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अर्थव्यवस्था में उम्मीद की किरण

अगर आपके पास एक मजबूत अर्थव्यवस्था नहीं है, तो आप कोई ठोस सुधार नहीं कर सकते हैं. इसी कड़ी में हाल के रुझानों में भारतीय अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल मंडराने लगे थे, जिसमें विकास दर का कम होना, वैश्विक स्तर पर भारत की रैंकिंग का फिसलना, बेरोजगारी दर ऊंचे स्तर पर होना जैसे कई […]

अगर आपके पास एक मजबूत अर्थव्यवस्था नहीं है, तो आप कोई ठोस सुधार नहीं कर सकते हैं. इसी कड़ी में हाल के रुझानों में भारतीय अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल मंडराने लगे थे, जिसमें विकास दर का कम होना, वैश्विक स्तर पर भारत की रैंकिंग का फिसलना, बेरोजगारी दर ऊंचे स्तर पर होना जैसे कई पहलू शामिल हैं.
मजबूत अर्थव्यवस्था के संकल्प को लेकर मोदी सरकार लगातार सकारात्मक कदम उठा रही है, जिसमें इज ऑफ डूइंग बिजनेस के साथ इज ऑफ लिविंग पर बल, 70000 करोड़ रुपये बैंकों को पूंजीकरण के लिए दिया जाना, जिससे कर्ज मिलने में आसानी हो, होम, कारपोरेट, कार लोन इत्यादि को रेपो रेट से जोड़ना, ताकि प्रत्यक्ष लाभ ग्राहक को प्राप्त हो, एमएसएमइ, स्टार्टअप में एंजल टैक्स को हटाना, एफपीआई व शॉर्ट और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर सरचार्ज को वापस लेना जैसी तमाम घोषणाएं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा की गयी. उम्मीद है कि इस बदलाव के बाद अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी.
कपिल एम वड़ियार, पाली, राजस्थान

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