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एक पंथ बनाना चाहता है देश का सम्राट

भारत में सैकड़ों मत, पंथ व संप्रदाय हैं, जिन्हें मजहब कहना चाहिए. वास्तव में वे धर्म नहीं हैं. देश में हिंदू शब्द को समुदाय, संप्रदाय, जाति, समाज और धर्म के साथ जोड़ा जाता है.भारत में सदियों से साधु, संत, महात्माओं का आविर्भाव होता रहा है, जिनके दर्शन, मत, मान्यताएं और उनके द्वारा रचित ग्रंथों के […]

भारत में सैकड़ों मत, पंथ व संप्रदाय हैं, जिन्हें मजहब कहना चाहिए. वास्तव में वे धर्म नहीं हैं. देश में हिंदू शब्द को समुदाय, संप्रदाय, जाति, समाज और धर्म के साथ जोड़ा जाता है.भारत में सदियों से साधु, संत, महात्माओं का आविर्भाव होता रहा है, जिनके दर्शन, मत, मान्यताएं और उनके द्वारा रचित ग्रंथों के आधार पर मत, पंथ और संप्रदाय चल रहे हैं और सभी खुद को धर्म से जोड़ते हैं.
हिंदुओं के मत, पंथ और संप्रदाय के अलावा देश में इसलाम, ईसाई, पारसी, बौद्ध, जैन और सिख वगैरह विद्यमान हैं. बौद्धों और जैनियों में भी कई मत हैं.
इसके अतिरिक्त साम्यवाद, समाजवाद, सेक्युलरवाद एवं राष्ट्रवाद जैसे राष्ट्रवादी भी कई मतों के हैं. संघ और इसके अनुषंगिक संगठन भी भाजपा को भारत का सम्राट बनाना चाहते हैं, पर वह खुद सत्ता नहीं संभालना चाहते, क्योंकि वह भी एक पंथ है.
स्वामी गोपाल आनंद बाबा, रजरप्पा पीठ

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