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पिछड़े पूर्वी राज्यों को विशेष मदद जरूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्य के विकास में मदद का आश्वासन तो दिया, लेकिन ठंडे रुख के साथ. राज्य पर कर्ज के भारी बोझ को उतारने में मदद की मुख्य मांग को उन्होंने यह कह कर ठुकरा दिया कि तब दूसरे राज्य भी ऐसी मांग करेंगे. साथ ही […]

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्य के विकास में मदद का आश्वासन तो दिया, लेकिन ठंडे रुख के साथ. राज्य पर कर्ज के भारी बोझ को उतारने में मदद की मुख्य मांग को उन्होंने यह कह कर ठुकरा दिया कि तब दूसरे राज्य भी ऐसी मांग करेंगे.
साथ ही प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल को मिल रहे राजस्व घाटा अनुदान के अलावा खनिज रॉयल्टी के मद में बढ़ी राशि का भी उल्लेख किया. इस तरह कर्ज उतारने का भार उन्होंने राज्य सरकार के बेहतर वित्तीय प्रबंधन के जिम्मे छोड़ दिया है. वित्तीय अनुशासन के जरिये विकास की एक सीमा होती है, जिसे बिहार के उदाहरण से समझा जा सकता है. राज्य सरकार ने पिछले कुछ वर्षो में कुशल वित्तीय प्रबंधन के जरिये राजस्व घाटे से मुक्ति पायी है, लेकिन आगे बढ़ने में संसाधनों की कमी आड़े आ रही है, जिसकी भरपाई विशेष सहायता से ही हो सकती है. याद करें, लोकसभा चुनाव के दौरान मोदीजी ने बार-बार कहा था- ‘देश का पश्चिमी भाग संपन्न है, पर पूर्वी भाग तक विकास नहीं पहुंचा है, जिसमें पिछड़े बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और पूर्वोत्तर के राज्य शामिल हैं.
हमें भारत का विकास करना है तो देश के पश्चिमी और पूर्वी भाग में संतुलन लाना ही होगा.’ लेकिन, बीते दिनों सरकार ने 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को मानते हुए राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ायी, तब पूर्वी और पश्चिमी भाग के असंतुलन को पाटने की कोई दिशा उसमें नहीं दिखी. स्थिति यह है कि राजस्व आवंटन में बिहार की हिस्सेदारी 13वें वित्त आयोग में निर्दिष्ट 10.9 फीसदी से घट कर 14वें वित्त आयोग के अंतर्गत 9.6 फीसदी हो गयी है. पश्चिम बंगाल की हिस्सेदारी भी 7.26 फीसदी से मामूली वृद्धि के साथ 7.34 फीसदी ही हुई है.
14वें वित्त आयोग द्वारा क्षेत्रफल और वन क्षेत्र को प्राथमिकता देने से बिहार और बंगाल जैसे राज्यों को नुकसान हुआ है, जहां कम संसाधनों पर अधिक आबादी का दबाव है. बिहार में इस समय सबसे ज्यादा गरीब हैं, तो बंगाल पर सबसे ज्यादा कर्ज है. जाहिर है, इन राज्यों के लोगों की विकास की हसरत तभी पूरी हो सकेगी, जब केंद्र सरकार भी इसमें विशेष सहायता करे. लेकिन, बंगाल की मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात में पूर्वी राज्यों के प्रति प्रधानमंत्री की सहानुभूति नहीं दिखी.

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