला हो, या एक विधायक का आपराधिक मामले में जेल जाने का, एक विधायक और कुछ कार्यकर्ताओं पर अफसरों से सरेआम हाथापाई करने, या भरी सभा में किसान गजेंद्र की आत्महत्या को तमाशे में बदलने का, आम आदमी पार्टी ने दोष का ठीकरा हमेशा मीडिया के सिर फोड़ना चाहा. हद तो तब हो गयी, जब पार्टी ने मीडिया पर अंकुश की मंशा से बकायदा एक निगरानी प्रकोष्ठ बना डाला.

सत्ता का दुरुपयोग व केंद्रीकरण, हिंसा, अपराध और आलोचना के प्रति असहनशीलता के दलदल में शेष पार्टियों के धंसी नजर आने पर ही लोगों ने आप पर भरोसा जताया था. लोगों में विश्वास बन चला था कि यह पार्टी एक नजीर कायम करेगी, लेकिन सत्ता का स्वाद चखने के चंद दिनों के भीतर ही आम आदमी पार्टी ने संकेत देने शुरू कर दिये हैं कि वह भी सत्ता मद में चूर ऐसे हाथी की तरह है जिसके खाने के दांत और होते हैं, दिखाने के कुछ और.

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