आम धारणा है कि अधिकारी पदाधिकारियों का तबका सुशिक्षित व सभ्य है. समाज का अगुवा है. परंतु दुर्भाग्यवश इस सुशिक्षित व सभ्य तबके का भ्रष्टाचार और सामाजिक उत्पीड़न से भी संबंध रहा है. कई घटनाएं हैं. पिछले साल एक सीओ रिश्वत लेते हुए पकड़े गये थे. तब राज्य भर के प्रशासनिक अधिकारियों ने हड़ताल करके एक प्रकार से भ्रष्टाचार का ही समर्थन किया था.
अभी हाल में ही हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड के बीडीओ की मानवता को शर्मसार करने वाली घटना प्रकाश में आयी है, जिसमें साहब महज दो सौ रुपये की चोरी के आरोप में अपने नाबालिग नौकरानी को आयरन से दागा व प्रताड़ित किया. नि:संदेह इस प्रकार की घटना सभ्य समाज के लिए अशुभ है. इसकी जितनी निंदा की जाये कम है. अतः पदाधिकारियों को अपने पद की गरिमा का खयाल रखना चाहिए.
मिथिलेश कुमार पांडेय, केरेडारी, हजारीबाग