आज भोजपुरी फिल्में अश्लीलता परोसने का माध्यम बन चुका है. वर्तमान समय में बननेवाली अधिकतर भोजपुरी फिल्मों में उत्तेजक दृश्य व अश्लील गीत होते हैं, जिन्हें परिवार के सदस्यों के साथ देखने में शर्मिंदगी महसूस होती है. इन फिल्मों के गाने भी घर में नहीं सूना जा सकता है. इन फिल्मों का समाज में गलत असर पड़ रहा है.
इसके निर्माता, निर्देशक व कलाकारों का महज एक ही उद्देश्य होता है पैसा कमाना. जबकि पूर्व के समय में बननेवाली भोजपुरी फिल्में साफ-सुथरी होती थी, जिसका समाज में सकारात्मक संदेश जाता था. लोग पूरे परिवार के साथ फिल्म का आनंद लेते थे. लेकिन, आज की फिल्मों में परोसे जा रहे अश्लीलता ने सारी हदें पार कर दी हैं. सरकार को इस पर लगाम लगाना चाहिए.
डॉ रवि अभिषेक, पतौरा, लाला टोला (मोतिहारी)