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इसरो के सपूत

इसरो के सपूतों द्वारा प्रक्षेपित चंद्रयान-2 मिशन 95 प्रतिशत सफल रहा है. चांद पर हमारे वैज्ञानिकों द्वारा बनाया गया आर्बिटर अगले एक से सात साल तक सफलतापूर्वक चक्कर लगाते हुए अन्वेषण करके उसकी तस्वीरें हमें प्रेषित करता ही रहेगा. लगभग तीन लाख 85 हजार किलोमीटर दूर स्थित चांद पर अपने यान को पहुंचाकर चंद्रमा से […]

इसरो के सपूतों द्वारा प्रक्षेपित चंद्रयान-2 मिशन 95 प्रतिशत सफल रहा है. चांद पर हमारे वैज्ञानिकों द्वारा बनाया गया आर्बिटर अगले एक से सात साल तक सफलतापूर्वक चक्कर लगाते हुए अन्वेषण करके उसकी तस्वीरें हमें प्रेषित करता ही रहेगा. लगभग तीन लाख 85 हजार किलोमीटर दूर स्थित चांद पर अपने यान को पहुंचाकर चंद्रमा से मात्र 2.1 किलोमीटर की दूरी पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने में जरा सी चूक हर्गिज असफलता की श्रेणी में नहीं आती क्योंकि अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के अनुसार चंद्रमा की वह स्थान बहुत ही कठोर, नुकीली, पथरीली और गड्ढों से भरी उबड़-खाबड़ अंधेरी जगह है.

दुनिया का कोई अंतरिक्ष का बड़ा खिलाड़ी देश भी चांद के उस बीहड़ जगह पर अपना अंतरिक्ष यान अभी तक उतारने की हिम्मत नहीं कर पाया है. खबर है कि चांद की सतह पर पड़ा विक्रम सही सलामत है. इसरो के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के इस साहस भरे और कठिन मिशन को हम सभी भारतीयों को प्रशंसा करनी ही चाहिए.

निर्मल कुमार शर्मा, गाजियाबाद

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