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शिक्षक, शिष्य और शिक्षा

देश में शिक्षा की स्थिति धीरे-धीरे पहले की तुलना में बेहतर हो रही है. एक छात्र के जीवन में शिक्षक का महत्व बहुत ज्यादा होता है. बेहतर शिक्षा के लिए एक अच्छे गुरु का मार्गदर्शन बहुत जरूरी है. इनका दर्जा भगवान से भी ऊपर माना गया है. गुरु जहां अनेक प्रकार से अपने शिष्यों की […]

देश में शिक्षा की स्थिति धीरे-धीरे पहले की तुलना में बेहतर हो रही है. एक छात्र के जीवन में शिक्षक का महत्व बहुत ज्यादा होता है. बेहतर शिक्षा के लिए एक अच्छे गुरु का मार्गदर्शन बहुत जरूरी है. इनका दर्जा भगवान से भी ऊपर माना गया है.
गुरु जहां अनेक प्रकार से अपने शिष्यों की मदद करके उसको सफल बनाने की कोशिश करते हैं, वहीं शिक्षक को उसके शिष्य ही महान बनाते हैं. लेकिन न तो आज के अधिकांश शिष्य पुराने जैसे रहे, न ही शिक्षक. छात्रों के दिल में शिक्षकों के लिए वह प्यार विलुप्त-सा हो गया है. शिक्षकों का स्तर भी इसी रफ्तार से गिर रहा है. कई बार तो शिक्षक अपने छात्रों से ही दिल लगा बैठते हैं.
हम शिक्षित तो हो रहे हैं, लेकिन अपने संस्कार और संस्कृति खोते जा रहे हैं. प्राइवेट स्कूलों ने तो शिक्षा को व्यापार बना दिया है. इन सब के बावजूद इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि आज भी अच्छे शिक्षकों और शिष्यों की कमी नहीं है. उम्मीद है कि हम फिर से इस रिश्ते में वही पुरानी मिठास और विश्वास देखे पाएंगे.
उत्सव रंजन, नीमा, हजारीबाग

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