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मोदी सरकार का पहला पूर्ण बजट

बजट उम्मीदें जगाता है. यह संतुलित बजट है, जिसमें मध्य वर्ग को छोड़ कर सबको खुश करने की कुछ कोशिशें की गयी हैं. हालांकि इस बजट से मोदीनॉमिक्स को समझना या उस पर कोई मत-निर्णय कायम करना फिलहाल अधिक संगत नहीं होगा. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में बजट पेश करते हुए कुछ काव्य-पंक्तियां […]

बजट उम्मीदें जगाता है. यह संतुलित बजट है, जिसमें मध्य वर्ग को छोड़ कर सबको खुश करने की कुछ कोशिशें की गयी हैं. हालांकि इस बजट से मोदीनॉमिक्स को समझना या उस पर कोई मत-निर्णय कायम करना फिलहाल अधिक संगत नहीं होगा.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में बजट पेश करते हुए कुछ काव्य-पंक्तियां सुनायीं- ‘कुछ तो फूल खिलाये हमने. कुछ तो खिलाने हैं. मुश्किल ये है बाग में लेकिन, कांटे बहुत पुराने हैं’. और बजट के अंत में उपनिषद-कथन को याद किया- ‘सर्वे भवंतु सुखिन:, सर्वेसंतु निरामया’. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार की प्राथमिकता में सबके कल्याण की बात बार-बार कही है और अपनी सरकार का एकमात्र धर्म ‘इंडिया फस्र्ट’ माना है. उनके आकर्षक, लुभावने और चमकीले नारों में एक- ‘सबका साथ, सबका विकास’ भी था. समान रूप और समान गति से ‘सबका विकास’ आज की नवउदारवादी अर्थव्यवस्था में संभव नहीं है. अब सारा बल विनिवेश पर है. ‘इन्वेस्ट इंडिया’, इकाई वाणिज्य मंत्रालय में स्थापित हो चुकी है. बजट दिवस पर सबकी आंखें टिकी होती हैं. विशेषत: मध्यवर्ग की आंखें, कि उसे आयकर में और कोई छूट मिल रही है या नहीं. इस बजट (2015-16) में मध्यवर्ग को कोई छूट नहीं मिली. ट्रांसपोर्ट भत्ता 800 रुपये से बढ़ कर 1600 रुपये हुआ और पेंशन फंड में 50 हजार की छूट मिली. लेकिन, आयकर में कोई बदलाव नहीं रहा. उम्मीदें बेकार गयीं. बजट में गरीब और ऊंचे तबके पर अधिक ध्यान दिया गया. कॉरपोरेट कर की मौजूदा दर 30 प्रतिशत से घटा कर 25 प्रतिशत की जायेगी.
नवउदारवादी अर्थव्यवस्था में सभी सरकारें कॉरपोरेट पर मेहरबान रही हैं. वर्ष 2014-15 में सरकार ने अनेक सब्सिडी पर 3.77 लाख करोड़ खर्च किये थे, जिनमें खाद्यान्न सब्सिडी पर खर्च 1.29 लाख करोड़ रुपये था. दिल्ली एयरपोर्ट पर सरकार ने एक लाख साठ हजार करोड़ की सब्सिडी दी थी. पिछले दस साल में 36 लाख करोड़ की सब्सिडी कॉरपोरेट को दी गयी, जिसे इन्सेंटिव कहा गया. मोदी की छवि कॉरपोरेट समर्थक की बनी हुई है. इस बजट ने उनकी एक जनछवि भी प्रस्तुत की है. जेटली ने गरीबों के लिये चल रही योजनाओं के जारी रहने की बात कही. किसानों को 8.5 लाख करोड़ ऋण देने का लक्ष्य बताया. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए तीन हजार करोड़ और दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना में 15 सौ करोड़ रुपये का बजट रखा. बजट में बुनियादी ढांचे और किसानों पर खर्च को महत्व दिया गया. सामान्य लोगों के लिए 20 हजार करोड़ रुपये के मुद्रा बैंक की स्थापना की बात कही गयी. प्रत्येक गांव में चिकित्सा सुविधा की बात, पांच किलोमीटर के भीतर एक सेकेंडरी स्कूल की स्थापना, 2022 तक सबको घर देने का निर्णय, हर गांव में बिजली और प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को नौकरी का आश्वासन, गरीबों के लिए बीमा का प्रावधान, सामाजिक सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री जीवन सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना इस बजट को सामान्य जन के हित में प्रस्तुत करते हैं. 1 रुपये प्रतिमाह या सालाना 12 रुपये के प्रीमियम पर 2 लाख का दुर्घटना बीमा ध्यान आकर्षित करती है.
जेटली ने मोदी सरकार की चार उपलब्धियों का अपने बजट भाषण में जिक्र किया. प्रधानमंत्री जनधन योजना की सफलता, कोल ब्लॉक योजना की नीलामी, स्वच्छ भारत योजना और महंगाई पर काबू. सरकार की महत्वाकांक्षी जनधन योजना के तहत 13 करोड़ से अधिक खाते खुले हैं, जिनमें 11 हजार करोड़ रुपये जमा हैं. स्वच्छ भारत योजना के तहत 6 करोड़ शौचालय बनाने की बात कही गयी. सभी गांवों में संचार व्यवस्था सुनिश्चित करना का भी उल्लेख था. लेकिन, हजारों करोड़ टन नष्ट होनेवाले कृषि उत्पादों के समुचित भंडारण पर विशेष ध्यान नहीं था. इस बजट से मोदीनॉमिक्स को समझना या उस पर कोई मत-निर्णय कायम करना फिलहाल अधिक संगत नहीं होगा. दुनिया के शेयर बाजारों में भारत का शेयर बाजार दूसरा सबसे बेहतर माना जाता है, पर सेंसेक्स को अर्थव्यवस्था का सूचक नहीं माना जा सकता. शेयर बाजार बजट के दिन खुला रहा और वहां वृद्धि रही. बजट में सर्विस टैक्स 12.36 से बढ़ा कर 14 प्रतिशत किया गया, जिससे हर चीज महंगी होगी. खाना, फोन बिल, दवा, क्रेडिट कार्ड का उपयोग, घर की खरीद, हवाई यात्र सब.
इस बजट में जिन घोषणाओं और योजनाओं को सामने रखा गया, उसके आधार पर इसे बजट से कहीं अधिक सोच कहा गया है. बजट में समग्र और समावेशी विकास की बात कही गयी है. साधारण लोगों पर अधिक ध्यान दिया गया. इस प्रकार यह बजट बैलेंस रूप में प्रस्तुत किया गया है. बुनियादी ढांचे और किसानों पर खर्च भी इसमें है. पूर्व की परियोजनाएं कायम रखी गयीं. मनरेगा की मोदी ने खिल्ली उड़ाई थी, उसे कांग्रेस के पापों का नतीजा कहा था. वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री के सोच में मनरेगा को लेकर अंतर्विरोध दिखा. मौजूदा वित्त वर्ष में विकास दर 7.4 फीसदी और राजकोषीय घाटा 4.1 फीसदी तक रहने का अनुमान है. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 3.44 अरब डॉलर है. भारत की अर्थव्यवस्था फिलहाल संकट में नहीं है. आर्थिक विकास का लाभ सभी वर्गो में पहुंच रहा है, पर उसकी मात्र में कहीं अधिक अंतर है.
सब्सिडी के लिए ‘जैम’ (जनधन, आधार, मोबाइल) को आधार बनाया गया. 35 योजनाओं की सब्सिडी खाते में जा रही है. बैंक पूंजी मजबूत की जा रही है. देखना है कि यह पूंजी कहां वितरित होगी? इंफ्रास्ट्रर के लिए 70 हजार करोड़ की राशि बजट में है और रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) में मात्र 150 करोड़. बाल विकास योजना के लिए मात्र 1500 करोड़. एक लाख से ऊपर की खरीद पर पैन जरूरी किया गया. आय कर चोरी के खिलाफ सख्त कानून बनाने की बात हुई.
आइएसएम, धनबाद को आइआइटी का दर्जा दिया गया. दो राज्यों-बिहार और पश्चिम बंगाल, जहां चुनाव होनेवाले हैं, को विशेष सहायता देने का उल्लेख हुआ. 22 आयातित वस्तुओं पर टैक्स घटाने का प्रस्ताव रखा गया. वेल्थ टैक्स खत्म करने की घोषणा हुई और एक करोड़ से अधिक आयवालों को दो प्रतिशत सरचार्ज लगाया गया.
इंफ्रा में 20 हजार करोड़ के फंड की घोषणा की गयी. ‘स्किल इंडिया’ और ‘ मेक इन इंडिया’ के बीच गहरे तालमेल की बात की जाती है. ‘मेक इन इंडिया’ का लक्ष्य उत्पादन और निर्यात बढ़ाना है. भारत पर वैश्विक मंदी का अधिक प्रभाव भले न पड़ा हो, पर यह दौर वैश्विक मंदी का है. मजबूत इंफ्रास्ट्रर के बाद ही भारत वास्तविक विनिर्माण की स्थिति में रहेगा. हाल में रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने ‘मेक इन इंडिया’ के स्थान पर ‘मेक फॉर इंडिया’ के विकास मॉडल की बातें कही थी. निर्यात आधारित विकास चंद कंपनियों के लिए न होकर देश के लिए हो, इस पर ध्यान देना होगा. इंफ्रास्ट्रर से रोजगार भी जुड़ा है. बजट उम्मीदें जगाता है. यह संतुलित बजट है, जिसमें मध्य वर्ग को छोड़ कर सबको खुश करने की कुछ कोशिशें की गयी हैं.
रविभूषण
वरिष्ठ साहित्यकार
delhi@prabhatkhabar.in

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