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पटना में जलजमाव : जल्द खत्म होगा मुश्किलों का दौर

आशुतोष चतुर्वेदी बिहार बाढ़ से और पटना का एक हिस्सा जल जमाव से जूझ रहा है. लोगों की मुश्किलें इतनी ज्यादा हैं कि लगता है कि इस बार पूरा त्योहार फीका रह जायेगा. जीवन में मुश्किलें आती हैं, तो जाती भी हैं. ऐसा नहीं है कि मुश्किलों का दौर खत्म नहीं होगा. कष्ट की यह […]

आशुतोष चतुर्वेदी
बिहार बाढ़ से और पटना का एक हिस्सा जल जमाव से जूझ रहा है. लोगों की मुश्किलें इतनी ज्यादा हैं कि लगता है कि इस बार पूरा त्योहार फीका रह जायेगा. जीवन में मुश्किलें आती हैं, तो जाती भी हैं. ऐसा नहीं है कि मुश्किलों का दौर खत्म नहीं होगा. कष्ट की यह घड़ी जल्द ही समाप्त होगी और आप पहले की तरह उत्साह के साथ त्योहारों का आनंद उठायेंगे. मैंने यह पाया है कि बिहार के लोगों में मुश्किलों से जूझने का अदम्य साहस है. प्रभात खबर इस मुश्किल दौर में आपके साथ खड़ा है.
जो भी सीमित संसाधनों से मदद संभव होगी, हम अवश्य करेंगे. हमने पटना में लोगों की मुश्किलें कम करने के लिए जरूरी वस्तुओं जैसे पानी, दूध, ब्रेड, बिस्कुट आदि का वितरण किया है. एनडीआरएफ की टीमें दिन रात बचाव और राहत कार्य में जुटी हैं और हर बार की तरह सराहनीय कार्य कर रही हैं. हमारे िलए यह जरूरी है कि हम हिम्मत न हारें.
एक ओर राज्य सरकार लोगों की सहायता के लिए जुटी हुई है, तो दूसरी ओर मदद के लिए स्वयं सेवी संस्थाएं सक्रिय हैं. िवपदा की इस घड़ी में अपनी ऊर्जा सिर्फ आरोप प्रत्यारोप में नष्ट न करें बल्कि मुसीबतजदा और जरूरतमंद लोगों तक मदद पहुंचाएं. लोगों को संकट से उबारने में पूरी ताकत लगे और इस मसले पर कोई सियासत न हो. साथ ही इस समस्या का कोई स्थायी समाधान ढूंढ़ने की सामूहिक कोशिश हो.
दरअसल, जलवायु परिवर्तन का दंश पूरा देश झेल रहा है. जलवायु परिवर्तन के कारण देश के मौसम का मिजाज बिगड़ गया है. सितंबर के अंत और अक्तूबर में बिहार और देश के कई अन्य इलाकों को बारिश का कहर झेलना पड़ रहा है. अगर आपको याद हो, पिछले साल केरल में 100 साल की सबसे विनाशकारी बाढ़ आयी थी. वहां बाढ़ से सैकड़ों लोगों की जानें चली गयीं थीं.
फसल व संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा था और एक वक्त तो केरल में बिजली, पानी, रेल और सड़क व्यवस्था सब ठप हो गयी थी. लेकिन केरल के लोगों ने संकट की घड़ी में एकजुटता बनाये रखी और फिर से जनजीवन सामान्य होने में ज्यादा वक्त नहीं लगा. ठीक उसी तरह बिहार भी ऐसी ही नजीर पेश करे.
जलवायु परिवर्तन के अलावा कुछ हद तक हम आप भी दोषी हैं. अगर हम अपने आसपास देखें, तो पायेंगे कि नदी के किनारों पर अवैध कब्जे हो रहे हैं और उसके आसपास इमारतें खड़ी होती जा रही हैं. इसके कारण नदी के प्रवाह में दिक्कतें आती हैं. जब भी अच्छी बारिश होती है, बाढ़ आ जाती है. बिहार का एक बड़ा इलाका साल दर साल बाढ़ में डूबता आया है. बाढ़ से आज भी हमें मुक्ति नहीं मिल पायी है. अगर इसका कोई स्थायी समाधान निकल आये, तो पूरे बिहार की तस्वीर बदल सकती है.

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