7.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बदहाल प्रोजेक्ट विद्यालयों की सुध लें

किसी भी समाज का सर्वागीण विकास शत-प्रतिशत शिक्षा पर ही आधारित होता है. शिक्षा ही मानव-निर्माण के कार्य में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है और शिक्षक इसके मुख्य माध्यम साबित होते हैं. झारखंड राज्य सन 2000 में बिहार से अलग होकर बना, लेकिन यह विगत 14 वर्षो में किसी भी क्षेत्र में विकास का […]

किसी भी समाज का सर्वागीण विकास शत-प्रतिशत शिक्षा पर ही आधारित होता है. शिक्षा ही मानव-निर्माण के कार्य में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है और शिक्षक इसके मुख्य माध्यम साबित होते हैं. झारखंड राज्य सन 2000 में बिहार से अलग होकर बना, लेकिन यह विगत 14 वर्षो में किसी भी क्षेत्र में विकास का मानक स्थापित नहीं कर पाया. यह बात बड़ी दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है.

अब नयी सरकार के पास अल्पमत और गंठबंधन की मजबूरी नहीं है इसलिए विकास की नयी राहें बनायी जा सकती हैं. शिक्षा के क्षेत्र में कई अनियमितताएं हैं जिन्हें दूर करने की जरूरत है और इसी कड़ी में तत्कालीन बिहार सरकार द्वारा आठवें वित्त आयोग के प्राक्कलन के तहत प्रोजेक्ट उच्च विद्यालयों की समस्या भी है. अस्सी के दशक में खोले गये इन विद्यालयों की संख्या झारखंड में लगभग 273 है जिनकी स्थिति दयनीय एवं अपरिकल्पनीय है. भवन के अलावा इन विद्यालयों में ढंग का कुछ भी नहीं बचा है. स्थापना अनुमति देने का तो कष्ट किया गया है, पर वित्त पोषण मुहैया कराये जाने की बात पर विभागीय अड़चनों के पुलिंदे प्रस्तुत कर दिये गये. स्वयंसेवक शिक्षकगण भी बदहाली की जिंदगी जी रहे हैं और विद्यार्थियों के लिए भी यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अपने गांव व शहर के विद्यालय को छोड़ कर उन्हें अच्छी शिक्षा के लिए दूर जाना पड़ता है.

राज्य में एक ओर करोड़ों रुपयों के घोटाले हो रहे हैं और दूसरी ओर इन विद्यालयों के लिए राशि का अभाव बताया जाता रहा है. शिक्षा के क्षेत्र में ऐसी उदासीनता समाज को पंगु बना रही है. आशा है नयी सरकार इस ओर विशेष कदम उठायेगी और शिक्षा के प्रचार-प्रसार में अपनी महती भूमिका निभायेगी.

मनोज आजिज, आदित्यपुर, जमशेदपुर

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें