एक साल में चौथी बार आरबीआइ द्वारा रेपो दर में कटौती की गयी है. इस बार तो 0.35 फीसद. हर बार से ज्यादा. कुल कटौती सालभर में 1.10 फीसद का हो गयी. गवर्नर शक्ति कांत दास की बातों से यही पता चलता है कि भारत पर इस समय जो मंदी के घने और काले बादल छाये हुए हैं, इसे वे ढांचागत नहीं, बल्कि चक्रीय मंदी मानते है.
चूंकि दास जी एक आइएएस अधिकारी हैं, इसलिए बातों को कूटनीतिक अंदाज में कहने में उन्हें महारत हासिल है, मगर इस समय देश की अर्थव्यवस्था की हालत बेहद चिंतनीय है. बाजार में मांग नहीं है. पूंजी निवेश नहीं हो रहा है. नौकरियां हैं नहीं.